कई देशों में सख्त लॉकडाउन लगा, फिर भी तेज गर्मी

नई दिल्ली । भारत समेत दुनिया के कई देशों ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अलग-अलग समय पर सख्त लॉकडाउन लगाया था। भारत में तो पिछले साल मार्च में लगा पहले चरण का लॉकडाउन इतना सख्त था कि आम लोगों की गाड़ियां और सार्वजनिक वाहन बमुश्किल सड़कों पर नजर आते थे। यानी जीवाश्म ईंधन का कम इस्तेमाल हुआ। दूसरी लहर में भी अलग-अलग राज्यों ने लॉकडाउन लगाए। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा था कि भारत में तापमान में कुछ गिरावट दर्ज की जाएगी। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। गर्मी का कहर लगातार बढ़ता रहा। मानसून देरी से आया और गर्म मौसम का लंबा दौर देखने को मिल रहा है। 17 अगस्त के आंकड़ों को देखा जाए तो दिल्ली में इस दिन 10 साल में सबसे ज्यादा तापमान दर्ज किया गया। यह सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा है। ऐसे में यह जानना बेहद अहम है कि लॉकडाउन के दौरान वाहनों के कम उपयोग, उद्योगों की बंदी और इंसानी गतिविधियों के कम पड़ने के बावजूद देश और दुनिया में तापमान बढ़ने की वजह क्या रही? पिछले दो दशकों में हुआ जलवायु परिवर्तन कठोर मौसम के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। दरअसल, तापमान में कोई भी उछाल या गिरावट 10 सालों के औसत के आधार पर ही तय होती है। आंकड़ों के मुताबिक, 2011-20 इतिहास का अब तक का सबसे गर्म दशक रहा है। इस दौरान पृथ्वी का औसत तापमान 0.82 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा है। 2011-20 में गर्मी का औसत स्तर अचानक नहीं बढ़ा, बल्कि इस दौरान पिछले दशक यानी 2001-2010 का रिकॉर्ड टूटा था। 2001-10 में धरती का औसत तापमान करीब 0.62 डिग्री सेल्सियस बढ़ा था, जो कि तब किसी भी दशक में तापमान में आए उछाल का एक रिकॉर्ड था। वैश्विक तापमान के लगातार बढ़ने की वजह से दुनियाभर में मौसम के पैटर्न में भी बदलाव दर्ज किया है। आने वाले समय में गर्म लहरों और भारी बारिश की घटनाओं में काफी इजाफा हो सकता है। इसके सीधे तौर पर 2 कारण हैं।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *