आग से अब तक 10 मासूमो की मौत

हमीदिया अस्पताल मे हुए हादसे से दहली राजधानी, फूटा परिजनो का गुस्सा

भोपाल। भोपाल में हमीदिया अस्पताल के कमला नेहरू बाल चिकित्सालय में सोमवार रात हुए भीषण अग्निकांड के बाद मंगलवार सुबह से ही मातम और अफरा-तफरी का माहौल रहा। सूत्रों के अनुसार हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई है, वहीं कई गंभीर हैं। हालांकि सरकार ने अभी तक 5 बच्चों की मौत की पुष्टि की है। उधर, हादसे के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा है। इसको देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। उधर, हादसे के शिकार बच्चों के माता पिता के आंसू रूकने के नाम नहीं ले रहे हैं। चारों तरफ एक ही सवाल पूछे जा रहे हैं कि मासूमों की मौत का जिम्मेदार कौन है। हमीदिया अस्पताल के कमला नेहरू बाल चिकित्सालय की तीसरी मंजिल पर सोमवार रात भीषण आग लग गई थी। वॉर्ड में उस वक्त करीब 40 बच्चे भर्ती थे। सरकार इस हादसे में सोमवार को 4 बच्चों की मौत की पुष्टि की थी। लेकिन अस्पताल सूत्रों का कहना है की 10 बच्चों की मौत हुई है। हमीदिया अस्पताल के कमला नेहरू बाल चिकित्सालय में दो वेंटीलेटर में शार्ट सर्किट से आग लगी और उसके बाद ब्लास्ट हुआ। बच्चों का यह वार्ड कमला नेहरू अस्पताल की तीसरी मंजिल पर बना हुआ है। आग लगने से वार्ड में धुंआ भर गया और वहां अफरातफरी मच गई। हादसे में धुंए के कारण दम घुटने तीन बच्चों की मौत हो गई। एक और बच्चे ने बाद में दम तोड़ दिया। आग पर करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद काबू पाया जा सका।
हमीदिया मैनेजमेंट की बड़ी लापरवाही
कमला नेहरू चिकित्सालय में सोमवार की रात हुई आगजनी में हमीदिया अस्पताल मैनेजमेंट की बड़ी लापरवाही सामने आई है। नगर निगम का फायर ब्रिगेड विभाग के लगातार नोटिस के बाद भी मैनेजमेंट ने फायर सिस्टम सुधारने की जरूरत तक नहीं समझी। पिछले एक साल में करीब 4 से 5 बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन मैनेजमेंट ने ध्यान नहीं दिया। आखिरी बार 22 जून को अस्पताल प्रबंधन को उनके फायर सिस्टम की खामी सुधारने के लिए नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस को भी 147 दिन बीत चुके हैं। 8 नवंबर तक अस्पताल प्रबंधन ने सुधार नहीं किया। न ही फायर सिस्टम को अपडेट किया ना नए उपकरण लगवाए और ना पुराने की मरम्मत करने की जहमत उठाई। नोटिस के पहले फायर डिपार्टमेंट की तरफ से 15 मई को मॉकड्रिल भी की गई थी। उस दौरान मिली खामियों में सुधार के लिए कहा गया था। यह भी चेताया गया था कि कभी कोई आगजनी घटना हुई, तो कैसे निपटेंगे। बहुत सारी गफलत मिली थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की तरफ से नहीं सुधार नहीं किया गया। 22 जून के पहले 12 अप्रैल को भी फायर सिस्टम की खामियों और उसे सुधार के लिए नोटिस जारी किया गया था।
एक डेढ़ साल में चार-पांच नोटिस
नगर निगम में फायर विभाग के प्रभारी अपर आयुक्त केएस परिहार ने बताया कि पिछले एक डेढ़ साल में कमला नेहरू चिकित्सालय को चार-पांच नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इसके बाद भी डिपार्टमेंट की तरफ से लगातार भेजे गए नोटिस और खामियों को सुधारने को लेकर वे नजर अंदाज करते रहे। 15 मई को हॉस्पिटल में हुए मॉकड्रिल के दौरान उनके अधिकारी व कर्मचारी वहां साथ में थे। उन्हें बताया गया था कि फायर सेफ्टी के उपकरण खराब हैं। कोई आगजनी घटना हुई, तो कैसे बचाव करेंगे। इसके बाद भी हमारी तरफ से लगातार नोटिस जारी होता रहा, लेकिन सुधार नहीं किया गया।
