गढ़पुरी नहीं छोडऩा चाहते मूल निवासी

बांधवगढ़ के कोरजोन मे है शामिल, 318 परिवारों के विस्थापन की तैयारी
बांधवभूमि, रामाभिलाष त्रिपाठी
मानपुर। जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कोर जोन मे शामिल ग्राम गढ़पुरी को खाली कराने की तैयारियां शुरू हो गई है। सूत्रों का कहना है कि खितौली रेंज के तहत बसे इस गांव के 318 परिवारों ने अपने आवेदन वन विभाग को सौंप दिये हैे। जबकि वन विभाग ने जिला प्रशासन के साथ बैठक कर इन सभी के मुआवजे का निर्धारण भी कर दिया है। इस संबंध मे कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने गत 12 सितंबर को एक कमेटी का गठन कर दिया था। जबकि 28 सितंबर को बैठक मे उन सभी 318 परिवारों की सूची को अंतिम रूप दिया गया, जिन्होंने अपना आवेदन दिया था। इस सूची का वाचन अब ग्राम सभा की बैठक में किया जाएगा और वही आपत्तियां आमंत्रित की जाएगी। इसके पश्चात आगे की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। प्रशासन के दावों के बीच गांव के लोग कुछ और बात कह रहे हैं।
275 परिवारों की सहमति बाकी
उनका कहना है कि आवेदन केवल उन लोगों ने दिये हैं, जो बाहर से आकर बस गये थे। जब की मूल निवासी अपना गांव-घर किसी भी कीमत पर छोडऩे को तैयार नहीं हैं। कई ग्रामीणो का आरोप है कि प्रशासन और वन विभाग जबरदस्ती बिना सुने उन पर फैंसले थोप रहा है। गढ़पुरी गांव मे कुल परिवारों की संख्या 593 है, वहीं जनसंख्या 1452 है। इनमे से सिर्फ 318 परिवारों ने ही गांव खाली करने की सहमति प्रदान की है। 275 परिवार अभी भी जाने को तैयार नहीं हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही शेष परिवारों से भी आवेदन ले लिये जाएंगे और गांव खाली करा दिया जाएगा।
ऐसी होगी प्रक्रिया
बताया गया है कि सबसे पहले गांव खाली करने वाले सभी परिवारों के ज्वाइंट अकाउंट खोले जाएंगे, जिनमे वन विभाग द्वारा मुआवजे की राशि मे से एक लाख रूपये डाल दिया जाएगा। शेष राशि विस्थापन के तुरंत बाद ग्रामीणों को प्रदान कर दी जाएगी।
ग्रास लैंड बनाने की तैयारी
जानकारों का मानना है कि लंबे चौड़े ग्रास लैंड की संभावना के कारण सरकार और वन विभाग गढ़पुरी को अपने कब्जे मे लेना चाहता है। 415.09 हेक्टेयर मे बसे गांव मे जब ग्रास लैंड तैयार किया जाएगा तो बाघ संरक्षण के अभियान को नई ताकत मिलेगी। इस गांव के अलावा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा जोन मे गांगीताल, सेजवाही, पतोर रेंज मे बमेरा, कसेरू, कुशमहा, बड़वाही, बगैहा और खितौली मे बगदारी भी विस्थापन की कगार पर हैं।
मुआवजे को लेकर भी असमंजस
मुआवजे को लेकर भी ग्रामीणो मे असमंजस की स्थिति है। सरकारी प्रावधान के अंतर्गत मुआवजे के दो विकल्प हैं, जिसके तहत विस्थापितों को 15 लाख रूपए नगद प्रदान दिये जा रहे हैं। नियमत: मुआवजा प्रति वयस्क को एक परिवार मानकर प्रदान किया जाता है। वहीं पति-पत्नी को एक परिवार माना जाता है। यदि परिवार मे कोई व्यस्क पुत्र अथवा अविवाहित पुत्री हो तो उसे भी स्वतंत्र यूनिट मानकर मुआवजा प्रदान किया जाता है। विधवा महिला को भी एक यूनिट माना जाता है। इसी तरह विकलांग व्यक्ति और अनाथ बच्चों को भी यूनिट मानकर मुआवजा प्रदान किया जाता है, परंतु यहां ऐसा नहीं हो रहा है।

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