पूर्वोत्तर में 1 से 5 फरवरी तक चलेगा ‘प्रलय’ युद्धाभ्यास, S-400 एयर डिफेंस स्क्वाड्रन तैनात
नई दिल्ली।पूर्वोत्तर में तनाव के बीच भारतीय वायुसेना अगले महीने की शुरुआत में हवाई युद्ध अभ्यास करेगी। इसका नाम ‘प्रलय’ दिया गया है। भारतीय वायु सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पूर्वी क्षेत्र में S-400 एयर डिफेंस स्क्वाड्रन को तैनात करके सक्रिय कर दिया है। इसकी खासियत है कि यह किसी भी विमान या मिसाइल को 400 किमी तक की दूरी से भी रोक सकता है।1 से 5 फरवरी तक हासीमारा, तेजपुर और छाबुआ हवाईअड्डों से फाइटर प्लेन शक्ति प्रदर्शन के लिए उड़ान भरेंगे। अरुणाचल प्रदेश, असम समेत अन्य राज्यों में ड्रोन, हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमान अपनी ताकत दिखाएंगे। इसमें राफेल और सुखोई-30, C130J हरक्यूलिस, चिनूक हैवी लिफ्ट, अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर और ड्रोन शामिल रहेंगे।
दूसरा सबसे बड़ा कमांड-लेवल अभ्यास
भारत और चीन सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में 9 दिसंबर को हुई झड़प के बाद दो दिवसीय हवाई युद्धाभ्यास किया गया था। उसके बाद से यह दूसरा सबसे बड़ा कमांड लेवल अभ्यास है। सीमा पर चीन की लगातार बढ़ रही गतिविधियों को देखते हुए चीन को इस युद्धाभ्यास से जवाब दिया जाएगा। पिछले तीन सालों में पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ सटी सीमा पर चीन 50 हजार सैनिकों को तैनात किया है, जिनके पास बड़ी मात्रा में हथियार में भी हैं।
भारत और चीन सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में 9 दिसंबर को हुई झड़प के बाद दो दिवसीय हवाई युद्धाभ्यास किया गया था। उसके बाद से यह दूसरा सबसे बड़ा कमांड लेवल अभ्यास है। सीमा पर चीन की लगातार बढ़ रही गतिविधियों को देखते हुए चीन को इस युद्धाभ्यास से जवाब दिया जाएगा। पिछले तीन सालों में पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ सटी सीमा पर चीन 50 हजार सैनिकों को तैनात किया है, जिनके पास बड़ी मात्रा में हथियार में भी हैं।
LAC पर गतिविधियां बढ़ा रहा है चीन
3, 488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर चीन अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। डोकलाम के भूटानी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास को भी आगे बढ़ाया है। चीन ने अपने प्रमुख एयरबेस होतान, काशगर, गरगुनसा और शिगात्से को विस्तार देकर अपग्रेड किया है।वहीं, शिलॉन्ग में भारतीय वायुसेना उत्तर-पूर्वी हवाई अड्डों से चीन की सीमा पर निगरानी रख रही है, ताकि जब कभी चीन की सेना एलएसी के करीब उड़ान भरने या वहां के भारतीय स्थानों की ओर कदम बढ़ाने की कोशिश करे तो उसे खदेड़ा जा सके।
3, 488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर चीन अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। डोकलाम के भूटानी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास को भी आगे बढ़ाया है। चीन ने अपने प्रमुख एयरबेस होतान, काशगर, गरगुनसा और शिगात्से को विस्तार देकर अपग्रेड किया है।वहीं, शिलॉन्ग में भारतीय वायुसेना उत्तर-पूर्वी हवाई अड्डों से चीन की सीमा पर निगरानी रख रही है, ताकि जब कभी चीन की सेना एलएसी के करीब उड़ान भरने या वहां के भारतीय स्थानों की ओर कदम बढ़ाने की कोशिश करे तो उसे खदेड़ा जा सके।
Advertisements
Advertisements