अपने ही मंत्र…जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं को भूली सरकार

-अपने ही मंत्र…जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं को भूली सरकार
-लड़ाई में ढिलाई, दवाई भी नहीं बनाई, सीरम ने घुटने टेके, बायोटेक की भी बाय-बाय
-66 प्रतिशत राज्यों में 2 दिन की वैक्सीन
-वैक्सीन के लिए मारामारी, कहीं स्लॉट नहीं मिल रहे तो कहीं स्लॉट के बावजूद लौटाए जा रहे लोग
-अब गांव बने कोरोना का एपिसेंटर, न स्वास्थ्य सुविधाएं, न सिस्टम को सुध..कैसे संभलेंगे हालात?
नई दिल्ली। जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं… पूरे देश को सीख देने वाले देश के मुखिया खुद अब पढ़ाई भूल गए और कोरोना जैसी महामारी से लड़ते देश में सरकार ने लड़ाई में तो ढिलाई दिखाई ही, इस लड़ाई का हथियार बने टीके के निर्माण से भी नजरें फेर लीं, जिसका परिणाम यह है कि जिंदगी की उम्मीद बनी वैक्सीन का पूरे देश में इस कदर टोटा पड़ा हुआ है कि 66 प्रतिशत राज्यों में केवल दो दिन की वैक्सीन बची है और सरकार वैक्सीन देने के बजाय राज्यों को उम्मीद के टीके लगा रही है। उधर वैक्सीन निर्माता सीरम ने साफ कह दिया है कि वह जुलाई से ही वैक्सीन दे पाएंगे और बायोटेक भी को-वैक्सीन का उत्पादन पूरा नहीं कर पा रही है।
कोरोना से लड़ाई के लिए देश में वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है। अब 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन की डोज दी जा रही है। हालांकि, वैक्सीन की शार्टेज की वजह से कई जगह पर अभी भी वैक्सीनेशन शुरू नहीं हो पाया है और जहां शुरू हो पाया है, वहां बदइंतजामी इतनी है कि अप्वाइंमेंट के बावजूद लोगों को वापस लौटना पड़ रहा है।
हर माह 9 करोड़ टीके बनाने का वादा
आज से 6 माह पूर्व देश में कोरोना से लड़ाई की दो उम्मीदें कोविशील्ड और को-वैक्सीन के रूप में आई थीं। कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम और को-वैक्सीन बनाने वाली बायोटेक ने हर माह 9 करोड़ टीके बनाने का वादा किया था। भारत सरकार ने इस उम्मीद के टीके के लिए सीरम कंपनी से 400 करोड़ डॉलर का करार करते हुए हाथों हाथ 40 करोड़ डॉलर दे डाले। वहीं को-वैक्सीन से 210 करोड़ के करार करते हुए उसे भी 21 करोड़ डॉलर दिए, लेकिन सैकड़ों करोड़ों देकर भी सरकार वैक्सीन के निर्माण और डिलीवरी पर ध्यान नहीं दे पाई और भारत सरकार से मिले पैसों से टीके के निर्माण में तेजी लाई सीरम कंपनी ने देश को जब तक 35 लाख टीके दिए, तब तक वह एक करोड़ 60 लाख डोज विदेशों में निर्यात कर चुका था। इतने टीके के निर्माण के बाद वैक्सीन उत्पादन के लिए लगने वाले रॉ मटेरियल की कमी होने लगी और निर्माण घटता गया। इसके कारण जिस सीरम कंपनी की निर्माण क्षमता डेढ़ करोड़ से ढाई करोड़ टीके हर महीने बनाने की थी वह घटकर 80 लाख टीके की रह गई। कंपनी को अब इन्हीं टीके में से उन देशों को भी सप्लाय करना है, जिनसे वह करार कर चुकी और भारत की जरूरत को भी पूरा करना है। उधर बायोटेक भी रॉ मटेरियल की कमी के चलते अपनी क्षमता के अनुसार टीका निर्माण नहीं कर पा रही है। सीरम के अदार पूनावाला ने कहा कि यदि उन्हें रॉ मटेरियल ही उपलब्ध कराया जाए तब भी वह जुलाई माह तक 10 करोड़ डोज दे पाएंगे और देश की मांग के अनुरूप उत्पादन में कंपनी को 6 माह लगेंगे।
रॉ मटेरियल का टोटा है
