बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने खड़ी की मुसीबत, गठबंधन छोडऩे का छेड़ा राग
मुंबई/सूरत ।दो दिन से सरकार बचा रहे उद्धव आखिरकार हथियार डालते नजर आ रहे हैं। एकनाथ शिंदे के सरकार और पार्टी दोनों पर दावे के बाद फेसबुक लाइव किया और कहा कि मैं लड़ने वाला शिवसैनिक हूं पर सामने आकर बातचीत का प्रपोजल भी रखा। इसके बाद एकनाथ शिंदे गठबंधन तोड़ने पर अड़े रहे। इसके करीब एक घंटे बाद सबसे चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई। उद्धव का दफ्तर यानी सीएम हाउस वर्षा खाली होने लगा। उद्धव भी परिवार समेत निकल गए। उनके साथ पत्नी रश्मि ठाकरे, दोनों बेटे आदित्य और तेजस ठाकरे भी सरकारी बंगला वर्षा से निजी आवास मातोश्री के लिए निकल गए। इसके बाद कर्मचारी उनका सामान निकालने लगे। उद्धव के समर्थन में मातोश्री के बाहर सैकड़ों शिवसैनिक जमा हो गए हैं।दरअसल, शरद पवार भी उद्धव को सलाह दे चुके थे कि मुख्यमंत्री पद पर शिंदे को ही बैठा दो। उधर, शिंदे आक्रामक ही रहे। बोले- गठबंधन बेमेल है और इसमें शिवसेना कमजोर हो रही है। गठबंधन से बाहर आना जरूरी है।शिंदे खेमा तब और मजबूत हो गया, जब देर शाम करीब साढ़े आठ बजे 4 और विधायक गुवाहाटी पहुंच गए। इनमें 2 शिवसेना और 2 निर्दलीय शामिल हैं। ये विधायक हैं गुलाब राव पाटिल, योगेश कदम, मंजुला गाबित और चंद्रकांत पाटिल। 4 नए विधायक पहुंचने के बाद कुल विधायकों की संख्या अब 39 पहुंच गई है।
होटल के बाहर कड़ी सुरक्षा
शिंदे बागी विधायकों के साथ सूरत से गुवाहाटी पहुंचे हैं। सारे विधायक होटल रेडिसन ब्लू में ठहरे हैं। होटल के बाहर और अंदर असम पुलिस का पहरा है। CRPF के जवान भी होटल के बाहर मौजूद हैं। मीडिया को भी एक इंच यहां से वहां नहीं होने दिया जा रहा। हर आने-जाने वाले पर कड़ी निगाह रखी जा रही है।भाजपा फिलहाल भाजपा वेट एंड वाच की स्थिति में है। मुंबई के अलग-अलग इलाकों में बीजेपी नेता मीटिंग कर रहे हैं। एनसीपी की मीटिंग वाईबी चव्हाण हॉल में हुई है। इसमें पार्टी के सभी विधायकों को शरद पवार से संबोधित किया है। बालासाहब थोराट के बंगले पर कांग्रेस के विधायकों की बैठक हुई है। इसमें कमलनाथ ने सभी विधायकों को संबोधित किया है। शिवसेना ने सभी विधायकों के नाम एक पत्र जारी कर शाम पांच बजे तक सभी को मुंबई आने के लिए कहा है। अगर वे शाम की मीटिंग में शामिल नहीं होते हैं तो उनकी पार्टी की सदस्यता रद्द मानी जाएगी।
4 सबसे बड़े बयान
1. एकनाथ शिंदे बोले- हमारे पास 46 विधायक हैं और ये बढ़ेंगे। आगे की रणनीति हम सभी विधायकों के साथ मिलकर तय करेंगे। शिवसेना तोड़ने का कोई इरादा नहीं। हम किसी दूसरी पार्टी के संपर्क में नहीं हैं।
2. संजय राउत बोले- महाराष्ट्र में 2 या 3 दिनों में क्या होगा यह कोई नहीं जानता। भाजपा के समर्थन के बिना शिवसेना के विधायकों का अपहरण नहीं किया जा सकता था।
3. कमलनाथ बोले- कांग्रेस और राकांपा महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार को अपना समर्थन जारी रखेगी। मैंने शरद पवार जी से भी बातचीत की है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि वे गठबंधन सरकार को अपना समर्थन जारी रखेंगे। इसके अलावा कोई इरादा नहीं है। मुझे भरोसा है कि शिवसेना के बागी शिवाजी महाराज के राज्य को चोट नहीं पहुंचाएंगे।
4. नितिन राउत बोले- कैबिनेट मीटिंग में उद्धव ठाकरे खुश थे। उनके चेहरे पर कोई टेंशन नहीं दिख रही थी। यह संकेत है कि महाराष्ट्र में सरकार खतरे में नहीं है।
गठबंधन सरकार के अहम समीकरण
