सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा-कानूनी दायरे मे करायें चुनाव
भोपाल।मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के बाद अब पंचायत चुनाव भी टलने के आसार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि कानून के दायरे में रहकर ही चुनाव करवाए। OBC के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करे, जबकि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में 13% सीटें पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए रिजर्व की गई हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करने के लिए नए सिरे से आरक्षण प्रक्रिया करनी होगी। बता दें कि सीटों का आरक्षण संबंधित क्षेत्र की आबादी के हिसाब से होता है। इसे लेकर चुनाव आयोग ने शनिवार को बैठक बुलाई है। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में 8% अनुसूचित जाति (SC), 14% अनुसूचित जनजाति (ST), 13% पिछड़ा वर्ग (OBC) और शेष 65% सीटें सामान्य वर्ग के लिए रिजर्व की गई हैं। यह आरक्षण 50% से ज्यादा है।मप्र में 52 जिले हैं। इस हिसाब से 26 से ज्यादा सीटें रिजर्व हो सकती हैं, लेकिन वर्तमान में 35 सीटें रिजर्व हैं। यानी 9 सीटें सामान्य करना होंगी। इसके लिए आरक्षण की प्रक्रिया नए सिरे से करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून का पालन नहीं होगा, तो भविष्य में चुनाव को रद्द भी किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को करेगा।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण रद्द
पंचायती राज आयुक्त आलोक कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश के 52 जिला पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण को रद्द कर दिया गया है। आरक्षण प्रक्रिया शनिवार 18 दिसंबर को होने वाली थी। इस संबंध में देर शाम आदेश जारी कर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।
महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव पर आ चुका है फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर को महाराष्ट्र में स्थानीय चुनावों में OBC के लिए आरक्षित 27% सीटों के अध्यादेश को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने 6 दिसंबर के आदेश में तब्दीली से इनकार करते हुए कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग अपनी पिछली अधिसूचना में बदलाव करते हुए हफ्ते भर में नई अधिसूचना जारी करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिसूचना में पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण के प्रावधान को रद्द करते हुए बाकी 73% सीटें सामान्य श्रेणी के लिए रखे जाने की नई अधिसूचना एक हफ्ते में जारी करने का आदेश आयोग को दिया है।
आयोग ने बुलाई बैठक
आयोग के सचिव बीएस जामोद ने आगे फैसला लेने के लिए कानूनी राय के लिए शनिवार को अफसरों की बैठक बुलाई है। संभावना है कि बैठक के बाद आयोग सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति के साथ पत्र लिखकर पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कह सकता है।
जानिए, क्या है ट्रिपल टेस्ट
1- राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना।
2- आयोग की सिफारिशों में स्थानीय निकायवार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो।
3- किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50% से अधिक नहीं होगा।