कोयला खदानो मे नहीं उतरे कर्मचारी

कोयला खदानो मे नहीं उतरे कर्मचारी
निजीकरण के विरोध मे हड़ताल सफल, जोहिला क्षेत्र को लाखों का नुकसान
बांधवभूमि न्यूज,
मध्यप्रदेश
उमरिया
कोयला क्षेत्र के निजीकरण तथा केन्द्र की अन्य श्रमविरोधी नीतियों के खिलाफ शुक्रवार को बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल का जिले मे व्यापक असर देखा गया। इस दौरान जोहिला क्षेत्र की खदानो मे कार्यरत करीब 90 फीसदी कर्मचारी काम पर नहीं आये। गौरतलब है कि श्रमिक संगठनो के सयुक्त मोर्चे, जिसमे एचएमएस, एटक, इंटक और सीटू शामिल है, द्वारा 16 फरवरी को हड़ताल का आहवान किया गया था। हलांकि बीएमएस के पदाधिकारियों और कम्पनी के अधिकारियों ने खुद को इससे बाहर रखा। इस मौके पर संगठनो के वरिष्ठ पदाधिकारी सुबह से ही कोयला खदानो मे डंट गये थे। उनकी सक्रियता के कारण वहां मौजूद कई श्रमिक वापस अपने घरों को लौट गये। इस अवसर पर संयुक्त मोर्चा के संरक्षक उदय प्रताप सिंह, अमृतलाल विश्वकर्मा, भुवनेश्वर मिश्रा, अशोक पांडेय, मो. शाहिद, सुनील कोरी, मनीष सिंह, बृजेश शुक्ला आदि उपस्थित थे।
यूपी मे महज 40 टन उत्पादन
उल्लेखनीय है कि जिले मे संचालित कोल इण्डिया के एसईसीएल जोहिला क्षेत्र मे 5 भूमिगत तथा 1 ओपन कास्ट माईन्स है। जिनमे लगभग 5000 से 5500 टन प्रतिदिन कोयले का उत्पादन होता है। इसमे 50 फीसदी अण्डर ग्राउण्ड तथा शेष हिस्सा खुली खदान का है। श्रमिक संगठनो का दावा है कि हड़ताल के कारण महज 10 से 20 प्रतिशत कोयले का उत्पादन ही हो सका है। उन्होने बताया कि प्रथम पल्ली मे यूपी माइन्स से महज 40 टन उत्पादन हुआ है। वहीं सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन ने कंचनपुर ओसी माइन्स मे निजी ठेकेदारों द्वारा प्रोडक्शन करने का प्रयास किया, जिसकी वजह से कुछ भरपाई जरूर हुई है।
पूंजीपतियों को सौंपा जा रहा उद्योग
हड़ताल के दौरान श्रमिक संगठनो के पदाधिकारियों ने केन्द्र सरकार पर कोयला उद्योग को पूंजीपतियों के हांथ सौंपने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश मे जबसे भाजपा की सरकार बनी है, तभी से कोल इण्डस्ट्री को एक सोची-समझी रणनीति के तहत कमजोर किया गया, ताकि इसकी कमान अपने मित्रों और पूजीपतियों के हांथ मे दी जा सके। वर्ष 2015 मे संसद मे किया गया कोयला उद्योग विशेष प्रावधान इसी साजिश का हिस्सा है। जिसने उद्योग के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। इस बिल का संसद मे विपक्षी पार्टियों तथा बाहर कोयला मजदूरों द्वारा व्यापक स्तर पर विरोध किया गया। संयुक्त मोर्चा ने कोयला श्रमिकों के सांथ ही जिले के व्यापारियों और नागरिकों से भी केन्द्र सरकार की उद्योगविरोधी नीति के खिलाफ सहयोग तथा एकजुट होने की अपील की है।
कोयला फण्ड का दुरूपयोग
श्रमिक नेताओं ने बताया कि केन्द्र सरकार कोयला मजदूरों द्वारा अर्जित कोयला फण्ड का दुरूपयोग कर रही है। उनके मुताबिक साल 2016 मे कम्पनी के पास 30 हजार करोड़ रुपया फण्ड था। इस धन को उद्योग, उत्पादन क्षमता बढ़ाने व कोयला मजदूरों के जीवन स्तर को सुधारने पर खर्च करने की बजाय सरकार ने विशेष लाभांश के रूप मे पूंजीपतियों को बांट दिया। उनका कहना है कि कहीं कोयले की कृतिम कमी तो कहीं खदानो को घाटे मे बता कर सरकार इन्हे बेंचने का रास्ता तैयार कर रही है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोयला उद्योग को निजी हाथों मे सौंपने तथा श्रमिकों और खदानो के लिये अपनी जमीने देने वाले किसानो के शोषण की नीति पर विचार करें, अन्यथा देश को भीषण बेरोजगारी और बेकारी की चपेट मे आने से कोई नहीं बचा पायेगा।
मुझे नहीं है कोई जानकारी
खदानो मे हड़ताल तथा इससे कोयले का उत्पादन प्रभावित होने के संबंध मे मुझे कोई जानकारी नहीं है।
केसी साहू
महाप्रबंधक
एसईसीएल जोहिला क्षेत्र
Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *