नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वह जल्द इस बारे में फैसला करे कि देश की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों पर सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) लागू हो सकता है या नहीं। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 मे हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी विभाग को आदेश दिया था कि आरटीआई ऐक्ट के तहत वह जांच एजेंसी में वरिष्ठता और पदोन्नति से जुड़ी जानकारी जांच एजेंसी के कर्मचारी को मुहैया कराए। इसी के खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जिस पर अब यह टिप्पणी आई है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट ने जो निर्देश दिए हैं, वह सरकारी विभाग की आपत्तियों को सुने बिना ही जारी किए गए। यह भी सुना जाना चाहिए था कि आरटीआई कानून सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों पर लागू होता भी है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यह विशेष तौर विभाग से जुड़ा मामला है कि उस पर आरटीआई लागू होता है या नहीं, लेकिन इस असम्मति पर फैसला करने के बजाय हाईकोर्ट ने सीधा विभाग को दस्तावेज पेश करने के लिए कह दिया। यह तो किसी बग्गी को घोड़े के आगे लगाने की तरह हो गया। न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट को दस्तावेज पेश करने का आदेश देने से पहले इस पर फैसला करना चाहिए था कि आरटीआई ऐक्ट उस संस्थान या विभाग पर लागू होगा या नहीं। इसलिए हम दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश देते हैं कि वह पहले इस पर निर्णय ले कि किसी खुफिया या सुरक्षा एजेंसी पर आरटीआई ऐक्ट लागू हो सकता है या नहीं। इसके बाद ही वह आरटीआई अपील के आधार कोई दस्तावेज पेश करवाने पर फैसला दे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह काम अगले आठ हफ्ते में पूरा हो जाना चाहिए।
खुफिया-सुरक्षा एजेंसियों को आरटीआई के दायरे में लाने पर फैसला करे दिल्ली हाईकोर्ट: सुप्रीम कोर्ट
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