ऐशबाग मे किराए से रह रहे थे, विवादित किताबें और लैपटॉप जब्त
भोपाल। राजधानी भोपाल से एटीएस ने 4 आतंकियों को पकड़ा है। प्रारंभिक पूछताछ में इनका बांग्लादेशी होना पाया गया है। जो कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-ए-मुजाहिद्दीन (बांग्लादेश) के सदस्य हैं। वे यहां रहकर आतंकी गतिविधियों के लिए स्लीपर सेल तैयार कर रहे थे। ताकि भविष्य में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जा सके। इनमें से दो आतंकी ऐशबाग इलाके की फातिमा मस्जिद के पास किराए से रह रहे थे। इनकी निशानदेही पर करोंद इलाके की खातिजा मस्जिद के करीब एक घर में रह रहे 2 और आतंकियों को पकड़ा गया। हिरासत में लिए गए आतंकियों से भारी मात्रा में जेहादी साहित्य, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। गिरफ्तार आतंकियों के नाम फजहर अली (32) उर्फ मेहमूद पिता अशरफ इस्लाम, मोहम्मद अकील (24) उर्फ अहमद पिता नूर अहमद शेख, जहूरउद्दीन (28) उर्फ इब्राहिम उर्फ मिलोन पठान उर्फ जौहर अली पिता शाहिद पठान, फजहर जैनुल आबदीन उर्फ अकरम अल हसन उर्फ हुसैन पिता अब्दुल रहमान है। इससे पहले मप्र एटीएस को सूचना मिली थी कि भोपाल में कुछ आतंकी छिपे हुए हैं। पड़ताल के बाद शनिवार देर रात 3:30 बजे पुलिस ऐशबाग पहुंची और एक बिल्डिंग में छापा मारा। यहां पुलिस के आने की भनक लगने पर आतंकियों ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था। जिसके बाद पुलिस दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुई और वहां से दो लोगों को पकड़ा गया।
कई विस्फोटों में शामिल आतंकी संगठन
साल 2005 में बांग्लादेश के 50 शहरों व कस्बों में 300 स्थानों पर करीब 500 बम विस्फोट हुए थे। ये धमाके जेएमबी ने ही कराए थे। साल 2014 में पश्चिम बंगाल के बर्धमान में बम ब्लास्ट हुआ था, जिसमें दो लोग मारे गए थे। साल 2018 में बोधगया में बम ब्लास्ट हुआ था, वो भी इसी संगठन ने किया था। साल 2019 में भारत सरकार ने इसे 5 साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया।
इलाके में लग गई भीड़
मकान मालकिन नायाब जहां ने बताया कि रात करीब साढ़े तीन बजे होंगे। हम लोग ऊपर कमरे में सो रहे थे। तभी अचानक चलो-चलो की आवाजें आने लगीं। किराएदारों के कमरों से गदर और खींचा घसीटी की आवाज आने लगी। तभी मैं कमरे से निकलकर आई। देखा- घर के सामने भीड़ लगी थी। मुझे देखते ही पुलिस ने कहा- आप अंदर जाओ। मैंने पूछा बताओ, तो हुआ क्या है? पुलिस ने कहा- अंदर जाइए। पानी पीजिए। कुछ नहीं हुआ है। आतंकी के पड़ोस में रह रहे एक किराएदार ने बताया कि रात 3 बजे करीब 50 से 60 पुलिसकर्मी आए थे. उन्होंने गोली मारकर दरवाजे का ताला तोड़ा और आतंकी को गिरफ्तार किया। पड़ोसी ने बताया कि यहां दो युवा करीब तीन महीने से किराए पर रह रहे थे।
डेढ़ साल से रह रहे थे युवक
इस मामले में मकान मालिक और पड़ोसियों के विरोधाभासी बयान सामने आ रहे हैं। मकान मालकिन नायाब जहां का कहना है कि दोनों संदिग्ध तीन महीने पहले रहने आए थे। वहीं, पड़ोसन का कहना है कि युवक सालभर से वहां रह रहे थे। पुलिस इस मामले की पड़ताल भी कर रही है। नायाब जहां की पड़ोस में रहने वाली शाहिदा ने बताया कि दोनों संदिग्ध आतंकी करीब डेढ़ साल से नायाब जहां के मकान में रह रहे थे। उन्होंने बताया कि इसी मकान के नजदीक ही एक लड़की भी रहती थी। संदिग्ध आतंकी इस लड़की को सूखा राशन देते थे। वह इन्हें खाना पका कर दे देती थी। लड़की भी कॉलोनी में किराए से रहती थी। हालांकि वह 11 महीने पहले मकान खाली करके जा चुकी है।
कम्प्यूटर मैकेनिक सलमान ने दिलवाया था मकान
मकान मालिक नायाब जहां ने बताया कि इलाके में रहने वाला सलमान कम्प्यूटर मैकेनिक है। उसने करीब तीन महीने पहले अपने परिचित अहमद को मकान किराए पर मांगा था। मकान खाली था। सलमान ने अहमद को आलिम की पढ़ाई करने वाला बताया था। इसलिए सलमान के कहने पर अहमद को मकान दिया था। इस पर चर्चा कर, साढ़े तीन हजार रुपए महीने पर किराया तय किया। अहमद ने किराया हमेशा कैश ही दिया।
आधार कार्ड मांगा तो बनाने लगे बहाने
बकौल नायाब जहां, अहमद ने मकान अकेले रहने के लिए किराए पर लिया था। करीब दो सप्ताह बाद अहमद के साथ एक और लड़का रहने लगा। वह मुफ्ती साहब के नाम से मशहूर है। सभी उसे मुफ्ती साहब ही कहते थे। मकान किराए पर लेने के करीब दो सप्ताह बाद अहमद से उसका आधार कार्ड मांगा था। इस पर अहमद ने दो सप्ताह बाद मकान खाली करने की बात कही। दो हफ्ते बाद मकान खाली नहीं होने पर जब अहमद और उसके साथी का दोबारा आधार मांगा, तब भी आनाकानी कर दी।
आपरेशन को पूरी तरह गोपनीय रखा गया
खुफिया एजेंसी ने आतंकियों को पकडऩे के आपरेशन को पूरी तरह गोपनीय रखा। स्थानीय थाने को भी इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। बिल्डिंग में सभी किराएदार परिवार रहते हैं, नीचे वाले मकान का किराएदार भी गायब है। पूरी गली में दहशत का माहौल है कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है। बस सिर्फ इतना कहना है कि यह बिल्डिंग 70 साल की नायाब जहां की है।
शांत इलाकों को बनाते हैं ठिकाना
यह पहले भी सामने आ चुका है कि आतंकी ऐसे इलाकों को ठिकाना बनाते हैं, जहां का इलाका शांत होता है। इसके पहले इंदौर, उज्जैन के पास महिदपुर और उन्हेल इलाके से भी सिमी आतंकियों के तार जुड़े थे। इंदौर के करीब जंगल में सिमी आतंकी हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेते थे।