अंतत: पसीजा रेलवे का दिल
ढेरों लानत-मलामत के बाद कुछ गाडिय़ां चलाने का फैंसला, यात्रियों को राहत
बांधवभूमि, उमरिया
बीते कई वर्षो से यात्रियों के सांथ अन्याय का कोई मौका न छोडऩे वाले रेल प्रशासन ने काफी लानत-मलामत के बाद कुछ ट्रेनो का परिचालन निर्धारित तिथि से पहले शुरू करने का फैंसला किया है। हलांकि अभी भी कई ट्रेने रद्द ही रहेंगी। गौरतलब है कि विगत दिनो तीसरी लाईन सिग्नल के विद्युतीकरण की आड़ लेकर रेल प्रशासन ने कई ट्रेनो की बंदी 14 दिनो के लिये और बढ़ा दी थी। इससे जनता मे आक्रोष फैल गया था। लोग रेलवे के सांथ, स्थानीय सांसद और केन्द्र सरकार को भी जम कर कोस रहे थे। संभवत: इसी वजह से यह निर्णय लिया गया है।
तीन वर्षो से चल रहा खेल
बताया जाता है कि रेलवे विगत तीन वर्षो से बंद-चालू का खेल खेल रही है। इस दौरान शहडोल संभाग से गुजरने वाली कई महत्वपूर्ण ट्रेनो को रद्द किया गया है। इनमे से कटनी-चिरमिरी और चंदिया चिरिमिरी जैसी गाडिय़ां तो तीन सालों से बंद पड़ी हैं। जबकि भोपाल-बिलासपुर, जबलपुर-अंबिकापुर आदि ट्रेने मनमाने तौर पर कभी शुरू तो कभी रद्द होती रही हैं। इस रवैये के कारण यात्रियों, विशेष कर गरीब तबके के लोगों और व्यापारियों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
तो फिर कैसे चल रही माल गाडिय़ां
उल्लेखनीय है कि लंबे समय से रेल प्रशासन कभी नॉन इंटरलॉकिंग, रखरखाव तो कभी अन्य कारण बता कर ट्रेने रद्द करता रहा है। जबकि इसी दौरान माल गाडिय़ां बेरोकटोक गुजरती रही हैं। सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि जब विभिन्न कार्यो के चलते यात्री गाडियों के संचालन मे दिक्कत है तो फिर गुड्स ट्रेने आखिर क्यों चल रही हैं। इस बात का जवाब न तो रेल प्रबंधन, ना सरकार और ना ही चार लाख रूपये से जीत कर सांसद बनने वाली नेत्री श्रीमती हिमाद्री सिंह के पास है।
श्रेय लेने मे शर्म नहीं
जिला मुख्यालय और दुनिया का मुख्य पर्यटन केन्द्र बांधवगढ़ नेशनल पार्क होने के बावजूद आज भी दर्जनो ट्रेने यहां नहीं रूक रही हैं। जनता की इतनी बड़ी दुर्गति के बावजूद जहां नुमाईन्दे पूरी तरह से मौन हैं। वहीं किस्मत से कोई नई ट्रेने चलनेे या स्टापेज मिलते ही बिलों से निकल कर श्रेय लूटने वाले छुटभैयों को भी सांप सूंघ गया है।
चलेंगी ये ट्रेने
रेल्वे द्वारा जिले से गुजरने वाली जिन ट्रेनो को चलाने की सूचना जारी की है, उनमे 12 जुलाई से 18235 भोपाल-बिलासपुर, 18247 बिलासपुर-रीवा, 11265 जबलपुर-अंबिकापुर, 13 जुलाई से 18236 बिलासपुर-भोपाल, 11266 अंबिकापुर-जबलपुर, 22169 रानी कमलापति-सांतरागांछी तथा 14 जुलाई से चलने वाली 22170 सांतरागांछी-रानी कमलापति, अंबिकापुर-जबलपुर और 18248 रीवा-बिलासपुर, शामिल हैं।
अंतत: पसीजा रेलवे का दिल
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