कटौती, कोरोना और बारिश की बेरूखी
कम होने का नाम नहीं ले रही जनता की समस्यायें, सूझ नहीं रहा कोई इलाज
उमरिया। कोरोना का डर, बिजली की भीषण कटौती उस पर बारिश की बेरूखी ने जनता के लिये भीषण समस्या खडी कर दी है। ऐसा लगता है कि इस बार सारी मुसीबतें एक सांथ इंसान पर हमला करने पर आमादा हैं। कोरोना महामारी के कारण देश के विभिन्न हिस्सों मे नौकरी कर परिवार की आर्थिक मदद करने वाले हजारों मजदूर आकर घरों मे बैठ गये हैं, अब उनके सामने केवल खेती-किसानी ही एक मात्र विकल्प है, वह भी खंडित मानसून और विद्युत विभाग की मनमानी की भेंट चढ रही है। ग्रामीण अंचलों मे लो-वोल्टेज और बिजली की किल्लत अभी भी बनी हुई है, जिसके कारण पंप नहीं चल रहे हैं। सिचाई के आभाव मे खडी फसलें सूख कर तबाह हो रही हैं। किसान अफसरों और बिजली विभाग के कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। अधिकारियों द्वारा उन्हे इस संबंध मे कोई भी समाधानकारक जवाब नहीं दे रहे हैं, जिससे आये दिन विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
डीजल ने तोड दी कमर
बिजली न मिलने के कारण जनरेटर या डीजल पंप से सिचाई कर किसी तरीके से अपनी फसलों को बचाने की कोशिश मे जुटे किसानो के लिये डीजल की कीमतों ने मुसीबत खडी कर रखी है। पिछले साल तक 60 रूपये के आसपास बिक रहा डीजल इस वर्ष 83 रूपये हो गया है। उन्होने बताया कि एक घंटे मे डीजल पंप डेढ से ढाई लीटर डीजल खाता है, यदि खेतों मे इससे सिचाई की जाय तो एक बार की सिचाई मे ही हजारों रूपये का खर्च आयेगा। कुल मिला कर किसानो के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरे तरफ खाई की स्थिति बन गई है।
फसल बर्बाद होते नहीं देख सकते
वहीं किसानो का कहना है कि लो-वोल्टेज और अघोषित कटौती के कारण खेतों मे सिचाई नहीं हो पा रही है। महीनो गावों मे टांसफार्मर जले हुए हैं, इन्हे बदला नहीं जा रहा है। इस मामले मे जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी सुनवाई तो दूर सभ्यता से बात तक नहीं करते। किसानो की व्यथा सुनने वाला कोई नहीं है। उनका कहना है कि कर्ज लेकर और दिन-रात मेहनत करके जो फसल बोई है, उसे अपने आखों से बर्बाद होते देखा नहीं जा रहा।
चंदिया मे जारी है बिजली की आंख-मिचौली
तहसील मुख्यालय चंदिया और आसपास के दर्जनो गावों का भी यही हाल है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उनके यहां 24 घंटों मे बीसों बार बिजली गुल होती है। वोल्टेज इतना कम है कि बल्ब जुगनू की तरह जल रहे हैं। उमस भरी इस गर्मी मे पंखे नहीं चलने से हाल-बेहाल हैं। नगर के जेई की महिमा तो किसी से छिपी नहीं है। वे सीधे तौर पर कहते हैं कि जैसे हालात हैं, वैसे आगे भी बने रहेंगे। इसके बाद तो सारी बात ही खत्म हो जाती है।
28 दिन से बंद है घुलघुली की बिजली
नौरोजाबाद क्षेत्र के एक प्रमुख ग्राम घुलघुली मे बीते 28 दिनो से बिजली नहीं है। इसका कारण वहां के ट्रांसफार्मर का जल जाना बताया जाता है। ग्रामीणो से मिली जानकारी के मुताबिक गांव का ट्रांसफार्मर तीन बार बदला गया परंतु हर बार बदला गया ट्रांसफार्मर वह घंटे मे ही धुआं छोड कर शांत हो गया। जिसकी वजह से गांव मे न तो बिजली जल रही है और नां ही अन्य कोई उपकरण।
ट्रांसफार्मरों पर क्षमता से ज्यादा दबाव
र्प्याप्त बारिश न होने से ट्रांसफार्मरों पर क्षमता से अधिक दबाव है, इसी वजह से इनके जल्दी-जल्दी जलने की समस्या आ रही है। विभाग द्वारा लगातार ट्रांसफार्मरों को बदले जाने का कार्य किया जा रहा है। घुलघुली की समस्या के संबंध मे मुझे जानकारी नहीं है, वहां भी तत्काल कार्यवाही की जायेगी।
एलके नामदेव
प्रमुख अभियंता
विद्युत विभाग, उमरिया
कटौती, कोरोना और बारिश की बेरूखी
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