उमरार को छोड़ नहीं भरा कोई बांध
जिले मे अभी भी खाली हैं अधिकांश जलाशय, बुढाई बारिश से कम हुई भराव की उम्मीद
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
अगस्त के बाद चालू महीने मे भी कई बार झमाझम होने के बाद भी बारिश जिले के जलाशयों को तृप्त नहीं कर सकी। आलम यह है कि उमरार को छोड़ अन्य सभी बांध खाली पड़े हैं। ऐसे मे जबकि मानसून की विदाई लगभग होने को है, अब आगे उनके भरने की उम्मीद बेहद कम है। गौरतलब है कि जिले मे इस बार रबी फसल के सिचाई का लक्ष्य 8823 हेक्टेयर तय किया गया है। जो कि बीते साल के रकबे से 200 हेक्टेयर ज्यादा है। ऐसे मे बांधों के रिक्त रहने से किसानो को परेशानी होना तय है। हलांकि मौसम के जानकारों ने अभी भी आशा नहीं छोडी है। उनका कहना है कि पिछले वर्षो मे कई बार अक्टूबर के महीने मे भी अच्छी बारिश हुई है। यदि एक दो बार भी इंद्रदेव की कृपा हो जांय तो नसिर्फ जलाशयों मे भराव की स्थिति सुधर जायेगी, बल्कि फसलों को भी जबरदस्त फायदा होगा।
यह है स्थिति
जल संसाधन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जिले मे छोटे-बडे कुल 26 बांध हैं। जिसमे करकेली जनपद का उमरार और मानपुर मे महरोई मध्यम सिचाई परियोजनायें शामिल हैं। इसके अलावा 11 प्रमुख बांध भी हैं। बताया गया है कि जिला मुख्यालय से सटे उमरार जलाशय की कुल क्षमता 16.70 एमसीएम है। जो कि पूरी तरह भर चुका है। वहीं मानपुर जनपद के महरोई जलाशय की क्षमता 4.7 एमसीएम है। इंदवार क्षेत्र मे पर्याप्त बारिश न होने से इस बार महरोई जलाशय मे महज 38 फीसदी पानी ही एकत्रित हो सका है। शेष 11 मुख्य बांधों की कुल जलग्रहण क्षमता 60.12 एमसीएम है, जिसमे से भराव केवल औसत 72 प्रतिशत अर्थात 43.494 एमसीएम ही हुआ है।
पिछले साल से ज्यादा बारिश
उल्लेखनीय है कि जिले मे इस बार 1034.7 एमएम बारिश हुई है। जो कि बीते साल से करीब 100 एमएम अधिक है। मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2023 मे 29 सितंबर तक जिले मे 937 एमएम वर्षा हो चुकी थी। जारी साल मे सबसे ज्यादा 1140 एमएम बारिश बिलासपुर तहसील मे दर्ज की गई है। वहीं पाली तहसील मे सबसे कम 891.8 एमएम वर्षा हुई है। वहीं करकेली मे 1087, बांधवगढ 1082.7, चंदिया मे 1061.8, नौरोजाबाद मे 1027.3 तथा मानपुर मे 942.2 मिमी बारिश हुई है। जिले मे औसत बारिश का आंकडा 1215.7 एमएम है।
जिला मुख्यालय के किसानो को राहत
उमरार जलाशय के पूरी तरह भर जाने से जिला मुख्यालय के नागरिकों ने राहत की सांस ली है। वहीं इस जलाशय से सिचाई करने वाले किसानो के चेहरे भी खिले हुए हैं। उनका मानना है कि कम से कम रबी की फसलों को तो इस बार पर्याप्त पानी मिल ही जायेगा। ज्ञांतव्य है कि उमरार बांध से ही नगर को पेयजल की आपूर्ति भी होती है। वहीं पिछले कई सालों से बांध इस तरह नहीं भराया था, लिहाजा लगभग हर साल किसानो को धान की अंतिम सिचाई एवं खरीफ की बोनी के लिये नहरें खुलवाने को लेकर भारी जद्दोजहद करनी पडती थी। उम्मीद है कि अब कि उनकी फसलों को आसानी से पानी मिल जायेगा।