9 साल मे तीन गुना बढ़ा देश पर कर्ज

67 साल मे 14 प्रधानमंत्रियों ने मिल कर लिया 55 लाख करोड़, जबकि पीएम मोदी ने अकेले उठाया 100 लाख करोड़ का कर्ज

नई दिल्ली। देश में एक तरफ मोदी सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं दूसरी तरफ अपने 9 साल के शासनकाल में सरकार ने कर्ज का बोझ बढ़ा लिया है। देश के 14 प्रधानमंत्रियों ने मिलकर 67 साल में कुल 55 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया। पिछले 9 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदुस्तान का कर्जा तिगुना कर दिया। 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज उन्होंने मात्र 9 साल में ले लिया। 2014 में सरकार पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए था, जो अब बढ़कर 155 लाख करोड़ हो गया है। ये बात कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कही है। इसके बाद से ही भारत सरकार के कर्ज को लेकर चर्चा तेज हो गई है। बजट 2023, इकोनॉमिक सर्वे और संसद में वित्त मंत्री के जवाब से हमने कांग्रेस के दावे की पड़ताल की है। केंद्रीय सरकार ने बजट की आधिकारिक वेबसाइट पर बताया है कि 31 मार्च 2023 तक भारत सरकार पर 155 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। अगले साल मार्च तक ये बढ़कर 172 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। इसके अलावा 20 मार्च 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सांसद नागेश्वर राव के एक सवाल का लिखित जवाब दिया है। सांसद नागेश्वर राव ने सरकारी कर्ज के बारे में सवाल पूछा था। इसके जवाब में वित्त मंत्री सीतारमण ने भी कहा कि 31 मार्च 2023 तक भारत सरकार पर 155 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। इस हिसाब से देखें तो पिछले 9 साल में देश पर 181 प्रतिशत कर्ज बढ़ा है।
साल-दर-साल बढ़ा औसत
2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो भारत सरकार पर कुल कर्ज 17 लाख करोड़ रुपए था। 2014 तक तीन गुना से ज्यादा बढ़कर ये 55 लाख करोड़ रुपए हो गया। इस समय भारत सरकार पर कुल कर्ज 155 लाख करोड़ रुपए है। वित्त वर्ष 2014-15 के मुताबिक तब भारत सरकार पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए था। 2014 में देश की कुल जनसंख्या 130 करोड़ मान ली जाए तो उस समय हर भारतीय पर औसत कर्ज करीब 42 हजार रुपए था। अब 2023 में भारत सरकार पर कुल कर्ज बढ़कर 155 लाख करोड़ रुपए हो गया है। भारत की कुल आबादी 140 करोड़ मान लें तो आज के समय में हर भारतीय पर 1 लाख रुपए से ज्यादा कर्ज है। इसी तरह अब अगर विदेशी कर्ज की बात करें तो 2014-15 में भारत पर विदेशी कर्ज 31 लाख करोड़ रुपए था। अब 2023 में भारत पर विदेशी कर्ज बढ़कर 50 लाख करोड़ रुपए हो गए।
कर्ज कम करने का किया था वादा
2014 में भाजपा ने सरकार बनाने से पहले जनता से वादा किया था कि वह भारत सरकार के कर्ज को कम करेगी, लेकिन पिछले 9 सालों में देश का कर्ज कम होने की जगह बढ़ा ही है। 2014 के बाद से अब तक मोदी सरकार ने विदेश से कुल 19 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, जबकि 2005 से 2013 तक 9 साल में यूपीए सरकार ने करीब 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज लिया। 2005 में देश पर विदेशी कर्ज 10 लाख करोड़ था, जो 2013 में बढ़कर 31 लाख करोड़ हुआ। यानी, 9 साल में 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज बढ़ा। 2014 से 2022 तक 33 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 50 लाख करोड़, यानी इन 9 साल में विदेशी कर्ज 19 लाख करोड़ रुपए बढ़ा। इससे एक बात साफ होती है कि 2014 के बाद एनडीए सरकार में देश का कर्ज कम नहीं हुआ है।

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