54 कालरियां बंद, 25 और होंगी
सीटू ने किया सीबीए एक्ट मे संशोधन का विरोध, सरकार पर लगाये आरोप
बिरसिंहपुर पाली/तपस गुप्ता। कोयला श्रमिक संगठनों ने केन्द्र सरकार पर निजी कम्पनियों को लाभ पहुंचाने के लिये सीबीए एक्ट मे संशोधन का आरोप लगाया है। इसके विरोध मे एसईसीएल सहित कोल इण्डिया की समस्त कम्पनियों मे जागरूकता अभियान चालू किया गया है। जो तीन दिनो, अर्थात 5 अगस्त तक जारी रहेगा। इसी मुद्दे पर जोहिला एरिया मे भी विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। बताया गया है कि सरकार की इस नीति को लेकर सभी श्रमिक संघ लामबंद हो गये हैं। बुधवार को स्थानीय पाली माईन्स के गेट पर प्रदर्शन कर रहे सीटू के नेता अमृतलाल विश्वकर्मा ने बताया है कि मोदी सरकार इस कानून मे बदलाव की फिराक मे है, जिससे प्रायवेट उद्योगपतियों के लिये कामर्शियल माईनिग का रास्ता साफ किया जा सके। इस अवसर पर अशोक पटेल, कुंजमणि वर्मा, सुदर्शन पटेल, रामेश्वर विश्वकर्मा, हेतलाल, एसडी सिंह, दिलीप, मो. रशीद सहित अन्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।
क्या है सीबीए एक्ट
दरअसल कोल इण्डिया की खदानो के लिये केन्द्र सरकार द्वारा कोल बेयरिंग एक्ट 1957 बनाया गया था। जिसके तहत सरकारी कंपनी एनसीडीसी द्वारा सरकारी खदानो के लिये जमीनो का अधिग्रहण किया जाता है। वर्तमान सरकार अब इसमे भी परिवर्तन करने मे जुट गई है। उसकी मंशा कोल माइंस स्पेशल प्रोवीजन एक्ट 2015 लागू करने की है। जिससे निजी कम्पनियों के लिये भूमि की व्यवस्था की जा सके।
सीआईएल ने किया 596 मिलियन टन उत्पादन
संगठनो ने मोदी सरकार की नियत पर भी सवाल उठाया है। श्रमिक नेताओं ने बताया कि केन्द्र द्वारा कमर्शियल माईनिंग के जरिये 23 मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था। जबकि कोल इंडिया ने पिछले वर्ष 596 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है। फिर निजीकरण का क्या तुक है। उनका कहना है कि कार्पोरेट को फायदा दिलाने के लिये देश की नवरत्न तथा लाभ मे चलने वाली कोल इण्डिया को तहस-नहस करने का प्रयास किया जा रहा है।
कोल इंडिया समाप्त करने की योजना
वहीं सीटू के उपमहासचिव वीएम मनोहर ने बताया कि बीते तीन वर्षो मे केंद्र सरकार देश की 54 कोयला खदाने बंद कर चुकी है। जबकि आने वाले दिनो मे 27 खदाने बंद करने की तैयारी है। कम्पनी द्वारा योजनाबद्ध तरीके से मेनपावर को कम किया जा रहा है। कुल मिला कर सरकार की योजना कोल इंडिया के अस्तित्व को समाप्त करने की है।
मलाई छानेंगे उद्योगपति
जानकारों का मानना है कि केन्द्र की यह नीति पूरे देश मे बेरोजगारी को बढ़ावा देने वाली है। उन्होने बताया कि कोल इण्डिया की कम्पनियों की एक खदान मे बेहतर वेतन के सांथ करीब 800 से 1000 लोगों को नौकरी मिलती है। जिले मे ही कई खदाने 40 वर्षो से सैकड़ों कामगारों के सांथ हजारों व्यापारियों को रोजगार दे रही हैं। जबकि निजी कम्पनियां 10-10 हजार रूपये के वेतन वाले दो-तीन दर्जन लोगों और मशीनो से तीन-चार सालों मे पूरा कोयला खोद कर ले जायेंगी। इससे सरकार को कोई फायदा नहीं होगा और सारी मलाई उद्योगपति ही छानेंगे।