42 हजार टन धान की मिलिंग

42 हजार टन धान की मिलिंग
काम मे आई तेजी, आनाकानी के बाद आखिरकार तैयार हुए मिलर
उमरिया। काफी दिनो तक आनाकानी के बाद आखिरकार मिलरों ने धान की दराई शुरू कर दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक जिले मे 42 हजार टन मिलिंग हो चुकी है। जबकि इसका लक्ष्य 54 हजार टन है। संबंधित विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक शेष 12 हजार टन मिलिंग और होनी है, जो जल्दी ही करा ली जायेगी। गौरतलब है कि प्रदेश के सांथ ही जिले के मिलर्स भी इस बार धान की मिलिंग करने मे आनाकानी कर रहे थे। उनका कहना था कि मौजूदा शर्तों के साथ मिलिंग करने मे उन्हे घाटा होगा। मिलिंग का काम शुरू न होने के कारण सभी गोदाम भरे हुए थे, जिससे गेहूं के सुरक्षित भंडारण की समस्या खड़ी हो गई थी। इसी बीच विभाग और मिलरों के बीच बना गतिरोध टूट जाने से यह समस्या दूर हो गई है।
सीएम से की थी मुलाकात
जिले के एक मिलर्स का दावा है कि इस बार धान की गुणवत्ता पहले की तरह नहीं है। उनका कहना है एक क्विंटल धान मे बमुश्किल 45 प्रतिशत चावल ही बन रहा है। टूटन अधिक है और बाजार मे इसकी कीमत 13-14 रूपये प्रति किलो से अधिक नहीं है। ऐसे में अच्छी धान लेकर भारतीय खाद्य निगम के मापदंड के अनुसान चावल देने के लिए मिलिंग करके चावल मिलाना होगा, जो घाटे का सौदा है। इस मुद्दे पर गत फरवरी को मिलर्स के प्रतिनिधि मण्डल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात भी की थी।
किन शर्तो पर मिलिग, खुलासा नहीं
सूत्रों के मुताबिक धान उपार्जन के बाद इस बार निगम द्वारा गुणवत्ता को लेकर काफी सख्ती बरती जा रही थी। वहीं मिलर्स का कहना था कि बारिश मे धान के भीगने की वजह से टूटन अधिक हो रही है। ऐसे मे एक क्विंटल धान पर 67 किलोग्राम चावल देना संभव नहीं है। वहीं वे प्रोत्साहन राशि मे भी 25 रूपये प्रति क्विंटल को कम बता रहे थे। मिलर्स ने प्रोत्साहन राशि सौ रु पये करने और भारतीय खाद्य निगम को 60 की जगह 20 प्रतिशत चावल देने का प्रस्ताव रखा था। जिस पर सरकार ने प्रोत्साहन राशि 25 से बढ़ाकर 50 रु पये प्रति क्विंटल पर दी। इसके बावजूद मिलर्स तैयार नहीं हो रहे थे। अचानक मिलर्स कैसे तैयार हुए और मिलिंग कब शुरू हुई इस पर विभाग के अधिकारी साफतौर पर कुछ नहीं बता रहे हैं। उनका सिर्फ यही कहना है कि मिलिंग हो रही है।
मिलिंग का कार्य जारी
जिले मे इस बार 81 हजार टन धान का उपार्जन किया गया है। जिसमे से 52 हजार टन मिलिंग कराई जानी है। मिलिंग का अधिकांश कार्य पूर्ण हो चुका है।
एसडी बिरहा
डीएम, नान

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