एक महीने में दूसरी बार आग
हमीदिया अस्पताल परिसर में कॉलेज और अस्पताल की कई नयी इमारतें बन रही हैं। इससे पहले भी पिछले महीने यहां आग लग गयी थी। नई इमारत के सेकेंड फ्लोर पर बने ठेकेदार के स्टोर रूम में आग लग गई थी लेकिन समय रहते आग पर काबू पा लिया गया था। इसलिए बड़ा हादसा होने से बच गया था।
उच्चस्तरीय जांच होगी: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हमीदिया हादसे की उच्चस्तरीय जांच होगी। उस समय फायर आग बुझाने वाले हाईड्रेंट और फायर एक्सटिंग्विशर काम कर रहे थे या नहीं, इसकी जांच की जाएगी। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस हादसे से यह साफ हो गया है कि फायर सेफ्टी का ऑडिट बेहद जरूरी है। सरकारी ही नहीं बल्कि प्राइवेट अस्पतालों में भी फायर सेफ्टी को लेकर सख्ती बरती जाएगी।
उमा भारती ने उठाए फायर सेफ्टी पर सवाल
हमीदिया हॉस्पिटल में आग लगने के मामले में मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेत्री उमा भारती ने व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर हादसे पर दुख प्रकट किया। साथ ही कहा कि मृतक शिशुओं के माता-पिता एवं परिवार के प्रति मेरी अत्यधिक संवेदना है। यद्यपि उनके दुखों की भरपाई नहीं हो सकती, परंतु अपराधियों के खिलाफ कठोरतम कारवाई से राजधर्म पालन होगा। उमा भारती ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भोपाल के हमीदिया हॉस्पिटल के अंतर्गत कमला नेहरू अस्पताल के नवजात शिशु वार्ड में हुए हादसे में नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हुई है। इसे भुलाया नहीं जा सकता। इस हादसे ने अनेक सवाल खड़े कर दिए हैं। इसमें जिन्होंने भी लापरवाही की हैं, उन्हें अतिशीघ्र कठोरतम दंड मिलना चाहिए। मेरी आज (मंगलवार) सुबह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात हुई हैं। वे भी इस घटना से बहुत दुखी हैं।
उन्होंने सवाल किया कि कमला नेहरू अस्पताल के नवजात शिशु वार्ड का फायर ऑडिट कब से नहीं हुआ? उसके मेंटेनेंस और मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी किसकी थी? इसे कब और कितना बजट मिला है? सारे तथ्यों की जांच कर अपराधियों को तुरंत कठोरतम दंड मिलना चाहिए।
कमलनाथ ने विभागीय मंत्री से इस्तीफा मांगा
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी मंगलवार को हमीदिया पहुंचे। उनके साथ पूर्व मंत्री पीसी शर्मा और भोपाल जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश मिश्रा भी साथ थे। कमलनाथ ने आरोप लगाया कि यहां आंकड़े छिपाने का खेल चल रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि वार्ड में 150 बच्चे थे। लेकिन सिर्फ 40-50 बच्चों की जानकारी ही दे रहे हैं। मामला दबाने और छुपाने का काम हो रहा है। अस्पताल में भर्ती बच्चों की हालात भी गम्भीर है। कमलनाथ ने कहा कि इस मामले की जांच सिटिंग जज से कराना चाहिए। पिछले 6 माह में यह दूसरी घटना है। विभागीय मंत्री को जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। वहीं शाम को कांग्रेस ने प्रदर्शन कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।

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