टूटी-फूटी नहरों ने मचाई तबाही, सड़ रही हजारों एकड़ों मे खड़ी फसल
उमरिया। क्षेत्र के किसानो के लिये वरदान माने जाने वाले उमरार जलाशय का पानी इन दिनो उन्ही के लिये अभिशाप बना हुआ है। जलसंसाधन विभाग मे मची भर्रेशाही, भ्रष्टाचार और मनमानी के चलते नहरों द्वारा छोड़े जाने वाला पानी बीते दिनो धान के खेतों मे भर गया, हालत यह हो गई पूरे खेत तालाब मे तब्दील हो गये हैं। इससे जहां लाखों गैलन पानी का नुकसान हुआ है, वहीं हजारों एकड़ मे खड़ी फसलें सडऩे की कगार पर पहुंच गई हैं। इस संबंध मे किसानो ने जिला प्रशासन से दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।
हर बार होती है समस्या
उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय के आसपास और दर्जनो गावों के किसान वर्षो से उमरार की जिन नहरों से सिचाई कर खेती कर रहे हैं, वह जर्जर हो चुकी है। जैसे ही नहर को आगे की ओर बांधा जाता है, पानी रिस कर पीछे के खेतों मे भर जाता है। पिछले दिनो भी ऐसा ही हुआ। शाम को किसान अच्छा खासा खेत छोड़ कर गये थे, दूसरे दिन जब आये तो देखा कि नहर का पानी खेतों मे भर गया है और पूरी फसलें डूब चुकी हैं। ऐसे मे जब फसलें तैयार होने की स्थिति मे हैं, पानी ने समस्या उत्पन्न कर दी है। अब फसल बचाने के लिये किसान रात-दिन पानी निकालने के लिये जूझ रहे हैं।
जर्जर हो चुकी है नहर
किसानो ने बताया कि उमरार जलाशय से लेकर कछरवार के आगे तक नहर बुरी तरह जर्जर हो चुकी है। इसकी मरम्मत के लिये शासन द्वारा कई बार लाखों रूपये आवंटित किये गये परंतु सारा पैसा अधिकारियों ने डकार लिया। दिखावे के लिये कांक्रीट का कार्य भी हुआ लेकिन गुणवत्ताविहीन होने के चलते कुछ ही दिनो मे नहर की हालत पहले जैसी हो गई। किसानो का आरोप है कि जलसंसाधन विभाग के अधिकारी नहरों की सफाई तक नहीं कराते और कागजों पर काम दिखा कर पूरा पैसा हजम कर लेते हैं। यही कारण है कि फसलों को या तो पानी नहीं मिलता या बिना जरूरत के खेतों मे भर जाता है।
आगे की फसलों की चिंता
खेतों मे अनचाहा पानी भर जाने से खरीफ की फसल को बचाने की जद्दोजहद मे जुटे किसानो को आने वाले रबी के सीजन की चिंता अभी से सता रही है। उनका मानना है कि क्षेत्र की नहरों की बदतर हालत के कारण उन्हे आगे भी इसी तरह की समस्याओं से जूझना पड़ेगा।
इल्लियों ने मचाया हड़कंप
किसानो की दूसरी सबसे बड़ी चिंता मौसम मे आई गरमाहट और इल्लियों के हमले की है, जिसने इन दिनो हड़कंप मचा रखा है। उप संचालक कृषि आरके प्रजापति ने बताया कि मौसम के कारण यह खतरा बना हुआ है। उन्होंने धान उत्पादक किसानो को कीट नियंत्रण की सलाह दी है। श्री प्रजापति कहा है कि बाली काटने वाली इल्ली (आर्मी वर्म) के प्रकोप की आशंका को देखते हुए किसान अपने खेत की सतत निगरानी करें तथा प्रकोप होने की स्थिति मे पानी के सांथ घोल बना कर दवा का छिडकाव करें।