कोदो-कुटकी से दूर होगा बच्चों का कुपोषण

कोदो-कुटकी से दूर होगा बच्चों का कुपोषण
जिले की आगनबाडिय़ों मे मोटे अनाज से बने व्यंजनो की सप्लाई
उमरिया। जिले मे बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिये अब उन्हे पौष्टिक आहार के रूप मे मोटे अनाज से बनी हुई खाद्य सामग्री दी जायेगी। राज्य सरकार ने इस संबंध मे एक योजना तैयार कर जिले के महिला बाल विकास विभाग को प्रेषित की है। जिसके मुताबिक आंगनबाडिय़ों मे दर्ज बच्चों को कोदो-कुटकी, ज्वार, बाजरा और मक्का से तैयार बर्फी, नमकीन व बिस्किट प्रदाय किया जाना है। यह सामग्री स्थानीय स्तर पर महिला स्व-सहायता समूह तैयार करेंगे। शासन का मानना है कि इस अनाज मे बड़े पैमाने पर मिनिरल, विटामिन्स तथा विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं। इसके सेवन से नकेवल बच्चों की कमजोरी दूर होगी बल्कि उनका ग्रोथ रेट भी तेजी से बढ़ेगा।
भरपूर कैल्शियम और पाचक
कोदो और कुटकी की खेती जिले के पहाड़ी व दुर्गम इलाकों मे होती है। यह आदिवासियों का पारंपरिक एवं प्रिय भोजन भी है। हलांकि बीते कुछ वर्षो मे इसकी खेती और उपयोग मे भारी कमी आई है। जानकारों का मानना है कि कोदो पाचक और स्वास्थ्यवर्धक आहार है। इसमे 8.3 फीसद प्रोटीन, 1.4 फीसद वसा और 65.9 फीसद कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसमे चावल के मुकाबले 12 गुना कैल्शियम पाया जाता है। यह शरीर मे आयरन सहित कई पौष्टिक तत्वों की कमी को पूरा करता है।
बदतर हैं हालात
उल्लेखनीय है कि कुपोषण के मामले मे मध्यप्रदेश का देश मे तीसरा स्थान है। वहीं उमरिया जिले मे भी स्थिति बेहद खराब है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य मे 48 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं। वहीं कुपोषण से मृत्यु दर 42.8 फीसद है। यह रिपोर्ट वर्ष 2018 मे आई थी। इसके बाद कुपोषित बच्चों की संख्या और बढ़ी है। इसे देखते हुए कुपोषण दूर करने के लिए नए प्रयोग किए जा रहे हैं। पहले चरण मे इसी श्रेणी के 6 जिलों मे कोदो के व्यंजन दिए जाने हैं।
प्रति बच्चे पर 8 रूपये खर्च
वर्तमान मे आंगनबाड़ी केंद्रों मे छह माह से तीन साल तक के बच्चों, गर्भवती व धात्री माताओं को गेहूं-सोया बर्फी, बेसन के लड्डू, हलुआ, खिचड़ी, मीठी लप्सी, उपमा, दलिया आदि दिया जा रहा है। सरकार प्रत्येक बच्चे पर प्रतिदिन आठ रु पये, अधिकतम वजन के बच्चों पर 12 रु पये और गर्भवती एवं धात्री माता और किशोरियों पर 9.50 रु पये खर्च किए जा रहे हैं।
वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा
महिला एवं बाल विकास विभाग का दावा है कि इससे ‘वोकल फॉर लोकलÓ को भी बढ़ावा मिलेगा। क्योंकि रेडी टू ईट बनाने का काम स्व-सहायता समूहों को सौंपा जा रहा है। जिससे समूह के सदस्यों को रोजगार भी मिलेगा।
जल्दी शुरू होगा उत्पादन
शासन द्वारा जिले मे मोटे अनाज से बनी सामग्री बच्चों को प्रदाय करने संबंधी आदेश जारी किया गया है। विभाग द्वारा कृषि, उद्यानिकी, स्वास्थ्य विभाग से समन्वय बैठा कर प्लानिंग की जायेगी। इसके लिये उक्त अनाज की पैदावार वाले इलाकों को चिन्हित कर जल्दी ही उत्पादन शुरू कराया जायेगा।
मनमोहन कुशराम
महिला एवं बाल विकास अधिकारी

अभी केवल 6 जिलों मे शुरूआत
कोदो के गुणों को देखते हुए उसे आंगनबाड़ी केंद्रों मे दर्ज बच्चों के आहार मे शामिल किया जा रहा है। अभी उमरिया सहित 6 जिलों में इसकी शुरु आत की जा रही है। बच्चों ने पसंद किया, तो प्रदेश के दूसरे जिलों मे भी शुरू करेंगे।
अशोक शाह
प्रमुख सचिव
महिला एवं बाल विकास विभाग

 

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