कोरोना से मौतों पर फिर विवाद

7 गुना मौतों का दावा करने वाली विदेशी मीडिया रिपोर्ट को केंद्र ने किया खारिज
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने उस मीडिया रिपोर्ट को खारिज किया है, जिसमें कोरोना से हुई असल मौतों को सरकारी आंकड़ों से 5 से 7 गुना ज्यादा बताया गया था। सरकार ने रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों को गलत बताया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बिना नाम लिए उस रिपोर्ट की निंदा की है।स्वास्थ्य मंत्रालय ने द इकॉनॉमिस्ट में छपे आर्टिकल को काल्पनिक और भ्रम फैलाने वाला बताया है। मंत्रालय ने कहा है कि रिपोर्ट में जिस तरह से महामारी के आंकड़ों का आकलन किया गया है, उसका कोई आधार नहीं है। किसी भी देश में इस तरह से आंकड़ों का अध्ययन नहीं किया जाता।
ICMR और WHO की गाइडलाइन का पालन कर रही सरकार
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि सरकार कोरोना के डेटा को लेकर पूरी पारदर्शिता (ट्रांसपेरेंसी) अपना रही है। कोरोना से होने वाली मौतों में गड़बड़ी से बचने के लिए उन गाइडलाइंस का पालन किया जा रहा है, जो भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मई 2020 में जारी की थीं। मौतों का सही रिकॉर्ड रखने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी किए गए ICD-10 कोड का पालन किया जा रहा है।
आंकड़ों की स्टडी करता है केंद्र
केंद्र सरकार पहले ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोरोना का सही डेटा जारी करने के लिए कह चुकी है। केंद्र सरकार की टीमें भी इस पर काम कर रही हैं। राज्यों से आने वाले डेटा का रोजाना जिलेवार अध्ययन किया जाता है। जिन राज्यों से लगातार मौत के आंकड़े काफी कम आ रहे थे, उन्हें जिलेवार फिर से इसकी जांच करने के लिए कहा गया था। केंद्र सरकार ने बिहार सरकार को कोरोना से सभी जिलों में हुई मौतों पर एक रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है।केंद्र ने आगे कहा है कि महामारी के दौरान रिकॉर्ड की गई मौतों में हमेशा अंतर रहता है। इस पर अच्छी तरह से रिसर्च आमतौर पर बाद में ही की जाती है, जब महामारी खत्म हो चुकी होती है तो हमारे पास विश्वसनीय डेटा मौजूद रहता है।
मैगजीन ने 19 सप्ताह के डेटा को बनाया आधार
ब्रिटेन की मैगजीन द इकोनॉमिस्ट ने दावा किया था कि भारत में कोरोना से जितनी मौतें सरकारी आंकड़ों में दिखाई गई हैं, असल में मौतें उससे 5 से 7 गुना ज्यादा हुई हैं। शनिवार को मैगजीन ने एक आर्टिकल पब्लिश किया था। इसमें वर्जिनिया की कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफर लेफलर की रिसर्च को आधार बनाया गया था।रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में 2021 में महामारी के पहले 19 सप्ताह के दौरान प्रति 1 लाख लोगों में से 131 से लेकर 181 लोगों की मौत हुई है। ये डेटा 6 राज्यों में हुई रिसर्च के आधार पर जारी किया गया था। यदि इसे पूरे देश में लागू किया जाए तो 2021 में 19 सप्ताह के अंदर ही 17 लाख से लेकर 24 लाख लोगों की मौत हुई है।
MP में पिछले महीने 1.6 लाख मौतें
इससे पहले शनिवार को सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) के डेटा से खुलासा हुआ था कि मध्य प्रदेश में इस साल मई में 1.6 लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं। पहली बार सरकारी डेटा में दर्ज इन मौतों का हिसाब मिला था। सीआरएस के सरकारी डेटा के मुताबिक इस साल मई में मौतों का आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले 4 गुना ज्यादा है। इस साल जनवरी से मई के बीच पिछले साल की तुलना में 1.9 लाख ज्यादा मौतें हुई हैं। राज्य में मई 2019 में 31 हजार और 2020 में 34 हजार जानें गईं थीं। हालांकि देशभर में लॉकडाउन के चलते मौतों की संख्या अप्रैल 2020 में घटी थी, लेकिन उसी साल मई में संख्या बढ़ने लगी। इस साल मार्च में मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा और अप्रैल तक महीनेभर में दर्ज हो रही मौतों की संख्या दोगुनी हो गई। मई में तो छह महीने के बराबर मौतें दर्ज हुई हैं। हालांकि ये जरूरी नहीं कि ये सभी मौतें कोविड से ही हुई हों।
Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *