मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का ऐलान, अब निर्वाचन टलने की पूरी संभावना
भोपाल। मप्र में पंचायत चुनाव का पेंच फंसता जा रहा है। इससे आशंका जताई जा रही है कि ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर पंचायत चुनाव टल सकते हैं। प्रदेश सरकार ने भी ऐसे ही संकेत दिए हैं। मप्र विधानसभा में मंगलवार को अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर बहस के दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि मप्र में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही होंगे। इसके लिए सरकार कोर्ट जाएगी, जिसमें केंद्र सरकार भी सहयोग करेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 3 दिनों में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा कानूनविदों से इस बारे में चर्चा की है। वहीं राज्य के नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा स्पष्ट है कि किसी भी स्थिति में ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव न कराए जाए।
इसके पहले स्थगन प्रस्ताव पर कमलनाथ ने कहा, कोर्ट के ऑर्डर का बहाना न बनाएं। हम अब साथ कोर्ट चलते हैं। सदन सर्वसम्मित से इसे पास करे कि ये स्वीकार है या नहीं। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ओबीसी के कल्याण के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और न ही छोड़ेंगे। पिछड़े वर्ग के कल्याण के साथ हम। हमने नीट में 27 फीसदी आरक्षण दिया। हाल ही में हमने आठ हजार आठ सौ पदों पर भर्ती निकाली, जिस पर 27 फीसदी आरक्षण दिया है। कांग्रेस से सवाल किया कि आपकी सरकार में किसी भर्ती में 27 फीसदी आरक्षण दिया हो तो बताएं?
सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। ओबीसी आरक्षण के साथ ही कराए जाएंगे पंचायत चुनाव। इसके लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। ओबीसी आरक्षण के साथ ही कराए जाएंगे पंचायत चुनाव। इसके लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता के साथ सबको मिले यह हमारा प्रयास है। पिछड़े वर्ग के कल्याण में कोई कसर न छोड़ी गई है ना छोड़ी जाएगी। विपक्ष साथ दे तो ठीक नहीं तो उसके बिना भी अपना अभियान जारी रखेंगे।
एक-दो दिन में फैसला
पंचायत चुनाव की वर्तमान में चल रही प्रक्रिया जारी रहेगी या नहीं? इस पर नगरीय विकास व आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार एक-दो दिन में फैसला लेगी। दरअसल, राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी के लिए रिजर्व सीटों को छोड़कर अन्य सीटों पर निर्वाचन की प्रक्रिया को जारी रखा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि ओबीसी सीटों को सामान्य घोषित कर अधिसूचना जारी की जाए।
कमलनाथ ने कहा, तो कल चलते हैं कोर्ट
सदन में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि मैंने कई बरसों तक लोकसभा में बहस की है। इस सदन का अनुभव बेहद कम है। यहां पर कहा गया कि कोर्ट की प्रोसिडिंग है। रिट पेटिशन की भी बात हुई। लेकिन अभी तीन बातें बाकी हैं। सीमांकन, रोटेशन और आरक्षण पर बात चल रही है। कोर्ट में विवेक तनखा के साथ राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार के वकील भी थे। आपके वकील कोर्ट में चुप रहे। वे चाहते तो कोर्ट की टिप्पणी पर अपना पक्ष रख सकते थे। आप चाहते तो दूसरे दिन भी कोर्ट जा सकते थे। तब भी आप चुप ही रहे। मैं तो कहता हूं कि आप ओबीसी के हितैषी हैं तो आप और हम एक साथ कोर्ट चलते हैं। जब दोनों कोर्ट चलते हैं, तो कौन-सा कोर्ट होगा जहां निष्कर्ष नहीं निकलेगा। आपकी आत्मा का साथ हो तो कल ही चलते हैं कोर्ट में।
मौजूदा स्थिति के लिए सरकार जिम्मेदार: कमलेश्वर पटेल
कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर सबसे पहले बोलते हुए पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल ने आरोप लगाया कि ओबीसी आरक्षण के कारण जो स्थिति बनी है उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 5 दिन बाद भी पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जल्दबाजी में परिसीमन और आरक्षण को लेकर अध्यादेश लेकर आई थी। उन्होंने सदन में प्रस्ताव रखा कि न्यायालय के अलावा लोक सेवा आयोग राज्य सेवा आयोग व अन्य आयोगों में भी आरक्षण होना चाहिए इसके लिए मध्यप्रदेश विधानसभा को एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजना चाहिए।
ओबीसी महासभा घेरेगी सीएम हाउस
उधर ओबीसी महासभा ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महासभा ने सरकार से संविधान संशोधन कर ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की है। साथ ही इस मुद्दे पर 2 जनवरी को मुख्यमंत्री आवास घेरने और जन महाआंदोलन करने की चेतावनी दी है। ओबीसी महासभा ने कहा कि 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में ओबीसी रिजर्वेशन खत्म कर दिया। 24 दिसंबर को जिला स्तर पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण खत्म करने के विरोध में ज्ञापन प्रदर्शन किया जाएगा। ओबीसी महासभा की मांग है कि संविधान संशोधन कर 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को लागू किया जाए।
नोटिफिकेशन के बाद रोक लगाना संभव नहीं:हाईकोर्ट
पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि पंचायत चुनाव का नोटिफिकेशन जारी हो गया है। इस कारण पंचायत चुनाव पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। जया ठाकुर और कांग्रेस नेता सैयद जाफर की ओर से प्रदेश सरकार द्वारा निकाय चुनाव में रोटेशन प्रक्रिया का पालन नहीं किए जाने की बात कहते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। मंगलवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इंकार करते अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई अन्य संबंधित याचिका के साथ 3 जनवरी को निर्धारित की गई है।