इंटेलिजेंस का अलर्ट, रेलवे ट्रैक उड़ाने के लिए स्लीपर सेल को किया एक्टिव
नई दिल्ली।खुफिया एजेंसियों ने अलर्ट जारी कर चेतावनी दी है कि पाकिस्तान ने भारत को नुकसान पहुंचाने की बड़ी साजिश रची है। पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस एजेंसी (ISI) स्लीपर सेल्स के साथ रेलवे ट्रैक उड़ाने की प्लानिंग कर चुकी है, ताकि पंजाब और उसके आस-पास के इलाकों में साजिश को अंजाम दिया जा सके। ISI का फोकस उन ट्रैक्स पर हैं, जिन पर लगातार मालगाड़ियां गुजरती हैं।खुफिया एजेंसियों ने अलर्ट में यह भी कहा है कि ISI भारत में अपने गुर्गों को रेलवे ट्रैक को निशाना बनाने के लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग कर रही है। भारत में मौजूद पाकिस्तान के स्लीपर सेल को आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मोटी रकम दी जा रही है।
एक दिन पहले ही पकड़ा गया घुसपैठिया
एक दिन पहले ही, यानी 22 मई को सेना ने जम्मू सीमा के पास पाकिस्तानी व्यक्ति को गिरफ्तार किया। सेना ने जम्मू के खुर में इंटरनेशनल बॉर्डर के पास एक 21 साल के पाकिस्तानी को गिरफ्तार किया। अधिकारियों ने कहा कि मलिक चक का रहने वाला कृपाण नवाज शनिवार को जम्मू के बाहरी इलाके में अखनूर सेक्टर में घुस गया। बाद में उसे अरेस्ट करके पूछताछ के लिए रविवार को खुर पुलिस थाने में सौंप दिया गया।
कश्मीर में भी ISI रच रही अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल की साजिश
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI सरहद पर अपनी नापाक साजिश को अंजाम देने की कोशिश कर सकती है। इतना ही नहीं तालिबान के नाम पर वह जम्मू-कश्मीर में जेहादी ताकतों को उकसाकर बड़ी साजिश रचने की फिराक में है। इसके लिए वह अफगानिस्तान में लूटे गए अमेरिकी हथियारों का भी इस्तेमाल कर सकता है। BSF के डीजी पंकज कुमार सिंह ने कुछ दिन पहले ही यह जानकारी दी थी।
कश्मीर में पाकिस्तानी संगठन ही आतंकवाद की वजह
एक हफ्ते पहले ही जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले को लेकर अमित शाह ने रिव्यू मीटिंग में अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए थे। शाह ने कहा कि कश्मीर में कोई नया आतंकी संगठन नहीं पनपा है, इसलिए इनके नाम लेने से परहेज करें। मीटिंग में शाह ने लगातार हो रहे कश्मीरी पंडितों की हत्या पर चिंता जताई थी। शाह ने जम्मू पुलिस से कहा कि पाकिस्तान के रावलपिंडी से आतंकी साजिश की जा रही हैं।
कश्मीर में 2 आतंकी ग्रुप एक्टिव
इंटेलिजेंस इनपुट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में ISI की शह पर दो आतंकी संगठन सक्रिय हैं। इसमें लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद शामिल हैं। दोनों ग्रुप कई छोटे-छोटे संगठन बनाकर आतंकी वारदातों को अंजाम देते हैं, जिसमें तहरीक-ए-इस्लामी और रेजिडेंट फ्रंट मुख्य रूप से शामिल हैं।जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ सालों से लोकल टेररिस्ट्स की संख्या बढ़ रही है। आठ मई तक के अपडेट आंकड़ों के अनुसार साल 2018 में 187, 2019 में 121, 2020 में 181, 2021 में 142 और 2022 में 28 स्थानीय युवा आतंकी संगठनों का हिस्सा बने। इधर, कश्मीर में पिछले 4 महीने में 460 से ज्यादा आतंकी मुठभेड़ में मारे गए हैं।