आजाद-पूनावाला सहित इन हस्तियों को मिला पद्म पुरस्कार

पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत को मरणोपरांत पद्म विभूषण
 नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद सहित कई हस्तियों को आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्म  पुरस्कारों से सम्मानित किया। आजाद को सार्वजनिक क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए पद्म भूषण पुरस्कार दिया गया। पैरालंपिक रजत पदक विजेता देवेंद्र झाझरिया को भी मिला पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया। इसके अलावा एसआईआई के एमडी सायरस पूनावाला ने व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में पद्म भूषण प्राप्त किया। सीडीएस जनरल बिपिन रावत को मरणोपरांत पद्म विभूषण दिया गया जो उनकी बेटियों कृतिका और तारिणी की ने लिया।
25 जनवरी को हुआ था नामों का एलान 
केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का एलान किया था। कुल 128 नामों का चयन किया गया था। इस साल पद्म विभूषण के लिए कुल चार नाम चुने गए, जबकि 17 हस्तियों के नाम पद्म भूषण के लिए चुने गए थे। इसके अलावा 107 लोगों को पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया।
126 साल के स्वामी शिवानंद के सम्मान में झुकी सरकार

वाराणसी के 126 साल के स्वामी शिवानंद, नंगे पैर पद्मश्री अवॉर्ड लेने पहुंचे। लेकिन, माहौल उस वक्त भावुक हो गया जब शिवानंद अवॉर्ड लेने से पहले पीएम मोदी को नमस्कार करने घुटनों के बल बैठ गए। शिवानंद के ये भाव देखकर पीएम मोदी भी अपनी कुर्सी से उठकर शिवानंद के सम्मान में झुक गए।

स्वामी शिवानंद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने भी घुटनों पर बैठ गए। लेकिन राष्ट्रपति कोविंद ने उन्हें झुककर उठाया। स्वामी शिवानंद को भारतीय जीवन पद्धति और योग के के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान दिया गया है। राष्ट्रपति भवन में 126 साल के स्वामी ने अपनी फिटनेस से सबको चौंका दिया।

बाबा शिवानंद की चमत्कार भरी यात्रा
बाबा शिवानंद का जीवन किसी चमत्कार से कम नहीं है। 1896 में जन्मे बाबा शिवानंद बंगाल से काशी पहुंचे। गुरु ओंकारानंद से शिक्षा लेने के बाद वे योग और धर्म में बड़े प्रकांड पुरुष साबित हुए। 6 साल की उम्र बहन, मां और पिता की मौत एक महीने के अंदर ही हो गई। उन्होंने मोहवश माता-पिता को मुखाग्नि देने से ही इंकार कर दिया। कर्मकांडियों के घोर विरोध के बाद भी चरणाग्नि ही दी। 1925 में उनके गुरु ने उन्हें विश्व भ्रमण का निर्देश दिया। 29 साल के शिवा लंदन गए और लगातार 34 साल तक भ्रमण ही करते रहे। अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया, रूस आदि देशों की यात्रा से लौटकर जब वह स्वदेश आए तो भारत तब तक अपना 9वां गणतंत्र दिवस मना रहा था। बाबा आज भी ब्रह्मचर्य के नियम का पालन करते हैं। उबला भोजन और सब्जी ही खाते हैं।

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