नुमाईन्दों की निष्क्रियता ने बढ़ाई बेचैनी, सारनाथ का ठहराव छिनने से सुलग रहे लोग
उमरिया। जिला मुख्यालय और चंदिया के स्टेशनो पर बरसों से रूक रही सारनाथ एक्सप्रेस का ठहराव छिनने से जहां लोगों मे भारी रोष है, वहीं अब यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या रेल प्रशासन जनता के धैर्य की परीक्षा ले रहा है। नागरिकों जो बात सबसे ज्यादा परेशान कर रही है, वह यह है कि जिस तरह सारनाथ का स्टापेज एक झटके मे खत्म कर दिया गया वहीं हश्र कहीं संपर्क क्रांति जैसी अन्य ट्रेनो का भी न हो, जिनके ठहराव के लिये जनता और जनप्रतिनिधियों को महीनो पापड़ बेलने पड़े थे। विशेषकर दिल्ली दरबार मे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले नुमाईन्दों की चुप्पी और निष्क्रियता इन आशंकाओं को और भी बल दे रही है।
मुश्किल से मिली थी उपलब्धि
गौरतलब है कि दिल्ली जाने वाली ट्रेनो के ठहराव के लिये नागरिकों को लंबा संघर्ष करना पड़ा था। प्रभावी आंदोलन के कारण ही दुर्ग-जम्मूतवी का स्टापेज हो सका था। जबकि दुर्ग-हजरत निजामुद्दीन संपर्क क्रांति का स्टापेज दिलाने मे कांग्रेस सांसद श्रीमती राजेश नंदिनी सिंह एवं पूर्व विधायक अजय सिंह की अहम भूमिका थी। जिन्होने तत्कालीन रेल मंत्री श्री मल्लिकार्जुन खडग़े से मिल कर जिले को यह महत्वपूर्ण सौगात दिलाई थी।
उपेक्षा का जहर कब तक
जानकारों का मानना है कि रेलवे की उपेक्षा और अन्याय अब बर्दाश्त के बाहर होता जा रहा है। चाहे संभाग से गुजरने वाली आवश्यक ट्रेनो को बिना बताये रद्द करने का मसला हो, उमरिया जैसे पर्यटन, उद्योग और धार्मिक महत्व वाले स्टेशन पर दर्जनो गाडिय़ों का स्टापेज न देने या फिर हाल मे बरसों से रूकती चली आ रही सारनाथ एक्सप्रेस का स्टापेज समाप्त करने की बात। सभी घटनायें यही साबित करती हैं कि रेलवे मान चुका है कि उमरिया जिले के सांथ कितना भी अन्याय किया जाय, कोई कुछ नहीं करेगा। आखिर लोग कब तक उपेक्षा का जहर पीते रहेंगे।
आंदोलन ही एक मात्र रास्ता
यह रेल प्रबंधन की बड़ी भूल है। प्रशासन को याद रखना होगा कि यह वही जनता है, जिसने अपने दम पर सारनाथ को शुरूआती दिनो मे ही उमरिया मे रूकने पर मजबूर कर दिया था। दिल्ली जाने वाली ट्रेनो के स्टापेज के लिये हुए एक घंटे के प्रदर्शन से ही अधिकारियों के हांथ-पांव फूल गये थे। लोग अब फिर वैेसी ही एकजुटता और आंदोलन की जरूरत महसूस करने लगे हैं।
अपने माता-पिता से सबक लें सांसद
अधिकांश लोग जिले की इस दुर्दशा के पीछे क्षेत्रीय सांसद की निष्क्रियता को कारण मानते हैं। उनका कहना है कि सांसद की चुप्पी के कारण रेलवे अन्याय पर अन्याय करता जा रहा है। श्रीमती हिमाद्री सिंह के पिता पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. दलबीर सिंह और माता श्रीमती राजेशनंदिनी सिंह की गिनती उन सक्रिय और समर्पित सांसदों मे होती है, जिन्होने पूरे संसदीय क्षेत्र का चहुमुखी विकास किया। वर्तमान सांसद को भी इस जुल्म के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार करना होगा तभी जनता के दिलों मे वे अपने माता-पिता की तरह स्थापित हो सकेंगी।