7 लाख लोगों पर 18 डाक्टर
बदहाल हुई जिले की स्वास्थ्य सेवायें, शो-पीस बने अस्पताल
उमरिया। विगत कुछ वर्षो से उमरिया अब तक की सबसे बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं से जूझ रहा है। कहने को तो जिले मे बड़े-बड़े अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की बिल्डिंगें मौजूद हैं, पर वहां ना तो डाक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, उपकरण और ना ही पर्याप्त दवायें मौजूद हंै। आलम यह है कि जिले मे विशेषज्ञ डाक्टरों तथा चिकित्सा अधिकारियों के 84 पद स्वीकृत हैं। जबकि कुल मिला कर पदस्थ डाक्टरों की संख्या महज 25 हैं, इनमे से भी 4 का हाल मे ही ट्रांसफर हो गया है, वहीं 3 पीजी करने जा चुके हैं। मतलब यह कि लगभग 7 लाख की आबादी के सेहत की जिम्मेदारी मात्र 18 डाक्टरों पर है।
4 और डाक्टरों ने कहा अलविदा
बीते दिनो जिले के 4 डाक्टरों द्वारा स्वयं के व्यय पर अपना स्थानांतरण करा लिये जाने से संकट और भी गहरा गया है। इनमे चिकित्सा अधिकारी डा. विनोद गुप्ता, डा. प्रमोद द्विवेदी, रेडियोलॉजिस्ट डा. डीके कोंडिया तथा डा. वेदप्रकाश पटेल शल्य क्रिया विशेषज्ञ शामिल हैं।
तहसील से भी बदतर जिले की हालत
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला बनने के बाद जिस तरह से सुविधायें बढऩी चाहिये थीं, वह तो नहीं बढ़ीं बल्कि जो था वह भी हांथ से निकला जा रहा है। एक समय था जब तहसील मुख्यालय होने के बावजूद उमरिया मे दर्जनो नामचीन और अनुभवी डाक्टर मौजूद थे, वहीं मानपुर, पाली तथा चंदिया मे भी हालत आज से बेहतर रहे। ऐसे समय मे जब पूरा प्रदेश हर क्षेत्र मे आगे बढ़ता जा रहा है, उमरिया जिला अवनति की ओर अग्रसर है। इसके पीछे स्थानीय नुमाईन्दों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता जिनमे अपने क्षेत्र के लिये सरकार से टकराने का माद्दा ही नहीं है।
सेवाभावना का आभाव
इसी जिले ने जनता के हित के लिये अपने पद की कुर्बानी देने वाले जनप्रतिनिधि देखे हैं, तो रात-दिन जाग कर मरीजों को मौत के मुंह से खींच निकालने वाले डाक्टर भी। आज ना वे जनप्रतिनिधि रहे और ना ही जनता के भगवान कहे जाने वाले डाक्टर। बीते कुछ वर्षो मे कई अच्छे डाक्टर जिले मे आये पर उन्होने सेवा की बजाय कमाई और अपने बच्चों के भविष्य को देखा। नफा-नुकसान के हिसाब मे उन्हे उमरिया रास नहीं आया और एक-एक कर यहां से जाते रहे।
7 लाख लोगों पर 18 डाक्टर
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