मप्र हाईकोर्ट का OBC आरक्षण पर बड़ा फैसला: सिर्फ 14% आरक्षण देने के निर्देश
जबलपुर। हाईकोर्ट ने MPPSC एग्जाम में 27% OBC आरक्षण पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और MPPSC को नोटिस जारी करते हुए सिर्फ 14% OBC आरक्षण देने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने 27% OBC आरक्षण देने पर स्पष्टीकरण भी मांगा है। 27% OBC आरक्षण के खिलाफ जनरल कैटेगिरी की छात्रा निहारिका त्रिपाठी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 31 दिसंबर को जारी MPPSC के रिजल्ट को चुनौती दी थी। इस पर बुधवार को सुनवाई हुई।
अन्य परीक्षाओं के लिए भी लगाई थी रोक
मप्र सरकार ने राज्य में OBC आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था। इसके खिलाफ दायर की गई याचिका पर हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में OBC वर्ग को पूर्व की तरह ही 14 प्रतिशत आरक्षण जारी रखने के लिए 19 मार्च 2019 को अंतरिम आदेश दिया था। इसी तरह हाईकोर्ट ने MPPSC द्वारा विभिन्न पदों की परीक्षाओं की चयन सूची में भी OBC वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिए जाने का अंतरिम आदेश दिया था। साथ ही चार अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भी 27% ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। ओबीसी आरक्षण के समर्थन, ईडब्ल्यूएस आरक्षण, न्यायिक सेवा में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण, महिला आरक्षण तथा एनएचएम भर्ती में आरक्षण के संबंध में भी याचिकाएं दायर की गई थी। इन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। बावजूद राज्य सरकार ने 31 दिसंबर 2021 को MPPSC का रिजल्ट 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर जारी कर दिया था। मध्यप्रदेश में सीएम सनराइज स्कूलों में प्राचार्यों की नियुक्ति के उल्लंघन के मामले में हाईकोर्ट ने आदेश दिया। इसमें कहा गया है कि प्राचार्यों की नियुक्ति हाईकोर्ट के निर्णय के अधीन रहेगी। वहीं, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी।
मप्र सरकार ने राज्य में OBC आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था। इसके खिलाफ दायर की गई याचिका पर हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में OBC वर्ग को पूर्व की तरह ही 14 प्रतिशत आरक्षण जारी रखने के लिए 19 मार्च 2019 को अंतरिम आदेश दिया था। इसी तरह हाईकोर्ट ने MPPSC द्वारा विभिन्न पदों की परीक्षाओं की चयन सूची में भी OBC वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिए जाने का अंतरिम आदेश दिया था। साथ ही चार अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भी 27% ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। ओबीसी आरक्षण के समर्थन, ईडब्ल्यूएस आरक्षण, न्यायिक सेवा में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण, महिला आरक्षण तथा एनएचएम भर्ती में आरक्षण के संबंध में भी याचिकाएं दायर की गई थी। इन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। बावजूद राज्य सरकार ने 31 दिसंबर 2021 को MPPSC का रिजल्ट 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर जारी कर दिया था। मध्यप्रदेश में सीएम सनराइज स्कूलों में प्राचार्यों की नियुक्ति के उल्लंघन के मामले में हाईकोर्ट ने आदेश दिया। इसमें कहा गया है कि प्राचार्यों की नियुक्ति हाईकोर्ट के निर्णय के अधीन रहेगी। वहीं, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी।
नियुक्ति में नियम बदलने का मामला
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में 275 सीएम राइज स्कूलों में प्राचार्यों की नियुक्ति किया जाना है। इसमें नियम बदल कर प्राचार्य कि जगह उच्च माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही थी। इसके कारण मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। जहां सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस कर जवाब मांगा।
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के निवासियों को प्राइवेट क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने के प्रावधान वाले कानून पर अंतरिम रोक लगाने के हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया।जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ ने हरियाणा सरकार को नियोक्ताओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश भी दिया। पीठ ने कहा, ‘हमारा मामले के गुण-दोष से निपटने का इरादा नहीं है और हम हाईकोर्ट से शीघ्र और चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का अनुरोध करते हैं। पक्षकारों को स्थगन का अनुरोध नहीं करने और सुनवाई की तारीख तय करने के लिए अदालत के सामने मौजूद रहने का निर्देश दिया जाता है। हाईकोर्ट के जिस आदेश को चुनौती दी गई है,उस खारिज किया जाता है, क्योंकि अदालत ने विधेयक पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त कारण नहीं दिए हैं।हरियाणा सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए।पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में राज्य के निवासियों को 75 फीसदी आरक्षण देने संबंधी हरियाणा सरकार के कानून पर तीन फरवरी को अंतरिम रोक लगा दी थी। इस फैसले को हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने फरीदाबाद के विभिन्न उद्योग संघों और गुरुग्राम सहित हरियाणा की कई अन्य संस्थाओं की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अंतरिम रोक का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के निवासियों को प्राइवेट क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने के प्रावधान वाले कानून पर अंतरिम रोक लगाने के हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया।जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ ने हरियाणा सरकार को नियोक्ताओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश भी दिया। पीठ ने कहा, ‘हमारा मामले के गुण-दोष से निपटने का इरादा नहीं है और हम हाईकोर्ट से शीघ्र और चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का अनुरोध करते हैं। पक्षकारों को स्थगन का अनुरोध नहीं करने और सुनवाई की तारीख तय करने के लिए अदालत के सामने मौजूद रहने का निर्देश दिया जाता है। हाईकोर्ट के जिस आदेश को चुनौती दी गई है,उस खारिज किया जाता है, क्योंकि अदालत ने विधेयक पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त कारण नहीं दिए हैं।हरियाणा सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए।पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में राज्य के निवासियों को 75 फीसदी आरक्षण देने संबंधी हरियाणा सरकार के कानून पर तीन फरवरी को अंतरिम रोक लगा दी थी। इस फैसले को हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने फरीदाबाद के विभिन्न उद्योग संघों और गुरुग्राम सहित हरियाणा की कई अन्य संस्थाओं की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अंतरिम रोक का आदेश दिया था।
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