MP में स्थानीय निकाय चुनाव में ‘ट्रिपल टेस्ट’ से ही अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण तय होगा
भोपाल। मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं होगी। कोर्ट ने बुधवार को मप्र सरकार को आदेश दिया है कि स्थानीय निकाय चुनाव में OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट नियम का पालन करना होगा। कोर्ट ने कहा कि चूंकि अध्यादेश खत्म हो गया है और चुनाव रद्द हो गए हैं, इसलिए इस संदर्भ में दाखिल याचिकाएं निष्प्रभावी हो चुकी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर को OBC के लिए रिजर्व सीटों को सामान्य घोषित करने का आदेश दिया था, साथ ही सरकार को फटकार भी लगाई थी। कोर्ट ने कहा था- आग से मत खेलिए। कानून के दायरे में रहकर चुनाव करवाइए। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी।इससे पहले OBC आरक्षण तय न होने से निरस्त हुए पंचायत चुनाव के बाद लोगों में फैली नाराजगी दूर करने के लिए मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग प्रदेशभर से आंकड़े जुटा रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन, दो सदस्यों विधायक कृष्णा गौर और प्रदीप पटेल के साथ दमोह पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने OBC संगठन के सदस्यों से मुलाकात की और उसके बाद कलेक्ट्रेट में अधिकारियों के साथ एक बैठक की।
कलेक्टरों से मांगी गई OBC उम्मीदवारों की जानकारी
पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण बहाल करने के लिए सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए पिछले दो चुनाव में सामान्य सीटों पर जीतने वाले OBC वर्ग के उम्मीदवारों की जानकारी जुटाई जा रही है। अल्पसंख्यक एवं अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर इसका ब्योरा मांगा है। इससे पहले पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने सभी कलेक्टरों से OBC वोटरों की जानकारी मांगी थी।
अन्य राज्यों में ट्रिपल टेस्ट के फैसले पर नजर
OBC आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बैठक कर चुके हैं। जिसमें पंचायत चुनाव में आरक्षण तय करने के लिए ट्रिपल टेस्ट को किस तरह लागू करने पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट पर अन्य राज्य क्या फैसला ले रहे हैं? यह पता लगाएं। मुख्यमंत्री ने पिछड़ा वर्ग आयोग से कहा है कि वैकल्पिक तौर पर OBC वर्ग की सीटवार गणना करने का रोडमैप भी बनाएं।
आयोग 3 माह में तैयार करेगा OBC आबादी पर रिपोर्ट
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग OBC की आबादी जिले व तहसीलवार तैयार कर रिपोर्ट तैयार करेगा। आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने बताया कि इस काम में कम से कम 3 माह का समय लगेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कहा गया है कि प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट लागू करने के लिए राज्य स्तरीय आयोग के गठन की स्थापना करने का उल्लेख है। यह आयोग इस वर्ग की आबादी की गणना कर सिफारिश सरकार को देगा। इसके आधार पर आरक्षण तय किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का महाराष्ट्र स्थानीय चुनाव के लिए यह था निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर को महाराष्ट्र में स्थानीय चुनावों में 27% OBC के लिए आरक्षित सीटों के अध्यादेश को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने अपने 6 दिसंबर के आदेश में बदलाव से इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग अपनी पिछली अधिसूचना में बदलाव करते हुए हफ्ते भर में नई अधिसूचना जारी करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिसूचना में पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण के प्रावधान को रद्द कर दिया। इसके बाद बाकी बची 73% सीटें सामान्य श्रेणी के लिए रखे जाने की नई अधिसूचना एक हफ्ते में जारी करने का आदेश राज्य निर्वाचन आयोग को दिया है।
जानिए क्या है ट्रिपल टेस्ट?
1- राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना।
2- आयोग की सिफारिशों के मुताबिक स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो।
3- किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50% से अधिक नहीं होगा।
50% से ज्यादा आरक्षण सुप्रीम कोर्ट तय करेगा
शिवराज सरकार प्रदेश की 51% आबादी को साधने के लिए स्थानीय निकाय चुनाव में OBC उम्मीदवारों के लिए 27% सीटें रिजर्व करने का ऐलान कर चुका है। वर्तमान में 15% सीटें SC, 20% ST सीटें रिजर्व हैं। सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट नियम को देखें तो कुल आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं हो सकता है। इस हिसाब से OBC के लिए 15% सीटें रिजर्व हो सकती है। इस लिमिट को पार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेना होगी।
शिवराज ने कहा था – सभी वर्गों का कल्याण है लक्ष्य
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक दिन पहले ही विधानसभा में कहा था कि हमारी सरकार सभी वर्गों के लिए कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि चाहे सामान्य वर्ग हो, पिछड़ा वर्ग हो और SC-ST हो, सबकी भलाई और सब का कल्याण यह हमारा लक्ष्य है, सामाजिक न्याय और सामाजिक समरसता के साथ हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए सामान्य वर्ग के गरीबों को भी 10% आरक्षण देने का काम इसी सरकार ने किया है। OBC को भी 27% आरक्षण मिले वह भी हमने किया है।