600 किसानो की मौत पर नेता मौन

मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक का केन्द्र पर हमला, लाल किले पर झंडा फहराना गुनाह नही
जयपुर। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन का हल नहीं निकलने पर एक बार फिर केंद्र सरकार और बड़े नेताओं पर तंज कसा है। उन्होंने कहा- आज तक इतना बड़ा आंदोलन नहीं हुआ। किसान आंदोलन में अब तक 600 लोग शहीद हो चुके हैं। एक जानवर मरता है तो दिल्ली के नेताओं का शोक संदेश आता है। हमारे 600 किसान शहीद हो गए, उन पर कोई नेता नहीं बोला। मलिक ने यह भी कि अभी महाराष्ट्र के अस्पताल में 5-7 लोग आग से मरे। उनकी मौत पर दिल्ली से शोक संदेश गए हैं। किसानों की मौत पर हमारे वर्ग तक के लोग संसद में शोक प्रस्ताव के लिए नहीं बोले। इससे मैं आहत था। गुस्से में था। सत्यपाल मलिक जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में तेजा फाउंडेशन के कार्यक्रम में बोल रहे थे।मलिक ने कहा- आज हर किसी गांव में मुख्यमंत्री हेलिकॉप्टर नहीं उतार सकता। वेस्टर्न यूपी में कोई मंत्री गमी तक में नहीं जा सकता। फिर ऐसे में दिल्ली में राज करने का क्या फायदा? किसान बेहाल होकर खेती करते हैं। उनकी छोटी सी बात मान लेंगे तो क्या हो जाएगा?

किसानों के बच्चे ही सेना में हैं, कुछ भी हो सकता है
मलिक ने कहा कि किसान आंदोलन का असर भारत की सेनाओं पर भी पड़ा है। वहां भी इन्हीं किसानों के बेटे हैं। कुछ भी हो सकता है। आज आप ताकत में हो। युद्ध होता है तो इन्हीं किसानों के लडकों को झोंका जाता है। कारगिल में सरकार की गलती थी। इसकी कीमत किसान के बच्चों ने चुकाई। अन्याय हमारे ही साथ होता है। इसमें किसी न किसी दिन लोग रिएक्ट कर जाते हैं। अभी तक किसानों ने कंकर भी नहीं मारा है।

लालकिले पर तिरंगा फहराकर किसानों ने गलत नहीं किया
मलिक ने कहा कि लालकिले पर झंडा फहराने के मामले को खूब उछाला गया। लाल किले पर झंडा फहराने का अधिकार प्रधानमंत्री का है। प्रधानमंत्री के बाद तो लाल किले पर झंडा फहराने का अधिकार ​किसानों का ही है। गुरु तेगबहादुर की गर्दन लालकिले पर कटी हो तो क्या उनकी संतान को लालकिले पर झंडा फहराने का अधिकार नहीं है? उन्होंने कहा कि सिखों और जाटों के लोकगीतों में भी लालकिले तक जाने का जिक्र होता है। लाल किला हमारे इमोशन का हिस्सा रहा है। हरियाणा में केवल इस बात पर लोकदल खड़ा हो गया था कि चौधरी चरण सिंह को लालकिले पर चढ़ाना है। PM के अलावा लालकिले पर किसी को अधिकार है तो वह हमारा है। उस जगह तो झंडा नहीं फहराया, जहां प्रधानमंत्री फहराते हैं। साइड में दूसरी जगह फहराया था।

सरकार के एक-आध लोगों के दिमाग में घमंड
मलिक ने कहा- सरकार में ऐसे लोग हैं, जो किसानों के पक्ष में है। एक-आध लोग हैं, जिनके दिमाग में घमंड है। घमंड तो किसी का भी नहीं चला। किसान दिल्ली से हारकर नहीं आएंगे। उन्होंने तय करके रखा है कि इस काम को पूरा करके ही रहेंगे। वे जीतकर और कामयाब होकर आएंगे।

कृषि कानून से पहले पानीपत में बन गए थे गोदाम
मलिक ने कहा- केंद्र सरकार केवल MSP मान ले तो काम हो जाएगा। किसान को MSP से हर फसल का नीचे ही दाम मिलता है। MSP पर कानून से कम पर किसान नहीं मानेंगे। MSP पर कानून कई लोग नहीं बनने देना चाहते, क्योंकि उस कारण से किसी का नुकसान होता है। अडाणी का पानीपत में गोदाम बन गया, जब तक पार्लियामेंट में कानून ही पास नहीं हुआ था। मैं लिखकर देता हूं कि MSP रहेगी। MSP को कानूनी जामा पहनाया जाएगा।

मां के पेट से गवर्नर पैदा नहीं हुआ
मलिक ने कहा- मैं मां के पेट से गवर्नर पैदा नहीं हुआ। मेरे पास जो है, उसे छोड़ने के लिए तैयार हूं। मैं यह नहीं देख सकता कि किसानों के साथ जुल्म हो रहा हो, उन्हें डराया जा रहा हो। हम चुपचाप पदों पर बैठे रहें, यह नहीं हो सकता। मुझे दिल्ली के दो-तीन बड़े नेताओं ने गवर्नर बनाया है। मैं उनकी इच्छा के खिलाफ जाकर किसानों पर बयान दे रहा हूं। जिस दिन मुझे गवर्नर बनाने वाले वे नेता कह देंगे, उस दिन गवर्नर का पद छोड़ने में एक मिनट नहीं लगाऊंगा।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर उठाए सवाल
सत्यपाल मलिक ने केंद्र के ​सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर भी सवाल उठाए। कहा कि हमारी सरकार तो नई पार्लियामेंट बना रही है। इसकी जगह तो अच्छी यूनिवर्सिटी-कॉलेज बनाते। आजादी के बाद से लेकर अब तक हमारे यहां संसद में कभी शिक्षा के बजट पर बहस तक नहीं हुई।

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