5 मेडिकल कॉलेज के 468 स्टूडेंट्स का नामांकन बर्खास्त करने के खिलाफ उठाया कदम
भोपाल। जबलपुर हाईकोर्ट के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देने के बाद इनके खिलाफ बड़ा एक्शन लिया गया है। जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध पांच मेडिकल कॉलेजों में पीजी के फाइनल ईयर के 468 स्टूडेंट्स के नामांकन कैंसिल (बर्खास्त) कर दिए गए हैं। इनमें GMC भोपाल के 95, MGM इंदौर के 92, गजराजा कॉलेज ग्वालियर के 71, नेताजी सुभाषचंद्र बोस कॉलेज जबलपुर के 37 और श्यामशाह कॉलेज, रीवा के 173 स्टूडेंट्स शामिल हैं। इधर, कार्रवाई के विरोध में तीन हजार मेडिकल स्टूडेंट्स ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। देर शाम प्रदेश के करीब 3500 जूडा ने अपना इस्तीफा डीन को सौंप दिया है। इनमें इंदौर के 476 और जबलपुर के 350 छात्र शामिल हैं।मेडिकल कॉलेज के डीन द्वारा जूनियर डॉक्टरों के नामांकन कैंसिल करने के लिए यूनिवर्सिटी को नाम भेजे गए थे। इसके बाद अब फाइनल ईयर के छात्र परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे। इस मुद्दे पर गांधी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बुलाई। इसमें प्रदेश जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जूडा की मांगें नहीं मानी हैं। उन्होंने केवल आश्वासन दिया है। ऐसे में जूडा के पास हड़ताल के अलावा विकल्प नहीं था। दवाई और संसाधन नहीं होने पर भी जूडा ने मरीजों का उपचार किया। अरविंद मीणा का कहना है कि भोपाल जीएमसी जूडा के अध्यक्ष हरीश पाठक के परिजनों को पुलिस लगातार परेशान कर रही है। छात्रों का एनरोलमेंट रद्द किया जा रहा है। ये सब सरकार के दबाव में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम कोर्ट का पूरी तरह सम्मान करते है और पूरा विश्वास करता है। जूड़ा सरकार से खफा है। सरकार बार-बार आश्वासन देकर मुकर गई। हमने यह बात कोर्ट में भी रखी। जहां तक ब्लैक मेल करने का आरोप है तो यह सरासर गलत है। ब्लैक मेल तब होता जब कोरोना पीक पर था। अभ तक नार्मल स्थिति आ रही है। सरकार लॉकडाउन खुल रही है। यह सरासर गलत है। जूड़ा सिर्फ पढ़ाई करने और सीखने आया है। डॉ. मीणा ने बताया कि आगे की रणनीति के जब तक सरकार मांग नहीं मानती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। मेडिकल टीचर संघ ने भी जूडा को समर्थन दिया है। इसके बाद प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज से पीजी स्टूडेंट्स विरोध में उतर आए हैं। पीजी के फर्स्ट ईयर और सेकंड ईयर के छात्रों ने सामूहिक रूप से इस्तीफे की पेशकश की है। मीणा ने कहा कि अब हम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से अपील है कि हमे मिलने के लिए बुलाए और हमारे मांगे माने।
कौन होते हैं जूनियर डॉक्टर
प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में है। इससे संबद्ध प्रदेश के 12 मेडिकल कॉलेज आते हैं। एमबीबीएस पास करने के बाद पीजी में एडमिशन लेने वाले छात्रों को जूनियर डॉक्टर कहा जाता है। इनमें पीजी के फर्स्ट, सेकंड और फाइनल ईयर के छात्र शामिल रहते हैँ। ये छात्र पढ़ाई के दौरान अलग-अलग अस्पतालों में प्रैक्टिस भी करते है। प्रदेश के ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, जबलपुर और रीवा में ही पीजी की सीटें हैं।
इसलिए किए बर्खास्त
पांचों मेडिकल कॉलेजों के डीन ने स्टूडेंट्स पर कार्रवाई के लिए मेडिकल यूनिविर्सटी को लिखा था। डीन द्वारा छात्रों के नाम भेजे गए थे। डीन ने छात्रों की अटेंडेंट्स को आधार बनाया है। उनका कहना है कि छात्रों की कॉलेज में उपस्थिति कम थी। ऐसे में इन छात्रों को बर्खास्त किया जाए। इसके बाद यूनिविर्सटी ने कार्रवाई कर दी। डीन का कहना था कि कोविड को देखते हुए एस्मा लागू है। ऐसे में अनुपस्थिति नहीं हो सकती।
सरकार के आदेश पर कार्रवाई
पिछले चार दिन से जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर थे। ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भी गड़बड़ाई हुई थीं। सूत्रों के मुताबिक हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार के दखल के बाद पूरी कार्रवाई की गई है।इससे पहले बुधवार शाम जूनियर डॉक्टरों को डीन ने चेतावनी भी दी थी, लेकिन वे पीछे नहीं हटे।
छात्रों का प्राइमरी काम पढ़ाई है : डीमएई
वहीं, डीएमई उल्का श्रीवास्तव ने कहा कि छात्र अपनी मर्जी से प्रवेश लेकर आते हैं। छात्र का प्राइमरी कार्य पढ़ाई करना है। मरीजों का उपचार करना भी आवश्यक है। कोरोना के समय में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर जाते हैं तो वह अपना और मरीज दोनों का नुकसान करते हैं। उनको मानवता और छात्र के नाते अपनी हड़ताल पर विचार करना चाहिए।
जूडा को अब बाहर से भी समर्थन
वहीं, जूनियर डॉक्टरों को अब बाहर से मेडिकल डॉक्टर्स एसोसिएशन समेत अन्य राज्यों के डॉक्टर एसोसिएशन का समर्थन मिल रहा है। इसके पहले मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन और एमबीबीएस छात्रों ने भी समर्थन दिया था। सभी ने सरकार से जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की मांगों को मानने की अपील की है।
सरकार पर वादे से मुकरने का आरोप
प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर 6 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार से हड़ताल पर हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने 6 मई को उनकी मांगों को मानने का आश्वासन दिया था, लेकिन सरकार बाद में मुकर गई।
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