केंद्र की चेतावनी, उज्जैन के 100 मे से 40 सैंपल पॉजिटिव मिलने से बढ़ी चिंता
भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर के 20 दिनों में ही रीजन कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत उज्जैन से हुई है। इस बात की पुष्टि स्वास्थ्य मंत्रालय की कोविड टेस्ट पॉजिटिविटी की मौजूदा साप्ताहिक रिपोर्ट में हुई है। इसके मुताबिक उज्जैन में हर 100 सैंपल में से 40 पॉजिटिव केस मिल रहे हैं। IIT कानपुर के प्रोफेसर राजेश रंजन का कहना है कि मध्यप्रदेश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा है, लेकिन यह रीजन के दायरे में रह सकता है। यानी किसी इलाके में कई परिवार या 100 में 40 सैंपल पॉजिटिव आए, तो मान लीजिए कि रीजन कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है। इधर इंदौर में 9 परिवारों के 39 व भोपाल के 7 परिवारों से 27 लोग पॉजिटिव हो चुके हैं। प्रो. रंजन कहते हैं कि यदि रीजन कम्युनिटी ट्रांसमिशन है, तो पूरे इलाके को आइसोलेट कर रैंडम सैंपल टेस्ट करना होगा। ICMR की नई गाइडलाइन जारी होने के बाद कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग लगभग बंद हो गई है। ICMR ने कहा है कि कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए लोगों की जांच तब तक करने की जरूरत नहीं है, जब तक उनकी पहचान आयु या अन्य बीमारियों से पीड़ित होने के चलते ‘अधिक जोखिम’ वाले के तौर पर न की गई हो।
सीएम के निर्देश- कम से कम 30 कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग अवश्य करें
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के 8 जिलों में 200 पॉजिटिव केस मिले के बाद 25 दिसंबर को निर्देश दिए थे कि कोरोना की रोकथाम के लिए हमें जांच की संख्या बढ़ाना है। पीड़ित व्यक्ति के कम से कम 30 कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग अवश्य करना है। स्वास्थ्य विभाग ने इस निर्देश के बाद कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग शुरू कर दी थी, लेकिन ICMR की संशोधित गाइडलाइन आने के बाद कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कर सैंपल लेना लगभग बंद कर दिया है।
कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं होने से बढ़ सकते हैं केस
प्रो. रंजन के मुताबिक यह स्पष्ट है कि देश में ओमिक्रॉन ने डेल्टा को रिप्लेस कर दिया है। यह वैरिएंट ज्यादा घातक नहीं है। यही वजह है कि ICMR ने टेस्टिंग को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। संक्रमितों के संपर्क में आने वालों की टेस्टिंग नहीं होने से केस ज्यादा हो सकते हैं। मप्र का डेटा देखें, तो पॉजिटिविटी रेट अधिकतम 20% तक जाने की आशंका है। रहा सवाल मृत्यु दर का, तो यह पूरी दुनिया में 1% से भी कम है। तीसरी लहर के दौरान केवल 3% मरीजों को ही अस्पताल की जरूरत पड़ेगी। ये वे मरीज होंगे, जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है। इस दौरान सीनियर सिटीजन को एहतियात बरतने की जरूरत है।
60% केस पॉजिटिव आने पर कम्युनिटी ट्रांसमिशन
इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज के क्लिनिकल वायरोलॉजी विभाग ने दिल्ली में एक स्टडी के जरिए ओमिक्रॉन वैरिएंट के शुरुआती कम्युनिटी ट्रांसमिशन का पता लगाया है। इस अध्ययन के अनुसार, ओमिक्रॉन के 60% मामले बिना लक्षण वाले थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ी, जबकि 87% लोग फुली वैक्सीनेटेड थे। दूसरी तरफ IIT कानपुर के प्रो. राजेश रंजन कहते हैं कि 40% केस में लक्षण मिलने पर रीजन कम्युनिटी ट्रांसमिशन होता है।
नई रणनीतियां अपनानी चाहिए- एक्सपर्ट
एक्सपर्ट मानते हैं कि वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन को लेकर हमारे यहां लंबे समय से ऐसे ही हालात हैं। निश्चित रूप से ओमिक्रॉन और डेल्टा के मामले में भी। बगैर कम्युनिटी ट्रांसमिशन के कोरोना की ये लहरें नहीं आतीं। इस तरह का ट्रांसमिशन तब होता है, जब मामले बढ़ते जाते हैं। हम निश्चित तौर पर यह पता नहीं लगा पाते कि पहला मामला कहां से आया। मतलब ये है कि हम ट्रांसमिशन की श्रृंखला को ट्रैक नहीं कर पाते। इसके लिए नई रणनीति अपनाने की जरूरत है, ताकि असर कम किया जा सके।