इंदौर में दो रिश्वतखोर पकड़ाए

पटवारी ने रकबा संशोधन के लिए मांगे 20 हजार, वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक ने सोसाइटी चुनाव कराने के लिए 10 हजार रुपए, लोकायुक्त ने दबोचा

इंदौर। इंदौर में लोकायुक्त पुलिस ने गुरुवार को दो रिश्वतखोरों पर कार्रवाई की है। टीम ने राऊ में पटवारी को 20 हजार रुपए और सहकारिता विभाग के वरिष्ठ सहायक निरीक्षक को 10 हजार रुपए की घूस लेते गिरफ्तार किया है। राऊ क्षेत्र में पटवारी अमरसिंह मंडलोई ने जमीन के संशोधन के एवज में रुपए मांगे थे। वहीं, वरिष्ठ सहायक निरीक्षक संतोष जोशी ने सोसाइटी का चुनाव कराने के लिए रुपयों की मांग की थी।
चाय की दुकान पर आया रुपए लेने
डीएसपी एसएस यादव की टीम ने सहकारिता विभाग के वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक संतोष जोशी को 10 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा है। वह शुभ क्रेडिट सोसायटी के चुनाव कराने के लिए 20 हजार रुपए मांग रहा था। गुरुवार को 10 हजार रुपए देने की बात हुई थी। फरियादी ने जैसे ही निरीक्षक के हाथ में रुपए दिए, टीम ने पकड़ लिया। सोसाइटी की ओर से भरत जाट ने शिकायत की थी। निरीक्षक रुपए लेने के लिए चाय की दुकान पर आया था।
20 हजार की पहली किस्त लेते धराया पटवारी
पटवारी अमरसिंह मंडलोई के खिलाफ सोनवाय के रहने वाले किशोर चौधरी ने शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि सर्वे न.289/1/1 रकबा 0.232 में से 22 आरे जमीन नहर में अधिग्रहित कर ली गई है। साथ ही, उसके परिवार की कुल 42 आरे जमीन भी नहर में अधिग्रहित कर ली गई है। चूंकि किशोर ने जमीन दूसरे को बेच दी। इस कारण उसे रकबा संशोधित कर देना था। रकबा संशोधित करने के एवज में आरोपी पटवारी अमर सिंह मंडलोई ने 1 लाख रुपए मांगे। बाद में 51 हजार में सौदा तय हो गया। गुरुवार को 20 हजार की पहली किस्त लेते हुए अमर सिंह पकड़ा गया।
पहले भी सस्पेंड हो चुका है सहायक निरीक्षक
बताया जाता है कि संतोष जोशी के खिलाफ जांच चल रही है। वह सहकारिता विभाग में 10 साल से अधिक समय से इंदौर में जमे हैं। वह मूल रूप से बड़वानी राजपुर के रहने वाले हैं। 80 के दशक तक वह सरकारी टीचर थे। इसके बाद सहकारिता विभाग में नौकरी लगी। साल 1988 में सीहोर तबादला हो गया। 90 के दशक में वापस इंदौर आ गए। 2010 तक यहीं बने रहे। बाद मे डिंडौरी तबादला हो गया, लेकिन यहां जॉइन नहीं किया। मामले में कुछ समय बाद विवाद होने पर 2 साल के लिए खरगोन तबादला करवा लिया। यह 2012 में वापस इंदौर आ गए। इसके बाद से जोशी यहीं बने रहे। 2017 की एक जांच में उन्हें सस्पेंड भी किया था, लेकिन शहर से अधिकारी का ट्रांसफर होने के बाद संतोष जोशी ने फिर से यहीं जगह बना ली।
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