एक स्टॉपेज दिया वह भी ‘प्रायोगिक’

रेलवे के छल-प्रपंच और अन्याय से दुखी जनमानस, चंदिया मे अनशन जारी
बांधवभूमि, उमरिया
भारी विरोध, आंदोलन और प्रदर्शनो के बावजूद रेल प्रशासन छल-प्रपंच से बाज नहीं आ रहा है। बीते दिनो चंदिया मे विशाल जुलूस के सांथ शुरू हुए अनशन पर बैठे नागरिक शहर के स्टेशन पर पूर्व से रूक रही सभी गाडिय़ों का स्टापेज यथावत करने की मांग कर रहे हैं। जबकि प्रबंधन ने महज एक ट्रेन रोकने की घोषणा की है, वो भी प्रायोगिक तौर पर है। अर्थात नर्मदा एक्सप्रेस को 10 सितंबर से प्रयोग के तौर पर रोका जा रहा है। जानकारों का मानना है कि रेलवे पहले यह देखना चाहता है कि चंदिया ट्रेन रूकने से निर्धारित राजस्व प्राप्त हो रहा है या नहीं, उसके बाद ही यह तय होगा कि नर्मदा का ठहराव स्थाई हो या नहीं।
छिपाई जा रही ढुलाई की कमाई
उल्लेखनीय है कि शहडोल संभाग मे स्थित कोयला व अन्य खनिज की खदानो तथा बिजली संयत्रों का केन्द्र और राज्य सरकार की आय मे खासा योगदान है। इसी की ढुलाई से रेलवे की भी पौ-बारह है। अब तक रेलवे और कोयला कम्पनियां अनेक प्रकार से वेलफेयर की गतिविधियां संचालित करती आई हैं, परंतु बीते कुछ वर्षो से रेल मंत्रालय ने नागरिकों को मिलने वाली सभी छूट और सुविधायें करीब-करीब समाप्त कर दी हैं। सरकार का साफ कहना है कि यात्री गाडिय़ों के संचालन मे उसे घाटा हो रहा है, रेलवे अब व्यापारी की तरह काम करेंगी। ट्रेन भी वहीं रूकेगी जहां आय होगी। हलांकि जनता को ये नहीं बताया जा रहा कि माल की ढुलाई मे रेलवे कितनी कमाई कर रही है।
फिर टेक्स क्यों दे जनता
आंकड़ों के अनुसार भारत के लोग दुनिया मे सबसे ज्यादा टेक्स अदा करते हैं। यहां जनता से पग-पग पर सर्विस टेक्स, जीएसटी, इनकम सहित सैकड़ों प्रकार की टेक्स ली जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक लोग अपनी कमाई का 30 प्रतिशत से ज्यादा पैसा केवल टेक्स पर ही चला जाता है। सरकार कहती है कि कर से मिला पैसा लोगों की सुख- सुविधाओं पर व्यय होता है, पर सच्चाई यह है कि न तो जनता को अच्छी स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधा मिल रही है और नां ही सड़क व स्वच्छ पानी। रही सही कसर रेलवे ने पूरी कर दी है।
कचरे दान मे नेताओं की चिठ्ठियां
इस आंदोलन ने एक और बात साफ कर दी है। रेलवे की नजर मे जनता और उसके चुने हुए जनप्रतिनिधियों की कोई बकत नहीं है। सर्वविदित है कि चंदिया सहित जिले भर मे ट्रेनो के स्टॉपेज और अन्य यात्री सुविधाओं के संदर्भ मे बांधवगढ़ विधायक शिवनारायण सिंह ने कई पत्र रेल प्रशासन को लिखे। शहडोल संभाग की सांसद हिमाद्री सिंह तो रेल मंत्री से भी मिल आई। मांग पत्र भी सौंपा, पर अभी तक इसका कोई असर पड़ता दिखाई नहीं देता। ऐसा लगता है कि सरकार के नुमाईन्दों की चिठ्ठियां रेलवे के कचरेदान की शोभा बढ़ा रही हैं।
5वें दिन अधिवक्ताओं का अनशन
चंदिया मे ट्रेनो के स्टापेज की मांग को लेकर चल रहे अनशन के पांचवे दिन मोर्चा अधिवक्ताओं ने संभाला। क्षेत्र के 10 वकील अनशन पर रहे। इनमे अजय मिश्रा, सोमनाथ साहू, निर्मल सिंह राजपूत, मुख्तार खान, धनंजय द्विवेदी, पंकज द्विवेदी, दिनेश तोमर, सुजान अग्रवाल, संदीप मिश्रा तथा चंदन अग्रवाल शामिल हैं।

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