आईएस मे शामिल हुईं केरल की चार महिलाओं को भारत आने की इजाजत नही

महिलाओं की आयशा, रफीला, मरियम और निमिशा उर्फ फातिमा ईसा के रूप में हुई है पहचान
नई दिल्ली। इस्लामिक स्टेट (आईएस) से जुड़ने वाली तथा अफगानिस्तान की जेल में बंद केरल की चार महिलाओं को भारत आने की इजाजत नहीं दी जाएगी। ये महिलाएं अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत में अपने पति के साथ आईएस में शामिल होने 2016-18 में अफगानिस्तान के नंगरहार पहुंची थीं। इनके पति अलग-अलग हमलों में मारे गए थे। ये महिलाएं आईएस के उन लड़ाकों में शामिल थीं, जिनने नवंबर और दिसंबर 2019 में अफगान अफसरों के सामने समर्पण कर दिया था। राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के प्रमुख अहमद जिया सरज ने काबुल में बताया कि 13 देशों के आईएस के 408 सदस्य जेलों में बंद हैं। इनमें चार भारतीय, 16 चीनी, 299 पाकिस्तानी, दो बांग्लादेशी, मालदीव के दो और अन्य शामिल हैं। अफगानिस्तान सरकार ने कैदियों को निर्वासित करने के लिए 13 देशों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। काबुल में वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि उन्हें भारत के फैसले का इंतजार है। सूत्रों ने बताया कि चारों भारतीय महिलाओं की घर वापसी को लेकर सरकार की विभिन्न एजेंसियों के बीच कोई सहमति नहीं बन पा रही है, और इसकी संभावना भी बहुत कम है कि उन्हें लौटने की इजाजत दी जाए। अपने बच्चों के साथ जेल में बंद इन महिलाओं से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने काबुल में दिसंबर 2019 में मुलाकात की थी। मार्च 2020 में, रणनीतिक मामलों की वेबसाइट ने तीनों महिलाओं से पूछताछ का एक वीडियो पब्लिश किया था। वीडियो में दिखाई देने वाली चार महिलाओं की पहचान सोनिया सेबेस्टियन उर्फ आयशा, रफीला, मेरिन जैकब उर्फ मरियम और निमिशा उर्फ फातिमा ईसा के रूप में हुई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दो अन्य भारतीय महिलाओं और एक पुरुष ने अफगानिस्तान के अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया था। अधिकारी ने बताया, इन महिलाओं की वापसी और उन्हें सरकारी गवाह बनने की अनुमति देने पर विचार किया गया। लेकिन इंटरव्यू से पता चला कि वो बहुत कट्टरपंथी सोच रखती हैं। अफगानिस्तान के अधिकारियों से उन पर मुकदमा चलाने का अनुरोध किया जा सकता है। भारत के अनुरोध पर इंटरपोल ने इन महिलाओं के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 2017 में आरोपपत्र दायर किया था, जब सेबेस्टियन सहित केरल के 21 पुरुषों और महिलाओं के एक समूह ने 2016 में अफगानिस्तान में आईएस में शामिल होने के लिए भारत छोड़ा था। वे ईरान से पैदल ही अफगानिस्तान पहुंचे।

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