महाराष्ट्र में सोमवार को हुए विधान परिषद चुनाव में महाविकास अघाडी का बहुमत 151 तक गिर गया है। राज्यसभा चुनाव के दौरान महाविकास आघाडी के पास 162 विधायक थे, जबकि उससे पहले ये संख्या 170 थी। यानी राज्यसभा चुनाव के बाद महाविकास अघाडी के 11 विधायक कम हुए हैं।परिषद चुनाव से पहले और बाद में तुलना करके देखा जाए तो कुल 19 विधायक महाविकास आघाडी से दूर हुए। दूसरी तरफ अब भाजपा को 134 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। सरकार टिकने के लिए 144 का बहुमत जरूरी है। ऐसे में महाविकास अघाडी और भाजपा की संख्या में अंतर बहुत कम रह गया है।फिर भी, शिवसेना में बगावत होती है तो दल-बदल कानून सबसे बड़ा चैलेंज होगा। बगावत के लिए एकनाथ शिंदे को इन विधायकों की सदस्यता भी कायम रखनी होगी। महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के पास कुल 56 विधायक है। कानून के हिसाब से शिंदे को 2/3 विधायक यानी 37 विधायक जुटाने होंगे। फिलहाल शिंदे के पास कुल 30 विधायक होने का दावा किया जा रहा है, जिसमें शिवसेना के 15 विधायक हैं।
अन्य पार्टियों ने भी झेला है बगावत
महाराष्ट्र में उद्धव सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सियासी घमासान का फिलहाल कोई समाधान निकलता नज़र नहीं आ रहा है. मंत्री और शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे लगातार ताल ठोंक रहे हैं. सीएम ठाकरे द्वारा उन्हें मनाने की हरसंभव कोशिश नाकाम नजर आ रही है. अगर शिवसेना की इतिहास पर नजर डालें तो ये पहली बार नहीं हुआ है जब शिवसेना को बगावत का सामना करना पड़ा है. नेतृत्व के प्रति प्रतिबद्ध काडरों की पार्टी होने के बावजूद, पदाधिकारियों की ओर से विद्रोहों को लेकर शिवसेना सुरक्षित नहीं रही है. शिवसेना ने चार मौकों पर अपने प्रमुख पदाधिकारियों की ओर से बगावत का सामना किया है. इन बगावतों में से तीन शिवसेना के ‘करिश्माई संस्थापक’ बाल ठाकरे के समय में हुए हैं. एकनाथ शिंदे पार्टी में बगावत करने वाले नवीनतम नेता हैं. वर्ष 1991 में शिवसेना को पहला बड़ा झटका तब लगा था जब पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) चेहरा रहे छगन भुजबल ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया था. वर्ष 2005 में, शिवसेना को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा था जब पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने पार्टी छोड़ दी थी. पार्टी को अगला झटका 2006 में लगा जब उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ने और अपना खुद का राजनीतिक संगठन – महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) बनाने का फैसला किया था.
महाराष्ट्र में उद्धव सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सियासी घमासान का फिलहाल कोई समाधान निकलता नज़र नहीं आ रहा है. मंत्री और शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे लगातार ताल ठोंक रहे हैं. सीएम ठाकरे द्वारा उन्हें मनाने की हरसंभव कोशिश नाकाम नजर आ रही है. अगर शिवसेना की इतिहास पर नजर डालें तो ये पहली बार नहीं हुआ है जब शिवसेना को बगावत का सामना करना पड़ा है. नेतृत्व के प्रति प्रतिबद्ध काडरों की पार्टी होने के बावजूद, पदाधिकारियों की ओर से विद्रोहों को लेकर शिवसेना सुरक्षित नहीं रही है. शिवसेना ने चार मौकों पर अपने प्रमुख पदाधिकारियों की ओर से बगावत का सामना किया है. इन बगावतों में से तीन शिवसेना के ‘करिश्माई संस्थापक’ बाल ठाकरे के समय में हुए हैं. एकनाथ शिंदे पार्टी में बगावत करने वाले नवीनतम नेता हैं. वर्ष 1991 में शिवसेना को पहला बड़ा झटका तब लगा था जब पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) चेहरा रहे छगन भुजबल ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया था. वर्ष 2005 में, शिवसेना को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा था जब पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने पार्टी छोड़ दी थी. पार्टी को अगला झटका 2006 में लगा जब उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ने और अपना खुद का राजनीतिक संगठन – महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) बनाने का फैसला किया था.
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