बांधवगढ़ मे आयोजित वन जन कला शिविर का समापन
उमरिया। लोक कलायें लोक संस्कृति की संवाहक होती है। इस महान संस्कृति को पोषित कर संपन्न बनाने मे जिले के लोक कलाकारों का महत्वपूर्ण योगदान है। इनमे से एक हैं जुधइया बाई, जिनकी चित्रकारी ने तो देश मे नही वरन विदेशों मे भी ख्याति अर्जित कर उमरिया जिले की प्रतिष्ठा बढाई है। वहीं अन्य कलाकारों ने अपनी सोच के अनुसार क्षेत्रीय कला के माध्यम से क्षेत्र की संस्कृति और परंपरा का दर्शन कराया है। उक्ताशय के विचार कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन द्वारा रघुवंशम पर केंद्रित बाधंवगढ मे आयोजित वन जन कला शिविर के समापन अवसर पर व्यक्त किये। कलेक्टर ने कहा कि महाकवि कालिदास का गौरव विश्व प्रसिद्ध है, उनकी रचनायें अमर और कालजयी है। बैगा कलाकारों द्वारा रघुवंशम पर चित्रांकन किये जाने का सुयोग निर्मित हुआ है। इन कलाकारों की कला को क्षेत्र से निकाल कर विश्व पलक पर प्रतिष्ठित किया जाना चाहिये। अकादमी के महानिदेशक डॉक्टर संतोष पंड्या ने कहा कि मप्र शासन का संस्कृति विभाग परम्पराओं, संस्कृतियों के संरक्षण के लिए कृत संकल्पित है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अजय मेहता ने अकादमी की गतिविधियो का विवरण प्रस्तुत किया। कलेक्टर श्री श्रीवास्तव एवं वरिष्ठ कलाकार जुधईया बाई ने सभी कलाकारों को प्रमाण पत्र प्रदान किये। आभार प्रदर्शन शिविर संयोजक मुकेश ने किया। शिविर मे जुधईया बाई, फू ल बाई, रामरती बाई, संजय बैगा, शकुन बाई, अमर बैगा, सुरेश बैगा, फ ागुनी बाई, संतोषी बाई, भूलन बाई ने चित्रांकन किया है। जिसे प्रदेश, देश तथा अन्य स्थानो पर प्रदर्शित किया जाएगा। इस आयोजन मे शिवम खण्डेलवाल का सहयोग उल्लेखनीय रहा।
उमरिया:संस्कृति की संवाहक लोक कला
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