आज विदा होंगे गौरीनंदन

बस स्टेण्ड से निकलेगा चल समारोह, विसर्जन के लिये बनाये गये कुण्ड
बांधवभूमि, उमरिया
अनंत चतुर्थी पर आज जिले भर मे प्रथम पूज्य गणपति जी को भाव और श्रद्धापूर्ण विदाई दी जायेगी। दस दिन पूर्व घरों तथा पण्डालों मे विराजे गौरीनंदन की हवन आदि के उपरांत अगले बरस जल्दी आने के आहवान के सांथ विसर्जित किया जायेगा। जिला मुख्यालय के बस स्टेण्ड मे विगत वर्षो की भांति इस बार भी चल समारोह धूमधाम से रवाना होगा। जिले की सामाजिक एवं धार्मिक संस्था श्री रघुराज मानस कला मंदिर के अध्यक्ष अजय सिंह ने बताया कि आज 10 सितंबर को सायं 5 बजे से बस स्टेण्ड प्रांगण मे गणेश जी की प्रतिमायें एकत्रित होंगी। मंचीय कार्यक्रम एवं पूजा-अर्चना के बाद प्रतिमाओं का जुलूस गाजे-बाजे के सांथ विसर्जन स्थलों की ओर रवाना किया जायेगा। कला मंदिर के अध्यक्ष श्री सिंह ने नगर की समस्त समितियों से बस स्टेण्ड परिसर मे पहुंच कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने की अपील की है।
नपाध्यक्ष ने किया विसर्जन स्थलों का दौरा
नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष श्रीमती रश्मि सिंह ने नगरवासियों को अनंत चतुर्दशी की बधाई दी है। साथ ही नगर पालिका प्रशासन से प्रथम पूज्य के चल समारोह और विसर्जन के लिए समस्त आवश्यक इंतज़ाम करने के निर्देश दिए हैं। गुरुवार को श्रीमती सिंह ने स्वयं विसर्जन स्थलों का दौरा कर कुण्ड आदि का निरीक्षण किया। नपाध्यक्ष ने कहा कि कुण्ड मे स्वच्छ जल ही भरा जाय। आसपास का इलाका पूरी तरह से साफ हो ताकि विसर्जन पूर्व भगवान की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जा सके। अध्यक्ष श्रीमती सिंह ने बताया कि प्रतिमाओं के विसर्जन हेतु खलेसर घाट, फिल्टर प्लांट तथा ज्वालामुखी घाट मे कुण्ड बनाये गये हैं। उन्होने नागरिकों से अपील की है कि निर्धारित कुण्डों के अलावा अन्यंत्र तालाब, नदी घाट आदि मे प्रतिमाओं का विसर्जन न करें। ताकि सुरक्षा के सांथ जल के स्त्रोतों को संरक्षित किया जा सके। निरीक्षण के दौरान मुख्य नगर पालिका अधिकारी एसके गढपाले, पार्षद त्रिभुवन प्रताप सिंह, उपयंत्री देवकुमार गुप्ता, पार्षद ओम प्रकाश सोनी, ताराचंद राजपूत, लाल भवानी सिंह, सुनील कुमार कोरी आदि उपस्थित थे।
कल से शुरू होगा पितृ पक्ष
गणेशोत्सव के समापन के सांथ ही कल 10 सितंबर से पितरों की आराधना का पर्व पितृपक्ष प्रारंभ हो जायेगा। पूर्णिमा से अमावस्या के बीच पंद्रह दिनो तक चलने वाले पितृपक्ष मे लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं। इस दौरान जिन तिथियों पर पितरों का देहांत होता है, उसी तिथि पर उनका श्राद्धकर्म, तर्पण इत्यादि किया जाता है। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न हो कर अपनी संतानो को आशीर्वाद देकर प्रस्थान करते हैं। पितृमोक्ष अमावस्या पर पितरों को ससम्मान विदा किया जाता है।

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