कलेक्टर कृष्णदेव त्रिपाठी की अध्यक्षता मे संपन्न हुई पेसा अधिनियम संबंधी बैठक
बांधवभूमि, उमरिया
कलेक्टर कृष्णदेव त्रिपाठी की अध्यक्षता मे गुरूवार को पेसा अधिनियम संबंधी बैठक कलेक्टर सभागार मे संपन्न हुई। बैठक में बताया कि (पेसा नियम) संबधी विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन विगत 20 नवंबर से प्रारंभ हो गया है। ग्रामसभाओं मे लोगों को जल, जंगल, जमीन, श्रम तथा स्थानीय परंपराओं, रूढियों और संस्कृति संबंधी नियमों की जानकारी दी जा रही है। कलेक्टर ने कहा कि ग्रामसभा मे आगामी 4 दिसंबर 2022 को टंटया मामा के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम मे भागीदारी, ग्राम सभाओं का अनुश्रवण तथा अन्य विषयों पर सरपंच की अनुमति से चर्चा की जायेगी। बैठक मे अनुसूचित क्षेत्र मे विशेष ग्राम सभाओं, ग्राम सभा के गठन व गठन हेतु प्रस्ताव की प्रक्रिया, अध्यक्षता, सचिव, बैठक की तारीख, समय और स्थान, सूचना देने की रीति, संयुक्त बैठक, लिए गए निर्णय, संचालन एवं अभिलेख संधारण, निर्णय, अपील समिति, गणपूर्ति के अलावा ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत की शक्तियां एवं कृत्य, निधियां, शांति एवं सुरक्षा, भूमि प्रबंधन, जल संसाधनों एवं लघु जल संभर की योजना, प्रबंधन, खान और खनिज, मादक पदार्थ नियंत्रण, अनुसूचित क्षेत्रों मे शराब, भंाग के उपभोग पर प्रतिबंध तथा विनियमन, श्रम शक्ति की योजना, गौण वनोपज, गौण वनोपज संबंधित अधिकार, बाजार तथा मेलों के नियंत्रण, साहूकारी आदि के बारे मे विस्तार पूर्वक चर्चा की गई।
अधिनियम का गहनता के साथ अध्ययन करें
कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों से कहा कि पहले जो अधिकार शासन को थे, वो अब पेसा अधिनियम के तहत आदिवासी समुदाय को हस्तांरित कर दिए गए है। इसलिए आवश्यक है कि अधिकारी पेसा अधिनियम से संबंधित नियमावली का गहनता के साथ अध्ययन करें। उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं के लिए ग्राम पंचायत सचिव को प्रशिक्षित किया जाए। पेसा एक्ट पर गंभीरता के साथ कार्य किया जाए। उन्होंने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को निर्देशित किया कि वे संबंधित अधिकारियों के रोस्टर तैयार करायें। कौन सा अधिकारी, किस तारीख पर, किस गांव मे जा रहा है, इसकी जानकारी दर्ज करायें। बैठक मे जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी इला तिवारी ने बताया कि जिले की 44 ग्राम पंचायतों के 102 ग्रामों मे पेसा एक्ट के तहत ग्राम सभाओं का आयोजन 20 नवंबर से प्रारंभ किया गया है, जो निरंतर जारी है। इस दौरान ग्रामीण जनों को पेसा एक्ट के बारे मे विस्तार पूर्वक जानकारी दी जा रही है।
ग्रामीणो को किया जागरूक
गुरूवार को पाली जनपद के ग्राम पैली, बड़वाही, डिडवरिया, कुशमहाकला, ब्लाकपडऱी, कांचोदर, चांदपुर, बाघलबहरा तथा धौरई, मे ग्राम सभाओं का आयोजन किया गया। जिसमे बताया गया कि पेसा एक्ट से ग्रामीणो को जमीन का अधिकार मिल गया है। अब पटवारी और बीट गार्ड गांव की जमीन और वन क्षेत्र का नक्शा, खसरा, बी-1 आदि ग्राम सभा को हर साल उपलब्ध कराएंगे। यदि राजस्व अभिलेखों मे कोई गलती पाई जाती है तो ग्राम सभा को सुधार के लिए अपनी अनुशंसा भेजने का पूरा अधिकार होगा। अधिसूचित क्षेत्रों मे बिना ग्राम सभा की सहमति के किसी भी प्रोजेक्ट के लिए गांव की जमीन का भू- अर्जन नहीं किया जाएगा। गैर जनजातीय या कोई भी व्यक्ति छल-कपट से, बहला-फुसलाकर, विवाह करके जनजातीय भाई-बहनों की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने या खरीदने की कोशिशकरें तो ग्राम सभा इसमे हस्ताक्षेप करेंगी। अधिसूचित क्षेत्रों मे ग्राम सभा की अनुशंसा के बिना खनिज के पट्टे, पट्टा देने या नीलामी की कार्यवाही नही की जा सकेगी। पेसा एक्ट का दूसरा अधिकार है जल का है। गांव के तालाबों का प्रबंधन अब ग्राम सभा करेगी। 100 एकड़ तक की सिंचाई क्षमता के तालाब और जलाशय का प्रबंधन संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा किया जाएगा। पेसा एक्ट मे तीसरा अधिकार है जंगल का है।
लंबित पत्रों एवं शिकायतों का करें त्वरित निराकरण
कलेक्टर कृष्णदेव त्रिपाठी ने अधिकारियों से कहा है कि लंबित पत्रों एवं सीएम हेल्पलाईन की शिकायतों का निराकरण सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर किया जाय। गत दिवस समय सीमा की साप्ताहिक बैठक मे विभिन्न विभागों के समय सीमा पत्रों की समीक्षा करते हुए कलेक्टर श्री त्रिपाठी ने कहा कि प्रतिदिन शिकायतों को अटेंड करते हुए उनका निराकरण किया जाय। उन्होने राजस्व अधिकारियों से कहा कि नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन के प्रकरणों को गंभीरता पूर्वक निपटाएं। इस दौरान उन्होने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि वे अपने-अपने विभाग से संबंधित योजनाओं एवं लाभ की जानकारी हितग्राहियों को दें। बैठक मे अपर कलेक्टर अशोक ओहरी, वनमण्डला अधिकारी मोहिद सूद, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत इला तिवारी, एसडीएम नेहा सोनी, सिद्धार्थ पटेल, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, नगरीय निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारी सहित विभिन्न विभागों के जिला प्रमुख उपस्थित थे।
आदिवासियों को मिले शासन के अधिकार
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