किसान आंदोलन में समाधान की उम्मीद

सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने दिए संकेत, सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ लगातार बढ़ रही
नई दिल्ली । कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के 66वें दिन शनिवार को समाधान की उम्मीद जगी है। संसद में बजट सत्र को लेकर हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी पार्टी के नेताओं से कहा कि किसान और सरकार के बीच बातचीत का रास्ता हमेशा खुला है। किसानों और मेरे बीच बस एक कॉल की दूरी है। उधर, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी कहा कि हम प्रधानमंत्री के प्रस्ताव का स्वागत करते हैं। सरकार और किसानों के इस रूख से किसान आंदोलन के समाधान की उम्मीद जगी है। वहीं सिंघु, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर किसानों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। रविवार को मुज्जफरनगर में महापंचायत होगी। उसमें आंदोलन की रूपरेखा पर विचार किया जाएगा। संभवत: रविवार को ही किसान दिल्ली का रूख करेंगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को भरोसा दिलाया कि सरकार किसानों से बातचीत को तैयार है। उन्होंने कहा कि कहा कि मैं नरेंद्र सिंह तोमर की बात दोहराना चाहूंगा। भले ही सरकार और किसान आम सहमति पर नहीं पहुंचे हैं लेकिन हम किसानों के सामनेे विकल्प रख रहे हैं। वो इस पर चर्चा करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से किसानों से कही गई बातों को दोहराना चाहता हूं। उन्होंने कहा था कि हम सहमति (नए कृषि कानूनों पर) तक नहीं पहुंचे हैं, लेकिन हम आपको प्रस्ताव दे रहे हैं। मैं आपसे सिर्फ एक फोन कॉल दूर हैं। जब भी आप फोन करेंगे, मैं बातचीत के लिए तैयार हूं। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के मु़द्दे सुलझाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है।
किसानों का गाजीपुर पहुंचने का सिलसिला जारी
यूपी और हरियाणा से किसान लगातार गाजीपुर पहुंच रहे हैं। उधर, किसान नेताओं ने शनिवार को एक दिन का उपवास रखकर सद्भावना दिवस मनाया। इसके जरिए वे 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा का प्रायश्चित करना चाहते हैं।
राजनीतिक दलों का टिकैत को समर्थन जारी
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत को राजनीतिक दल खुलकर समर्थन देने लगे हैं। शनिवार को यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, दिल्ली कांग्रेस नेता अलका लांबा और हरियाणा से कांग्रेस सांसद दीपेंदर सिंह हुड्डा गाजीपुर पहुंचे। इससे पहले शुक्रवार को राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया गाजीपुर पहुंचे थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी टिकैत से कहा कि उनकी पार्टी किसानों के साथ है।
सिंघु बॉर्डर पर हिंसा के मामले में 44 लोग गिरफ्तार
किसान आंदोलन के सबसे बड़े पॉइंट सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को स्थानीय लोगों और किसानों के बीच हिंसा हो गई। इसमें 5 पुलिसकर्मी घायल हो गए। एक उपद्रवी ने एसएचओ पर तलवार से हमला कर दिया था। इस मामले में अब तक 44 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
72 टीमें दूसरे राज्यों के किसानों को साथ लाएंगी
आंदोलन को मजबूत करने के लिए पंजाब के किसान अब दूसरे राज्यों के किसानों को भी साथ लाएंगे। इसके लिए पटियाला से 700, मोगा से 450, गुरदासपुर से 50 और होशियारपुर के टांडा से 70 किसान दिल्ली के लिए रवाना हो गए। 41 किसान संगठनों की 72 टीमें हर घर से एक सदस्य को भेजेंगी। ये टीमें दूसरे राज्यों के किसानों को प्रदर्शन में लाएंगी।
सरकार और पुलिस एक्शन में
पिछले 4 दिन में 2 बार हुई हिंसा के बाद सरकार और पुलिस की तरफ से लगातार एक्शन हो रहा है। केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के तीनों अहम पॉइंट सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर इंटरनेट सर्विस 31 जनवरी की रात 11 बजे तक बंद कर दी है। वहीं 26 जनवरी को हुई हिंसा के सबूत जुटाने के लिए दिल्ली क्राइम ब्रांच और फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम शनिवार को लाल किले पहुंची। उधर, दिल्ली पुलिस की टीम ने शनिवार को जालंधर में छापा मारा। यह कार्रवाई भी लाल किले में हुए उपद्रव के मामले में की गई। इसके बारे में जालंधर पुलिस ने बताया कि लाल किले की घटना में शामिल तरन तारन के दो युवकों के यहां छिपे होने की सूचना थी। इसलिए, दिल्ली पुलिस ने यहां के एक इलाके में छापा मारा, लेकिन आरोपी नहीं मिले।
पुलिसकर्मियों के परिवारों ने प्रदर्शन किया
26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुए उपद्रव में करीब 400 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इसके विरोध में दिल्ली पुलिस महासंघ और घायल जवानों के परिवारों के लोग शहीदी पार्क में प्रदर्शन किया। हिंसा में घायल हेड कॉन्स्टेबल अशोक कुमार ने बताया, मैं लाल किले के गेट पर तैनात था। हम भीड़ को बाहर निकाल रहे थे, इसी दौरान उपद्रवियों ने अचानक हमला कर दिया। उनके हाथों में लाठियां और तलवारें थीं। मुझे सिर और पैरों में चोटें आईं हैं।

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