कुत्तों से दौड़ा कर किया चीतल का शिकार
बांधवगढ़ नेशनल पार्क मे अब शिकारियों की कारस्तानी आई सामने
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ मे घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते दिनो संदेहास्पद तरीके से एक के बाद एक हुई 11 हाथियों मौत फिर मानपुर परिक्षेत्र के ग्राम कुदरी से रेसक्यू किये गये तेंदुए द्वारा मुकुंदपुर मे उपचार के दौरान दम तोडऩे का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि पतौर रेंज के उमरिया बकेली मे चीतल के शिकार का नया प्रकरण सामने आ गया है। हलांकि विभागीय टीम ने तत्परतापूर्वक कार्यवाही करते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत मे भेज दिया है।
जहां मारा, वहीं काटा
इस संबंध मे जानकारी देते हुए नेशनल पार्क के उप संचालक पीके वर्मा ने बताया कि शुक्रवार को मुखबिर द्वारा जानकारी मिलते ही उप वनमण्डलाधिकारी पनपथा बीएस उप्पल के मार्गदर्शन तथा परिक्षेत्र अधिकारी अर्पित मैराल के नेतृत्व मे टीम को मौके पर रवाना किया गया। श्री वर्मा के अनुसार शिकारियों ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पतौर रेंज की बमेरा बीट स्थित पतमन हार मे अवैध रूप से प्रवेश किया। फिर पालतू कुत्तों से दौड़ा कर एक चीतल के शावक को मरवा डाला। शिकार के बाद वे शावक को काट कर अपने सांथ ले गये। इस कार्यवाही मे परिक्षेत्र अधिकारी अर्पित मैराल, परिक्षेत्र सहायक संतोष कुमार चतुर्वेदी, वनरक्षक योगेश कुमार पाण्डेय, वीरेन्द्र कुमार पटेल, डी रज्जू सिंह पेन्द्रे, कैलाश प्रसाद चौधरी तथा अन्य कर्मचारियों का विशेष योगदान था।
हाथियों की मौत पर एनजीटी ने दिया नोटिस
इधर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बांधवगढ़ मे 10 जंगली हाथियों की मौत मामले मे टाइगर रिजर्व प्रबंधन को नोटिस जारी कर 12 दिसंबर से पहले जवाब मांगा है। एनजीटी का कहना है कि कोदो की फसल मे माइसोटॉक्सिन पदार्थ पाया जाना चिंताजनक है। ट्रिब्यूनल ने इस संबंध मे राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, जिले के कलेक्टर सहित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) व भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के निदेशक और केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव से जवाब तलब किया है। गौरतलब है कि पार्क मे जंगली हाथियों की मौत 29 अक्टूबर से 01 नवंबर के बीच हुई थी।
हलफनामे मे दें जवाब
बताया जाता है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों को 12 दिसंबर को अगली सुनवाई से पहले एनजीटी की केंद्रीय क्षेत्रीय पीठ के समक्ष हलफनामे के रूप मे अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कोदो पर उठने लगे सवाल
उल्लेखनीय है कि जंगली हाथियों की मौत के पीछे की वजह जानने के लिए अलग-अलग एजेंसियों द्वारा जांच की गई। इन्हीं मे से एक उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई)ने उक्त मौतें अत्यधिक मात्रा मे जहरीला कोदो खाने से होना बताया है। जिसके बाद से पूरे देश मे गांव की मुख्य फसल कोदो को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।