अधिकारियों की लूट का अड्डा बनी उमरिया बकेली ग्राम पंचायत

अधिकारियों की लूट का अड्डा बनी उमरिया बकेली ग्राम पंचायत

तालाब, स्टापडेम और डाईवर्जन चैनल निर्माण मे लाखों की धांधली, सुविधाओं को तरसते ग्रामीण

बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष

मध्यप्रदेश

उमरिया
मानपुर। जिले के मानपुर जनपद की पंचायतों मे पनपा भ्रष्टाचार क्षेत्र के विकास को घुन की तरह चाट रहा है। आलम यह है कि ग्रामीण अंचलों मे मूलभूत सुविधाओं के विस्तार हेतु सरकार द्वारा भेजा गया पैसा अधिकारियों की जेब मे जा रहा है। यही कारण है कि यहां के बाशिंदे आज भी अभाव और अव्यवस्था के बीच जीवन बसर करने पर मजबूर हैं। पंचायत के नुमाईन्दों और अफसरों की सांठगांठ से किस तरह धांधली की जा रही है, इसका प्रमाण जनपद की उमरिया-बकेली ग्राम पंचायत है, जहां काम केवल कागजों पर ही हो रहे हैं। आज भी ग्राम पंचायत के कई इलाकों मे पक्की सडक तक नहीं है। जिसकी वजह से बरसात मे लोग घुटनो तक कीचड़ मे रेंगने पर मजबूर हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि जरा सी बारिश होते ही गांव की सडक़ तालाब बन जाती है, जहां से पैदल चलना तो दूर ट्रेक्टर निकलना भी मुश्किल है। उन्होने बताया कि गांव मे लाखों रूपये खर्च करके सडक़ के किनारे पक्की नाली और सीसी रोड बनवाई गई थी, परंतु घटिया निर्माण कार्य तथा बंदरबांट के चलते नाली और सडक कुछ महीनो मे ही उखड कर बर्बाद हो गई।

अधूरा काम, पूरा आहरण
इसी तरह बकेली-उमरिया ग्राम पंचायत मे कुछ दिन पहले ही पहले नमामि गंगे अभियान के तहत जेसीबी और टेक्टर लगा कर एक पुराने तालाब का जीर्णोद्धार कराया गया है। चर्चा है कि इस कार्य के नाम पर करीब दस लाख रूपये का आहरण किया गया है। जबकि अभी भी कई स्थानो पर सीढ़ी और पत्थर की पिचिंग बाकी है। स्थानीय बाशिंदों ने बताया कि तालाब मे पानी आने का कोई मार्ग नहीं है। उनका दावा है कि यदि तालाब मे पानी का भराव हुआ तो यह फूट भी सकता है।

लाखों के निर्माण मे पड़ीं दरारें
इसी सत्र मे करीब पंद्रह लाख रुपये तक के कुछ नये तालाब और स्टॉप डेम भी बनवाये गये हैं, इसमे भी जम कर हेराफेरी हुई है। इसके अलावा ग्राम पंचायत के कुशवाहा मोहल्ले मे कुछ माह पहले 14 लाख 84 हजार रूपये की लागत से बाढ़ डाईवर्जन चैनल का निर्माण कराया गया है। जिसमे घटिया सीमेंट और लोहे का उपयोग हुआ है, वहीं सिंचाई भी नहीं कराई गई। जिससे संरचना मे जगह-जगह गहरी दरारें पड़ गई हैं। इस तरह की कई गड़बडिय़ां और भी हैं, जिनकी जांच जरूरी है। सूत्रों का कहना है कि क्षेत्रीय पीसीओ और जनपद के उपयंत्री की मनमानी के चलते ग्राम पंचायत के 80 फीसदी मजदूर काम के लिये तरस रहे हैं।

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