सीरम कंपनी का कहना है कि वैक्सीन निर्माण के लिए तीन चीजों की कमी आ रही है। कंपनी को वैक्सीन निर्माण के लिए लगने वाला रॉ मटेरियल सेस कल्चर मीडिया, सिंगल यूज ट्यूबलीन और स्पेसलाइज केमिकल नहीं मिलने से वैक्सीन निर्माण में बाधा आ रही है।
सिर्फ 13 दिन में 50 हजार मौतें
भारत में कोरोना वायरस से मौत का सरकारी आंकड़ा 2.5 लाख पार कर चुका है। देश में कोरोना से 12 मार्च 2020 को पहली मौत दर्ज हुई थी। उसके बाद 50 हजार का आंकड़ा पार करने में 156 दिन लगे थे। लेकिन आखिरी 50 हजार लोगों की मौत में महज 13 दिन में हो गई है।
दिल्ली-मुंबई में हुईं सबसे ज्यादा मौतें
कोरोना से हुई मौतों के मामले में दिल्ली टॉप पर है। यहां 19 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। इसके बाद मुंबई, पुणे, बेंगलुरु और थाणे का नंबर आता है। भारत में कोरोना से हुई मौतों में करीब 30.82 प्रतिशत मामले महाराष्ट्र के हैं। दिल्ली की हिस्सेदारी 7.86 प्रतिशत, कर्नाटक की 7.63 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश की 6.28 प्रतिशत और तमिलनाडु की 6.36 प्रतिशत है। बाकी 41.05 प्रतिशत में अन्य सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। देश में एक्टिव केस की बात करें तो इस वक्त महाराष्ट्र में 16.50 प्रतिशत, कर्नाटक में 15.07 प्रतिशत, केरल में 11.32 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 6.25 प्रतिशत और राजस्थान में 5.35 प्रतिशत केस हैं।
कोरोना का नया ट्रेंड बढ़ा रहा टेंशन
भारत में इस साल 3 मई से 9 मई के बीच के हफ्ते में 27 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई और इस दौरान 27.4 लाख नए मामले सामने आए। इस अवधि में कोरोना मामलों में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जो दूसरी लहर के दौरान सबसे कम है। कोरोना की इस दूसरी लहर में पहली बार मृत्यु दर 1त्न के पार गई है। रोजाना होने वाली मौतों में भी 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस वक्त देश में कोरोना का घातक अनुपात 1.1 प्रतिशत से ऊपर है। यानी भारत में कोरोना पॉजिटिव होने वाले हर 100 लोगों में से एक से ज्यादा की मौत हो रही है। पंजाब, गुजरात, पश्चिम बंगाल के कई प्रमुख शहरों में हर 100 कोरोना संक्रमितों में से दो की मौत हो रही है। जबकि दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश प्रदेश जैसे बड़ी आबादी प्रदेशों में घातक अनुपात या इससे ज्यादा है।
1 अगस्त तक कोरोना से हो सकती हैं 10 लाख मौतें
मेडिकल जर्नल लांसेट के अनुसार 1 अगस्त तक भारत में कोरोना से 10 लाख मौतें होने की संभावना जताई गई है। ब्रिटेन से निकलने वाली इस प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मीट्रिक्स एंड इवेल्यूएशन के हवाले से आंकड़े लिए गए हैं। यह एक स्वतंत्र वैश्विक स्वास्थ्य शोध संगठन है। लांसेट ने मोदी सरकार की भी जमकर आलोचना की है। जर्नल ने अपने संपादकीय में लिखा, अगर दस लाख से ज्यादा मामले आते हैं, तो इस राष्ट्रीय आपदा के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार होगी। भारत को कोविड-19 पर नियंत्रण हासिल करने में शुरुआत में सफलता मिली थी। लेकिन अप्रैल तक भारत सरकार की कोविड-19 टास्कफोर्स की महीनों से बैठक ही नहीं हुई थी।

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