उगते सूर्य को अघ्र्य के सांथ पूरी होगी छठ उपासना

महापर्व का समापन आज, रविवार को सूर्यास्त की हुई विशेष पूजा
बांधवभूमि, तपस गुप्ता
बिरसिंहपुर पाली। छठ महापर्व के तीसरे दिन रविवार को संध्या अघ्र्य दिया गया। इस दौरान व्रत करने वाली महिलाओं ने नदियों एवं तालाबों मे पानी के अंदर जाकर डूबते सूर्य नारायण की विशेष पूजा-अर्चना की। उल्लेखनीय है कि चार दिवसीय छठ पर्व मे तीसरा दिन सबसे खास होता है। इस त्यौहार मे महिलायें संतान प्राप्ति और उनकी उन्नति के लिए कठोर तप करती हैं। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है, लेकिन इससे दो दिन पहले यानी चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। मुख्य रूप से यह महापर्व बिहार मे मनाया जाता है, लेकिन देश से लेकर विदेशों तक मे इस पर्व की धूम रहती है। इस साल छठ पूजा 28 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है। जो कल यानि 31 अक्टूबर को संपन्न हो जायेगी। छठ पर्व पर शहर के अलावा जिले के कोयलांचल क्षेत्र नौरोजाबाद, पाली आदि स्थानो मे विशेष आयोजन होते हैं।
कड़कती ठण्ड मे जलमग्न हुईं महिलाएं
छठ महापर्व के तीसरे दिन महिलाओं ने शाम के समय कड़कती ठण्ड मे पानी के अंदर घुस कर दूध और पानी से सूर्य को अघ्र्य दिया। सूर्यास्त से पहले बांस की टोकरी मे वहीं पूजन की सामग्री, फल, फूल, ठेकुआ, चावल के लड्डू, गन्ना, मूली, कंदमूल और सूप लेकर बड़ी संख्या मे महिलायें विभिन्न नदियों के तट पर पहुंची थीं। जैसे ही सूर्यास्त हुआ परिवार के सभी लोगों ने एकत्रित होकर सूर्यदेव को अघ्र्य दिया।
मिलता है सुख-समृद्धि का वरदान
छठ महापर्व पर महिलाएं अपने परिवार, बच्चों की लंबी उम्र के लिये प्रार्थना करती हैं। छठी माता और सूर्य देव से घर मे सुख, समृद्धि की मांग करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से छठी माता व्रत करने वाली महिलाओं के परिवार और संतान को लंबी आयु और सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। आज 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अघ्र्य के सांथ छठ का समापन होगा। इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा। इस समय सूर्य देव को अघ्र्य देना शुभ रहेगा।

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