आसमान की तरफ निहार रहीं निगाहें

आसमान की तरफ निहार रहीं निगाहें

जून का महीना खत्म होने को, अब तक नहीं हुई मानसून की मेहरबानी

बांधवभूमि

मध्यप्रदेश 

उमरिया
जिले मे मानसून के सक्रिय नहीं होने से किसान और आम जनता की चिंता बढ गई है। हालत यह है कि असाढ का महीना कब का लग हो चुका है, पर बारिश का कहीं कोई पता नहीं है। कहने को तो आसमान पर बादलों ने ढेरा कई दिनो से जमाया हुआ है, कहीं-कहीं खण्ड वर्षा और बूंदा-बांदी भी हो रही है, लेकिन एक बार भी झमाझम जैसा माहौल नहीं बन पाया है। मौसम विभाग ने पहले 16 जून तक मानसून के आने की उम्मीद जताई थी, फिर यह तारीख बढ कर 22 और 28 जून हो गई। एक-एक कर के सभी तारीखें निकल गई पर इंद्र देवता की कृपा नहीं हो सकी है। हलांकि बीते एक सप्ताह से तापमान मे जरूर कमी आई है, लेकिन उमस वाली गर्मी से राहत नहीं मिल रही है। दूसरी ओर बारिश की लेटलतीफी से खरीफ की खेती का काम रूका हुआ है। जबकि हलकी फुल्की वर्षा से मक्का, उडद, कोदो, तिल, अरहर जैसी फसलों की बुवाई शुरू हो गई है।

धान के लिये चाहिये पांच इंच बारिश
कृषि के जानकारों का कहना है कि धान की नर्सरी और रोपा लगाने के लिये कम से कम पांच इंच बारिश जरूरी है। लिहाजा किसानों की नजरें आसमान पर टिकी हुई हैं। उन्हे यह भी ङ्क्षचता सता रही है कि यदि जल्दी ही बारिश नहीं हुई तो दिक्कतें काफी बढ जायेंगी। उल्लेखनीय है कि जून का महीना वर्षा के लिये बेहद मुफीद माना जाता है। जिसकी शरूआत से ही प्री मानसून की बारिश होने लगती हैं, पीछे-पीछे 15 जून तक मानसून भी पहुंच जाता है, परंतु इस बार स्थिति कुछ अलग ही जान पडती है।

आसमान छू रहे सब्जियों के दाम
वातावरण मे ठंडक नहीं आने की वजह से हरी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। वहीं आलू, प्याज, टमाटर की कीमतें लगातार बढती जा रही हैं। शुक्रवार को उमरिया बाजार मे आलू और प्याज 40 रूपये के आसपास बिके। इसी तरह टमाटर 50 से 60, परवल, बरबटी, करेला 80 रूपये, तरोई, भिण्डी, बैगन के दाम 40 रूपये प्रति किलो रहे। धनिया और अदरक तो जैसे आम आदमी की पहुंच से ही बाहर हो गये हैं। जिले मे इनकी कीमतें 200 रूपये किलो तक पहुंच गई हैं। जानकारों के अनुसार गर्मी के कारण कई किस्म की तरकारियों की आवक बहुत ही कमजोर है। मण्डी के कारोबारियों का कहना है कि इस वर्ष गर्मी का सीजन कुछ लंबा ही खीच गया है। अमूमन मई के महीने मे नौतपा के आसपास भी एक-दो बार वर्षा हो ही जाती थी, लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं है। बदले सीजन का असर सब्जियों की पैदावार पर पडा है।

पिछले साल के मुकाबले पिछडी वर्षा
पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल बारिश का हाल बहुत ही बुरा है। मौसम विभाग के अनुसार 28 जून तक जिले मे महज 33.8 एमएम वर्षा दर्ज की गई है। वहीं 2023 मे अभी तक 118.2 मिलीमीटर पानी बरस चुका था। इस हिसाब से चालू साल मे गत वर्ष से करीब 80 एमएम कम वर्षा हुई है।

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