ऑनलाईन सप्लाई हो रही हैं प्रतिबंधित दवायें
अभी तक जारी है कोविड के दौरान दी गई छूट, दवा विक्रेता संघ ने जताई आपत्ति
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
लगभग दो साल पहले कोविड के दौरान ऑन लाईन कंपनियों को दी गई दवायें बेंचने छूट अब भी जारी है। पूरे देश की तरह जिले मे भी इसका बेजा दुरूपयोग हो रहा है। जिला दवा विक्रेता संघ ने सरकार से इस अनुमति को तत्काल रद्द करने की मांग की है। संघ के सचिव सुनील सिंह ने बताया कि पूरे विश्व मे फैली कोरोना महामारी तथा लॉक डाऊन के चलते मरीजों की समस्या को ध्यान मे रखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी कर दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण को नियमित करने के लिए औषधि अधिनियम की धारा 26बी के तहत कुछ शर्तों के सांथ घर-घर दवाइयों की आपूर्ति की अनुमति दी गई थी। इसके तहत दवाओं की बिक्री के लिए प्रिस्क्रिप्शन पर मुहर लगाने की आवश्यकता के नियम 65 को अस्थायी रूप से केवल विशेष परिस्थितियों मे अलग रखा गया था। अब जबकि देश इस महामारी मुक्त हो चुका है, स्थितियां सामान्य हैं, फिर भी उक्त ऑनलाईन दवाओं की सप्लाई चल रही है।
जन स्वास्थ्य के लिए खतरा
दवा विक्रेता संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान घर-घर दवाइयां पहुंचाने हेतु मिली विशेष अनुमति की आड़ मे धोखाधड़ी और गैरकानूनी कारोबार जोरों पर है। कई ऑनलाईन कम्पनियां नकेवल नकली और एक्सपायरी डेट की दवायें मरीजों के मत्थे मढ़ रही हैं, बल्कि प्रतिबंधित और सिर्फ चिकित्सकों के लिखित परामर्श पर मिलने वाली प्रतिबंधित मेडिसिन भी धड़ल्ले से उपलब्ध कराई जा रही हैं। यह परिस्थिति जन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
एआईओसीडी स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा पत्र
उधर देश के 12.40 लाख केमिस्ट एवं वितरकों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्टस एवं ड्रगिस्ट (एआईओसीडी) ने तीसरी बार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को पत्र लिखकर कोविड-19 महामारी के दौरान जारी अधिसूचना को रद्द करने की अपील की है। संस्था के अध्यक्ष जेएस शिंदे और महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि इस अधिसूचना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय विक्रेताओं के माध्यम से आपातकालीन स्थितियों मे दवाओं की डिलीवरी करना था, लेकिन स्विगी और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्मस आवश्यक नियामक सुरक्षा उपायों का पालन किये बिना घर-घर दवायें पहुंचाने के लिए इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। ये सभी अवैध प्लेटफार्म बिना किसी प्रिस्क्रिप्शनके दवायेंं बेंच रहे हैं। जिससे स्वचिकित्सा, नशीली दवाओं का उपयोग और रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) जैसी गंभीर समस्यायेंं दिन प्रतिदिन बढ़ रही हैं। एआईओसीडी का यह भी कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो देश भर के दवा विक्रेता आंदोलन करने पर मजबूर हो जायेंगे।
लोकहित मे निर्णय ले सरकार
जिला दवा विक्रेता संघ के सचिव सुनील सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी के समय केन्द्र द्वारा जारी अधिसूचना का मूल उद्देश्य तत्कालीन परिस्थितियों मे वैध लाइसेंसधारी दवा विके्रताओं को दवाओं के डिलीवरी की अनुमति देना था, परंतु ऑनलाइन प्लेटफॉर्मस ने इसे अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। उनके द्वारा वितरण के नियमों की अनदेखी कर दवाओं की सप्लाई की जा रही है। जिसका आम जनता के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। दवा विक्रेता संघ ने केन्द्र सरकार से लोकहित मे उक्त अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है।