पहाड़ पर पानी पहुंचाने की योजना से घबराये किसान, बांध की क्षमता पर भी सवाल
बांधवभूमि, उमरिया
आकाशकोट के दो दर्जन से ज्यादा गांव को उमरार जलाशय के पानी से प्यास बुझाने की उम्मीद जताई गई है। इसके लिए सरकार ने अपने स्तर पर उमरार के पानी का आवंटन भी कर दिया है, लेकिन पहाड़ पर पानी भेजा गया तो फिर जमीन पर किसानों का क्या होगा। दरअसल पिछले कई वर्षों से उमरार जलाशय पूरी तरह से नहीं भर पा रहा है, जिसके कारण पानी का संकट भी उत्पन्न हो सकता है। रबी के सीजन मे जब ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है तब किसानों को पानी नहीं मिल पाता है। वहीं दूसरी तरफ उमरार के पानी से सिंचाई का रकबा बढ़ाने का मामला भी अधर मे ही है। जलाशय के पानी पर आधारित क्षेत्र के सैकड़ों किसान इस योजना को लेकर खासे चिंतित हैं। उनका कहना है कि बीते कुछ वर्षो से एक तरफ जहां बांध मे पानी की आवक कम हुई है, वहीं पेयजल के लिये जरूरत लगातार बढ़ती जा रही है। इसी वजह से सीच के लिये बमुश्किल एक या दो बार ही पानी उपलब्ध हो पा रहा है। ऐसे मे किसी नई पहल से पहले बांध की क्षमता को बढ़ाने के उपाय जरूरी हैं।
सिर्फ 3.74 एमसीएम पानी
पिछले वर्ष बारिश मे उमरार जलाशय पूरी तरह से नहीं भर पाया था। इस जलाशय मे बमुश्किल 64 प्रतिशत पानी ही था। खरीफ और रबी के अलावा उमरिया नगर मे पीने के लिए पानी देने के बाद वर्तमान मे इस जलाशय मे महज 3.74 एमसीएम पानी ही उपयोगी है। हालांकि 2.20 एमसीएम डेड वाटर भी है जो किसी भी तरह उपयोगी नहीं होता है।
बकि उमरार जलाशय की सिंचाई क्षमता बढ़ाने की मांग लगातार हो रही है।
पहले पीने की व्यवस्था
इस बारे मे जानकारी देते हुए एसडीओ डब्ल्यूआरडी कमलाकर सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन ने जलाशयों का पानी पहले पीने के लिए संरिक्षत किया है। जिसके कारण सिंचाई के लिए उसका उपयोग दूसरे क्रम मे चला गया है। इस नियम के तहत उमरार जलाशय का पानी तीन भागों मे बांटा गया है। पहला उमरिया नगर के पीने के लिए दो एमसीएम, आकाशकोट के लिए तीन एमसीएम और शेष पानी सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा।
तीन भागों मे बांटा आवंटन
पांच एमसीएम पानी पीने के लिए संरिक्षत होने के बाद सिंचाई के लिए बमुश्किल छह एमसीएम पानी ही शेष रह जाएगा। इसकी वजह दो वजह हैं। एक तो जलाशय पूरा नहीं भर पा रहा है और दो से ढाई एमसीएम पानी तो डेड वाटर की श्रेणी मे रह जाता है। आकाशकोट जलसंर्वद्धन योजना पर वर्ष 2019 मे भी काम शुरू होने वाला था। इसके लिए जल निगम ने अपना एक प्रोजेक्ट तैयार किया था लेकिन उस समय डब्ल्यूआरडी ने उमरार जलाशय से पानी देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया था कि इससे सिंचाई के लिए पानी दे पाना मुश्किल हो जाएगा।
इस तरह होगा काम
डब्ल्यूआरडी से पानी की स्वीकृति मिलने के बाद अब जलजीवन मिशन द्वारा यहां एक वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। समूह जल प्रदाय योजना का जो प्रस्ताव भेजा है उसके अनुसार हर घर मे नल का कनेक्शन दिया जाएगा। इसके लिए पहले उमरार जलाशय से आकाशकोट मे बनने वाले वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पानी भेजने के लिए पाईप लाइन बिछाई जाएगी और फिर वहां से सभी पच्चीस ग्रामों तक भी पाईप लाइन बिछानी होगी। इसके लिए सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है।
संकट से गुजर रहे लोग
आकाशकोट के पच्चीस गांवों की पानी की समस्या के समाधान के लिए कई बार प्रयास हो चुके लेकिन कोई फायदा यहां के लोगों को नहीं मिला। पिछले साल भी पीएचई ने कई बोर कराए थे लेकिन कोई भी बोर सफल नहीं हुआ परिणामस्वरूप यहां की प्यास बरकरार रही। इस क्षेत्र के ग्रामों मे पानी की इतनी ज्यादा किल्लत है कि लोग कई-कई किलोमीटर दूर से और नीचे से पानी ढोते हैं।
इनका कहना है
पेयजल के लिए उमरार के पानी का आवंटन राज्य स्तर पर किया गया है। पिछले साल जलाशय पूरा नहीं भरा था इसलिए अभी पानी कम बचा है। जलाशय पूरा भर जाता है तो किसी भी तरह की समस्या नहीं आएगी।
कमलाकर सिंह,
एसडीओ डब्ल्यूआरडी, उमरिया