5 राज्यों की 15 जातियां अनुसूचित जनजाति में शामिल

मोदी कैबिनेट का फैसला, यूपी के रविदास नगर का नाम भी बदला

नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को गोंड-भारिया जैसी जातियों को लेकर बड़ा फैसला लिया गया। कैबिनेट ने 5 राज्यों छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में करीब 15 जनजातीय समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने यह जानकारी दी।इस फैसले के बाद देश में अनुसूचित जनजातियों की संख्या 705 से बढ़कर 720 हो गई है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में ST की जनसंख्या 10.43 करोड़ है, जो देश की कुल आबादी का 8.6% है।मीटिंग के दौरान यूपी के रविदास नगर का नाम बदलकर भदोही कर दिया गया है। गोंड जाति की 5 उपजातियों, धूरिया, नायक, ओझा, पठारी, राजगोंड को भी अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया है।
जनजातियों को होगा फायदा:मुंडा 
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने मंजूरी के बाद मीडिया से कहा कि इस फैसले से हिमाचल प्रदेश के सिरमौर के ट्रांस-गिरी एरिया में बसे हट्टी समुदाय के लगभग 1.60 लाख लोगों को फायदा होगा। छत्तीसगढ़ में बृजिया समुदाय और तमिलनाडु की पहाड़ियों में रहने वाले सबसे वंचित और कमजोर समुदायों में से एक नारिकुरावर भी लाभांवित होंगे।
कौन हैं हट्‌टी और कहां रहते हैं
उत्तर भारत में रहने वाला हट्टी वह समुदाय है, जो छोटे शहरों के बाजारों यानी हाट में फसल, सब्जियां, मांस और ऊन बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं। हट्टी समुदाय की जन्मभूमि मुख्य रूप से यमुना की दोनों सहायक नदियों गिरि और टोंस के बेसिन में हिमाचल-उत्तराखंड की सीमा तक फैली हुई है।
जातियां जिन्हें अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया
छत्तीसगढ़ भूईंया, भूया, पंडो, धनुहार, गदबा, गोंड, कोंध, कोडाकू, नगेसिया, धांगड़, सौंरा, बिंझिया
हिमाचल हट्‌टी
तमिलनाडु कुरुविक्करन
कर्नाटक बेट्‌टा कुरुबा
उत्तर प्रदेश गोंड, उपजाति-धुरिया, नायक, ओझा, पठारी, राजगोंड​​​​​​

राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था विधेयक
सरकार ने मार्च में इस मुद्दे से जुड़ा विधेयक लोकसभा में पेश किया था। जिसमें उत्तर प्रदेश की गोंड, धुरिया, नायक, ओझा पठारी और राजगोंड जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाने का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था। हालांकि तब राज्यसभा में यह बिल पास नहीं हो सका है। ऐसे में केंद्रीय मंत्रिमंडल में इसे पारित करने का फैसला लिया गया।

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