का वर्षा, जब कृषि सुखानी
बारिश के बिना सूखी किसानो की फसल, नहीं सुधर रही मानसून की चाल
उमरिया। अच्छी शुरूआत के बावजूद भटक चुका मानसून अब भी लौटने को तैयार दिखाई नहीं देता। आलम यह है कि सीजन का लगभग 80 फीसद समय बीत जाने के बाद भी जिले मे मात्र 55 प्रतिशत वर्षा ही हुई है। जिसकी वजह से अधिकांश जलाशय खाली हैं, वहीं नदी-नालों से बहाव नदारत है। उल्लेखनीय है कि आरंभ मे झमाझम बरसात होने से उत्साहित किसानो ने खरीफ की खेती मे अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। लेकिन बाद मे अचानक वर्षा ने एकदम से सुर बदल लिया। पर्याप्त बारिश न होने और तापमान मे हुई बढ़ोत्तरी के कारण खेतों से नमी गायब हो गई है। लिहाजा फसलों को तत्काल सिचाई की जरूरत है। जिन किसानो के पास ट्यूबवेल, कुएं या अन्य साधन है, उन्हे बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा है। जानकारों का मानना है कि यह समय धान के निपसने का है, यदि अभी पौधों को पानी नहीं मिला तो इसका सीधा असर फसल के दाने पर पड़ेगा। इसके बाद यदि बारिश हुई भी तो कोई फायदा नहीं रहेगा।
283.4 एमएम कम बारिश
अधीक्षक भू अभिलेख के मुताबिक जिले मे अब 770 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। जिसमे बांधवगढ मे 770..4 मिमी, मानपुर मे 814.7 मिमी तथा पाली मे 725 मिमी वर्षा शामिल है। यदि पिछले वर्ष के आंकडों पर निगाह डाली जाय तो इस अवधि तक जिले मे 1054.1 मिमी वर्षा हो चुकी थी। जिसमें बांधवगढ़ मे सवाधिक 1180.4 मिमी, मानपुर मे 964.8 मिमी तथा पाली मे 1017 मिमी वर्षा हुई थी। इस तरह से पिछले वर्ष की तुलना मे इस बार 283.4 एमएम कम बारिश हुई है। जिले मे औसम वर्षा का आंकड़ा 1359.3 है।
सूखाग्रस्त घोषित हो जिला:कांग्रेस
कांग्रेस ने मप्र शासन से उमरिया को सूखाग्रस्त जिला घोषित करने की मांग की है। पार्टी के प्रदेश महासचिव एवं पूर्व विधायक अजय सिंह ने कहा कि पर्याप्त बारिश न होने एवं बिजली की भीषण समस्या से खरीफ की फसल को भारी नुकसान हुआ है। दूसरी ओर अभी भी बांध, तालाब, नदी, नालों मे भराव नहीं हो सका है, जिससे नागरिकों को इस बार शीत ऋतु से ही पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है। इन परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश सरकार जिले को तत्काल सूखाग्रस्त घोषित करे। कांग्रेस ने सरकार से बारिश न होने के कारण फसलों को हुई नुकसानी का आंकलन कर किसानो को मुआवजा प्रदान करने की भी मांग की है।