औंधे मुंह गिरा गेंहू का भाव
निर्यात पर रोक लगाने की खबर का असर, जिले मे 100 रूपये घटे दाम
बांधवभूमि, उमरिया
केन्द्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने की घोषणा का असर जिले मे साफ दिखाई दिया। शनिवार सुबह जैसे ही यह खबर फैली, बाजार औंधे मुंह जा गिरा। रात तक मण्डियों मे जो गेहूं 1970 रूपये प्रति क्विंटल आराम से बिक रहा था, यह गिर कर 1850 रूपये प्रति क्विंटल रह गया। हलांकि रविवार को बाजार थोड़ा सुधरा और दाम करीब 25 रूपये बढ़ कर 1875 रूपये क्विंटल पर जा पहुंचे। उल्लेखनीय है कि रूस-यूक्रेन युद्ध तथा अन्य वैश्विक कारणो से इस बार गेहूं की पूंछ-परख तेजी से बढ़ी थी। यही कारण है कि पहली बार किसानो की उपज सहकारी समितियों के बाहर खुले मार्केट मे आसानी से बिक रही थी। बाजार मे उनका माल उसी स्थिति मे खरीदे जाने के सांथ पैसा भी तत्काल मिल रहा था। जबकि समितियों मे गेहूं छन्ना करा कर लिया जा रहा था। उसकी छनाई भी किसानो को ही देनी पड़ रही थी, वहीं भुगतान भी देर से प्राप्त हो रहा था। जिससे उपार्जन केन्द्रों की तुलना मे व्यापारी अनाज खरीदी मे बाजी मार रहे थे। जानकारों का मानना है कि अभी भी बहुत सारा गेहूं मार्केट मे आना बाकी है। कई सक्षम किसान तो दाम और बढऩे के इंतजार मे माल रोक कर बैठे थे, परंतु सरकार के फैंसले से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
समितियों मे महज 30 फीसदी उपार्जन
इस वर्ष सहकारी समितियों के उपार्जन मे भारी गिरावट आई है। विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अब तक केन्द्रों मे मात्र 1 लाख 40 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है। जबकि बीते सीजन मे यह आंकड़ा 4 लाख 70 हजार मीट्रिंक टन था। खरीदी की अंतिम तारीख 16 मई है। बचे हुए 1 दिन मे करीब 5 हजार टन और उपार्जन होने का अनुमान है। इस तरह से कुल खरीदी डेढ़ लाख टन के आसपास ही हो सकेगी, जो कि बीते वर्ष के मुकाबले 30 फीसदी से भी कम है।
किसानो को लगेगी लाखों की चपत
दूसरी ओर जिले की कृषि उपज मण्डियों के माध्यम से व्यापारियों द्वारा करीब 1 लाख 35 हजार क्विंटल गेहूं खरीदा गया है। यह पहला मौका है जब इतने बड़े पैमाने पर किसानो ने उपार्जन केन्द्रों के बाहर अपनी फसल बेंचने मे रूचि दिखाई है। लोगों का कहना है कि जिले मे गेहूं का औसतन उत्पादन 4 लाख क्विंटल के आसपास होता है। मण्डी और समितियों मे आये अनाज को जोड़ दें, तो अभी तक दोनो स्थानो पर लगभग 2 लाख 75 हजार क्विंटल ही माल उपार्जित हो सका है। इसका मतलब यह हुआ कि अभी भी करीब सवा लाख क्विंटल गेहूं बाहर आना बाकी है। ऐसे मे यदि बाजार भाव नहीं उठे तो किसानो को लाखों की चपत लगना तय है।
गरीबों के गेहूं मे हुई कटौती
इधर उपार्जन मे आई भारी कमी और खुले मार्केट मे मांग बढऩे के बाद सरकार ने गरीबों को दिये जाने वाले गेहूं की मात्रा मे कटौती कर दी है। खाद्य विभाग के सूत्रों ने बताया है कि इस बार उचित मूल्य दुकानो मे पीएमजीकेवाय और प्राथमिकता कार्ड मे 1 किलो गेहूं तथा 4 किलो चावल देने के निर्देश हैं। जबकि अंत्योदय कार्डधारी परिवारों को 10 किलो गेहूं और 25 किलो चावल दिया जायेगा। इससे पहले तक पीएमजीकेवाय और प्राथमिकता कार्ड मे 3 किलो गेहूं तथा 2 किलो चावल मिलता था। वहीं अंत्योदय कार्डधारी परिवारों को 10 किलो चावल और 25 किलो गेहूं दिया जा रहा था।
औंधे मुंह गिरा गेंहू का भाव
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