7 दिन में अवैध निर्माण व कब्जा नहीं हटाया, तो जनहित याचिका लगायेंगे : कमलनाथ

इन्दौर बावड़ी हादसा : पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पीड़ित परिवारों से की मुलाकात, अस्पताल जाकर घायलों से भी मिले 
इन्दौर। बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर हादसे के तीसरे दिन शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होने अस्पताल जाकर हादसे में घायल लोगों का हाल-जाना और पटेल नगर स्थ‍ित घटना स्थल का दौरा भी किया। इस मौके पर कमलनाथ ने बावड़ी पर बने मंदिर की फर्श धसने से हुई 36 श्रद्धालुओं की मौत को अवैध निर्माण का परिणाम बताते हुए श‍िवराज सरकार पर हमला बोला। उन्होने कहा कि अगर सात दिनों के भीतर इस परिसर का अवैध निर्माण नहीं हटाया गया, तो कांग्रेस उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेगी।
पटेल नगर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में रामनवमी के मौके पर हवन के दौरान बावड़ी की छत धंसने से 21 महिलाओं व 2 बच्चों सहित 36 श्रद्धालुओं की बावड़ी में गिरने से मौत हो गई थी। हादसे के बाद प्रशासन ने मंदिर के मुख्य द्वार और बावड़ी तक पहुंचने के मार्ग को लोहे की चद्दरें लगाकर बंद कर दिया है। पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि यह हादसा बावड़ी पर अवैध निर्माण का परिणाम है, जिससे इन्दौर देश-दुनिया में कलंकित हुआ। अगर सात दिन के भीतर यह अवैध निर्माण नहीं हटाया गया, तो हम इसे हटवाने के लिए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे। कमलनाथ ने आरोप लगाया कि नगर निगम प्रशासन ने सत्तारूढ़ भाजपा के राजनीतिक दबाव के चलते बावड़ी के आस-पास अवैध निर्माण व कब्जा नहीं हटाया। उन्होंने कहा कि इन्दौर को ‘स्मार्ट सिटी’ कहा जाता है, लेकिन हादसे के बाद बावड़ी में गिरे लोगों को बचाने के लिए स्थानीय प्रशासन के पास जरूरी संसाधन तक नहीं थे। हादसे के 12 घंटे बाद बचाव अभियान में मदद के लिए सेना को बुलाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस हादसे ने सारी हकीकत उजागर कर दी। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान केवल औपचारिकता पूरी करने और शोबाजी के लिए आए थे। उन्होने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री श‍िवराज सिंह ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के पास बैठकर उनका दुःख-दर्द नहीं बांटा।
पीड़ितों ने गंभीर आरोप लगाए
हादसे के तीसरे दिन शनिवार को पूर्व सीएम कमलनाथ ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। पीड़ितों ने नगर निगम और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। घायलों और उनके परिजन ने बताया कि हादसे के दो घंटे बाद तक तक कोई रेस्क्यू नहीं किया गया। पुलिस-प्रशासन व निगम के बड़े अध‍िकारी गार्डन में ऐसे घूमते रहे, जैसे टाइमपास कर रहे हो। नगर निगम कुछ नहीं कर सका। शाम पांच-साढ़े पांच बजे एनडीआरएफ की टीम आई। एप्पल हॉस्पिटल में एक घायल ने कमलनाथ से कहा कि बावड़ी में ड्रेनेज का पानी मिल रहा था, इससे भयानक बदबू आ रही थी। नीचे गैस बन गई थी, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। अंदर काफी पानी था, जिसमें कई महिलाएं और बच्चे डूब गए। कुछ लोग कीचड़ में फंस गए। रस्सी के सहारे लोगों को ऊपर खींचने की कोशिश की गई, लेकिन रस्सियां ही टूट गईं। एक महिला ने कमलनाथ से कहा कि बावड़ी से लोगों को निकालने के लिए पहले नगर निगम को बुलाया गया, लेकिन वे लोगों को नहीं निकाल सके। फिर भोपाल से टीम बुलाई गई। जब ये भी कुछ नहीं कर पाई तब कहीं जाकर महू से एनडीआरएफ को बुलाया गया। प्रशासन ने इन्हें पहले क्यों नहीं बुलाया।

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