सरकार और किसानों के बीच बातचीत आज
नई दिल्ली । सरकार और किसानों के बीच 21 दिन बाद बुधवार को 7वें दौर की बातचीत होगी। किसानों ने सरकार को 29 दिसंबर की तारीख दी थी, लेकिन सरकार की तरफ से 30 दिसंबर का न्योता मिला। जिसे किसानों ने मान लिया, लेकिन कहा कि सरकार एजेंडा बताए। सरकार ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी मुद्दों पर अगले दौर की बातचीत के लिए 30 दिसंबर को आमंत्रित किया है। सरकार के इस कदम का उद्देश्य तीन नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध का समाधान निकालना है। किसान संगठनों ने सितंबर में लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर तरीके सहित एजेंडे पर बातचीत के लिए पिछले हफ्ते एक प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद सरकार ने उन्हें आमंत्रित किया है। कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किसान संगठनों को लिखे एक पत्र के जरिए उन्हें दिल्ली के विज्ञान भवन में बुधवार दोपहर दो बजे बातचीत करने का न्योता दिया है। पिछली औपचारिक बैठक पांच दिसंबर को हुई थी, जिसमें किसान संगठनों के नेताओं ने तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मुख्य मांग पर सरकार से स्पष्ट रूप से जवाब देने को कहा था। किसान संगठनों के प्रस्ताव पर संजय अग्रवाल ने कहा कि सरकार भी एक स्पष्ट इरादे और खुले मन से सभी मुद्दों का एक तार्किक समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध है। बैठक के लिए किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित एजेंडे के बारे में सचिव ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों पर विस्तार से चर्चा होगी। हालांकि, सरकार के पत्र में किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित एक प्रमुख शर्त का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है, जिसमें किसानों ने नये कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर तरीकों पर चर्चा किए जाने की मांग की थी।
कृषि समेत बिजली कानून वापस लेने पर अड़े
किसानों और केंद्र सरकार के बीच 7वें दौर की बातचीत बुधवार को होनी है। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को चि_ी लिखी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ कुछ मांगों को लेकर चि_ी लिखी है। इसमें किसानों ने अपनी मांगों की ओर सरकार का ध्यान केंद्रीत किया है। किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग। सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान तय किया जाए। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 में ऐसे संशोधन हों जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं। किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को वापस लेने की प्रक्रिया।
सिंघु बॉर्डर पर किसानों को फ्री वाई-फाई
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता राघव चड्ढा ने कहा है कि सिंघु बॉर्डर पर किसानों के लिए फ्री वाई-फाई की सुविधा दी जाएगी। दूसरी तरफ विपक्षी दलों की ओर से किसानों को गुमराह करने के आरोपों पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष इतना मजबूत होता, तो किसानों को आंदोलन की जरूरत ही नहीं पड़ती।
अंबानी के प्रोडक्ट्स का विरोध तेज
पानीपत में समालखा के पास जीटी रोड पर स्थित रिलायंस के पेट्रोल पंप को किसानों ने बंद करा दिया। पोस्टर और बैनर फाड़ दिए। पुलिस ने केस दर्ज किया है। 3 पुलिसकर्मियों को पंप पर तैनात किया गया है। पंप के मैनेजर ने बताया कि यह तीसरी घटना है, जब किसानों ने पेट्रोल पंप को बंद कराया है। उधर, पंजाब में अब तक करीब 1500 टेलीकॉम टावरों को नुकसान पहुंचाया जा चुका है। इनमें ज्यादातर रिलायंस जियो के हैं। इससे मोबाइल सेवा पर असर पड़ा है। रिलायंस जियो ने टावरों की सुरक्षा के लिए पंजाब पुलिस से मदद मांगी है।
तो 31 दिसंबर को ट्रैक्टर मार्च
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, जो प्रस्ताव हमने रखे हैं, उस पर चर्चा करेंगे। कानून वापस नहीं लिए गए तो यहीं बैठे रहेंगे। किसान 30 दिसंबर को ट्रैक्टर मार्च का ऐलान भी कर चुके हैं। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि सरकार से बातचीत सफल नहीं रही तो 31 दिसंबर को मार्च निकाला जाएगा।
पटना में बवाल
किसान आंदोलन के समर्थन में पटना में किसान महासभा और वामदलों से जुड़े 10 हजार कार्यकर्ता मार्च निकाल रहे थे। गांधी मैदान से राजभवन की ओर निकले कार्यकर्ताओं को पुलिस ने डाकबंगला चौराहे पर रोक दिया। यहां से राजभवन की दूरी करीब 4 किमी है। प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ राजभवन की तरफ बढऩे की कोशिश कर रहे थे। पुलिस ने समझाया, लेकिन नहीं माने। ऐसे में उनकी पुलिस से धक्कामुक्की हो गई और पुलिस ने लाठीचार्ज किया। प्रदर्शनकारी डाकबंगला चौराहे पर ही धरने पर बैठ गए और राजभवन जाने की जिद पर अड़ गए। बाद में करीब 2.45 बजे वहां से हटे। उधर, अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार प्रदेश सचिव रामाधार सिंह ने कहा कि सरकार विरोध-प्रदर्शन को खत्म करना चाहती है। राजभवन मार्च नहीं करने देना किसानों पर अन्याय है। हम लोग राजभवन जाकर राज्यपाल को ज्ञापन देना चाहते हैं।
किसान आंदोलन को लेकर फैसले की घड़ी
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