किसी बाहरी संस्था की मुहर की जरूरत नहीं, लेकिन वास्तविकता से कहीं अधित बदतर हैं हालात : राहुल

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दो विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में स्वतंत्रता और लोकतंत्र की स्थिति की आलोचना किए जाने के संदर्भ में कहा कि देश को इन संस्थाओं से मुहर की जरूरत नहीं है, लेकिन यहां हालात कल्पना से कहीं ज्यादा खराब हैं। उन्होंने अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आशुतोष वार्ष्णेय के साथ ऑनलाइन बातचीत में यह दावा भी किया कि अगर कोई फेसबुक और व्हाट्सऐप को नियंत्रित कर सकता है तो फिर लोकतंत्र नष्ट हो सकता है।
उनसे अमेरिकी संस्था फ्रीडम हॉउस और स्वीडन की संस्था वी डेम इंस्टिट्यूट की भारत के संदर्भ में की गई हालिया टिप्पणी के बारे में सवाल किया गया था। उन्होंने कहा ये विदेशी समूह हैं और भारत को इन समूहों की मुहर की जरूरत नहीं है, लेकिन यहां हालात इनकी कल्पना से कहीं ज्यादा खराब हैं। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि वह पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र पर जोर देते हैं और उन्होंने यह कभी नहीं कहा कि कांग्रेस में चुनाव नहीं होना चाहिए। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी कहा कि चुनाव सिर्फ वोट डालना नहीं है, यह उस नेरेटिव के बारे में है, उन संस्थानों के बारे में है जो यह सुनिश्चित करते हैं कि देश में ढांचा ठीक प्रकार से चल रहा है या नहीं। उन्होंने दावा किया कि भाजपा सांसदों ने मुझे बताया कि वे संसद में खुली बहस नहीं कर सकते। उन्हें बताया जाता है कि क्या कहना है। यह बिलकुल सीधी बात है। कांग्रेस नेता ने कहा, हम भयंकर रूप से नौकरी की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यदि यह समस्या हल नहीं हुई तो भारत उस वैश्विक स्थिति में नहीं होगा, जहां वो चीन से आने वाली चुनौतियों का सामना कर सके। राहुल गांधी ने कहा लाखों लोग गांवों से शहरों की ओर आते हैं। हमें उनके लिए कुछ करने की आवश्यकता है, उन्हें एक दृष्टि देने की आवश्यकता है। वो चाहे कृषि और विनिर्माण क्षेत्र में सुधार करके हो या सेवाओं में प्रतिस्पर्धात्मक सुधार करके।

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