जिले की शाहपुर वेस्ट कोयला खदान का ठेका शारदा एनर्जी को
उमरिया। जिले के पाली जनपद की प्रस्तावित शाहपुर वेस्ट खदान निजी हाथों मे चली गई है। कोयला मंत्रालय द्वारा देश के 41 कोल ब्लाकों के लिये शुरू की गई नीलामी प्रक्रिया मे इस खदान को शारदा एनर्जी एण्ड मिनिरल्स लिमिटेड द्वारा सर्वाधिक बोली लगा कर अपने नाम कर लिया। इस तरह से जिले मे 48 साल बाद शावालेस के दिन लौट आये हैं। उल्लेखनीय है कि देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा 1972 मे कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण किये जाने के बाद खदानो का संचालन कोल इण्डिया लिमिटेड अथवा उसकी सहायक कम्पनियों के हाथों मे सौंप दिया गया था। इससे पहले कोयले की माईनिंग शावालेस अथवा अन्य निजी कम्पनियां करती थी। शाहपुर माईन्स का ऑक्शन होने से लगभग 48 साल बाद कोयला उद्योग एक फिर से निजी हाथों मे जाने का रास्ता साफ हो गया है।
दूसरी खदान भी लाईन मे
बताया जाता है कोल ब्लाक नीलामी मे जिले की दो कोयला खदानो को शामिल किया गया था। इनमे शाहपुर ईस्ट और वेस्ट शामिल हैं, जहां प्रचुर मात्रा मे कोयला उपलब्ध है। विगत 3 नवंबर 2020 को शाहपुर वेस्ट की नीलामी संपन्न हो चुकी है जबकि शाहपुर ईस्ट की बोली भी लगाई जा चुकी है। अनुमान है कि आने वाले एक या दो दिन मे इस खदान को भी नीलाम कर दिया जायेगा। विदित हो कि ये दोनो खदाने उमरिया और शहडोल जिलों के बीचों-बीच स्थित हैं।
धन्नासेठों को होगा फायदा
जानकारों का मानना है कि कोयला खदानो को निजी हाथों मे सौंपने से रोजगार के अवसर कम होंगे। इसका मुख्य कारण निजी कम्पनियों द्वारा मशीनो के जरिये कोयले का दोहन है। सरकारी कम्पनी की खदानों मे जहां हजार से ज्यादा नौकरियां सृजित होती हैं वहीं प्रायवेट खदानो मे यह संख्या दर्जनो मे भी नहीं रहती। जिन चंद लोगों को अस्थाई तौर पर काम दिया भी जायेगा, उन्हे सरकारी खदानो की तुलना मे न्यूनतम वेतन ही मिलेगा। एक ओर जहां एसईसीएल की कई खदाने 40-40 साल से क्षेत्र के कामगारों और व्यापरियों के रोजगार का जरिया बनी हुई हैं। वहीं दूसरी ओर कार्पोरेट मशीनो के सांथ अपने एम्प्लाई भी लेकर आयेंगे और दो-तीन सालों मे अरबों रूपये का कोयला लेकर चले जायेंगे। इसका फायदा न सरकार को होगा और ना ही स्थानीय लोगों को। यह भी बताते चलें कि एसईसीएल की अधिकांश कोयला खदाने बेहद पुरानी हो चुकी हैं, जो बंद होने की कगार पर हैं। ऐसे मे कोयला उद्योग का निजीकरण जिले के लिये शुभ संकेत नहीं है।
पीएम ने की थी घोषणा
ज्ञांतव्य हो कि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हालिया जून महीने मे देश के 41 कोल ब्लाक कामर्शियल माईनिंग के लिये नीलाम करने की घोषणा की थी। इनमे बहुत सारे ब्लाक मध्यप्रदेश के हैं। उनके इस कदम को कोल इण्डिया के निजीकरण की दिशा मे महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विगत 1 नवंबर से इन ब्लाकों के नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गई है।
दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय
केन्द्र सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र मे कामर्शियल माईनिंग का निर्णय दुर्भाग्यजनक और खतरनाक है। सभी श्रमिक संगठनो ने सरकार से इसे वापिस लेने की मांग की थी परंतु उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की नीति के चलते जनता के हितों को गिरवी रखा गया है। इससे क्षेत्र मे बेकारी बढ़ेगी और बेरोजगार युवा अपराध की ओर अग्रसर होंगे।
संपत शुक्ला
केन्द्रीय महामंत्री
साऊथ ईस्टर्न कोयला मजदूर कांग्रेस (इंटक)
नौरोजाबाद