ओबीसी आरक्षण अर्जेंट मेटर नही

सुप्रीम कोर्ट मे फिर टली सुनवाई, अगली तारीख 17 जनवरी
भोपाल। मध्य प्रदेश निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अब १७ जनवरी को सुनवाई होगी। कोर्ट ने अर्जेंट हियरिंग करने के लिए याचिका पर ३ जनवरी को सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह अर्जेंट मैटर नहीं है। इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि ओबीसी आरक्षण के लिए सभी राज्यों से ट्रिपल टेस्ट अनिवार्य करने की बात कह रहे हैं। मप्र सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे कोर्ट में उपस्थित हुए। सुप्रीम कोर्ट ने १७ दिसंबर को ओबीसी के लिए रिजर्व सीटों को सामान्य घोषित करने का आदेश दिया था। तब सरकार को फटकार भी लगाई थी। कोर्ट ने कहा था- आग से मत खेलिए। कानून के दायरे में रहकर चुनाव करवाइए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना आरक्षण के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता, जो अनिवार्य है। सरकार और बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस पर आरोप लगा दिया था।
नकली रेमडेसिविर मामले मे केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार को दिया नोटिस
देश के सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने के आरोपी व्यक्ति के हिरासत आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। आरोपी जबलपुर का रहने वाला है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने इस याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के गृह विभाग के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किए। यह याचिका आरोपी देवेश चौरसिया ने दायर की है। चौरसिया ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है जिसने हिरासत आदेश के खिलाफ उसकी याचिका खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत ने दो हफ्ते में उनसे जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले जबलपुर के डॉक्टर की हिरासत का आदेश रद्द कर दिया था। इस पर कोविड-१९ की दूसरी लहर के दौरान चौरसिया के साथ सांठगांठ कर रेमेडिसिविर के नकली इंजेक्शन खरीदने का आरोप है।

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